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राम मंदिर आंदोलन और प्रधानमंत्री नरेंद मोदी पर पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी ने की अहम बात ?

राम मंदिर आंदोलन और प्रधानमंत्री नरेंद मोदी पर पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी ने की अहम बात ?

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

नई दिल्ली। विगत 1990 में राम जन्मभूमि आंदोलन से जुड़े बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि वो केवल रथ के सारथी रहे लेकिन ये भाग्य का फ़ैसला है कि एक दिन राम मंदिर हक़ीक़त बन जाएगा.
अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस लिखता है कि ‘राष्ट्रधर्म’ नाम की एक हिन्दी पत्रिका के लिए लिखे एक लेख में लालकृष्ण आडवाणी ने 33 साल पहले की घटनाओं को याद किया और कहा कि वो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या जाना चाहते हैं.
उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें खुशी है कि भगवान राम ने मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने भक्त को चुना है.
‘श्री राम मंदिर: एक दिव्‍य स्वप्‍न की पूर्ति’ नाम का ये लेख, 76 साल पुरानी इस पत्रिका के 15 जनवरी के अंक में छपने वाला है. इसमें लालकृष्ण आडवाणी ने 1990 में सोमनाथ मंदिर से अयोध्या तक निकाली गई रथ यात्रा को याद करते हुए लिखा, “मैं तो केवल सारथी था, नियति ने तय कर लिया था कि अयोध्‍या में श्रीराम का मंदिर अवश्‍य बनेगा.”
पत्रिका का ये अंक 22 तारीख को अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी लोगों को दिया जाएगा.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से कांग्रेस को फायदा या नुक़सान फ़ायदा होगा । 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जिस रणनीति की हो रही है।
उन्होंने लिखा, “रथ यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था. रथ यात्रा का मुख्य संदेशवाहक रथ ही था और पूजा के योग्य था क्योंकि यह मंदिर निर्माण के पवित्र उद्देश्य को पूरा करने के लिए श्री राम की जन्मस्थली अयोध्या जा रहा था.”
उन्होंने यात्रा में मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका के बारे में लिखा कि मोदी उस वक्त अधिक चर्चित नहीं थे और वो यात्रा के समय उनके साथ थे.
उन्होंने लिखा, “जब प्रधानमंत्री मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करेंगे, उस वक्त वो भारत के हर नागरिक का प्रतिनिधित्व कर रहे होंगे. मुझे उम्मीद है कि भगवान राम के मूल्यों को सीखने में ये मंदिर लोगों की मदद करेगा.”
पूर्व उप प्रधान मंत्री लालकृष्ण आडवानी ने लताया कि लोग अपनी आस्था छिपाकर जी रहे थे।
अख़बार के अनुसार आडवाणी ने लिखा है कि 1990 के दौर में उन्हें इस बात का अहसास नहीं था कि उनकी रथ यात्रा एक बड़े आंदोलन का रूप ले लेगी. उन्होंने मंदिर को हक़ीक़त में बदलने और बीजेपी का वादा पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी है और लिखा है, “मोदी उस वक्त लोगों के सामने नहीं आए थे और मेरे साथ थे. भगवान राम ने अपने भक्त को मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए चुना है.”
वो लिखते हैं, “मैंने देखा कि मंदिर के लिए लोगों का समर्थन बढ़ता जा रहा था. ‘जय श्री राम’ और ‘सौगन्ध राम की खाते हैं, मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा चारों तरफ गूंज रहा था.”
अख़बार के अनुसार वो लिखते हैं, “रथ यात्रा ने मुझे कुछ ऐसे अनुभव दिए जिनका मुझ पर गहरा प्रभाव पड़ा. सुदूर गांवों में अनजान ग्रामीण रथ देखकर मेरे पास आते थे. वो लोग भावुक हो जाते थे. वो मुझे बधाई देते, फिर भगवान राम के नारे लगाते और चले जाते.”
वो लिखते हैं कि वो इस बात से आश्वस्त हो गए थे कि हज़ारों लोग अयोध्या में राम मंदिर का सपना देखते हैं लेकिन वो अपनी आस्था छिपाकर जी रहे थे.
आडवाणी ने लिखा आख़िरकार 22 जनवरी को हज़ारों गांववालों की छिपा कर रखे गए सपने सच्चाई का रूप लेंगे.
उन्होंने ये भी लिखा कि उनके सामने ये एक ऐसा मौक़ा है जब वो लंबे वक्त तक अपने वरिष्ठ रहे नेता अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहे हैं. 2018 में वाजपेयी का निधन हो गया था.

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम मंदिर प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने से कांग्रेस पर क्या बुरा असर पडने वाला है।?
लोकसभा की विशेषाधिकार समिति ने शीतसत्र के दौरान हुए हंगामे के मामले में कांग्रेस सांसद विजयकुमार वसंत, अब्दुल ख़ालिक़ और जे जयकुमार की “माफ़ी” स्वीकार कर ली है जिसके बाद उनका निलंबन निरस्त हो सकता है.
अख़बार द हिंदू में छपी एक ख़बर के अनुसार शुक्रवार को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान अपने आचरण के लिए इन तीनों सांसदों ने खेद जताया है.
इन तीनों सांसदों का नाम 100 सांसदों की उस लिस्ट में शामिल था जिन्हें हाल में संपन्न हुए शीतसत्र के दौरान संसद से निलंबित किया गया था. इनके मामले को विशेषाधिकार समिति के पास ये जांच करने के लिए भेजा गया कि इनके आचरण से सदन में मौजूद दूसरे सांसदों के विशेषाधिकार का हनन हुआ या नहीं.
बीजेपी के सांसद सुनील कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली समिति ने सर्वसम्मति से स्पीकर ओम बिड़ला को एक प्रस्ताव भेजा है जिसमें इन तीनों का निलंबन वापस लेने की बात की गई है.
अख़बार के अनुसार समिति के एक सदस्य ने बताया है कि “इस प्रस्ताव पर स्पीकर फ़ैसला ले सकते हैं.”
उन्होंने बताया कि समिति से सामने पेश होते हुए इन तीनों सांसदों ने अपने आचरण के लिए “खेद व्यक्त किया जिसके बाद समिति से उनका निलंबन वापिस लेने का फ़ैसला किया.”
अख़बार लिखता है कि अगर स्पीकर ने समिति का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया तो ये सांसद जनवरी के आख़िर में होने वाले बजट सत्र में शिरकत कर सकेंगे.
इन तीनों के अलावा अन्य विपक्षी सांसदों का निलंबन केवल शीतकालीन सत्र के आख़िर तक ही था.
समिति के एक सदस्य ने कहा, “सांसद स्पीकर के आसन के पास तक चढ़ गए थे और उन्होंने तख्तियां दिखाई थीं. ये स्वीकार्य नहीं था लेकिन उन्होंने खेद व्यक्त किया इसलिए इस मामले को अब ख़त्म माना जाएगा.”
राज्यसभा के 11 सांसदों के निलंबन का मामला भी उसकी विशेषाधिकार समिति के समक्ष भेजा गया है. समिति ने इस पर कदम उठाते हुए सांसदों से कहा है कि वो खुद पर लगे आरोपों पर अपनी दलील पेश करें.
सुरक्षा चूक पर संसद में हंगामा, एक दिन में 78 सांसदों के निलंबन पर सवाल उठाया है।
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आगामी लोकसभा चुनावों से पहले सीट शेयरिंग और राहुल गांधी के नेतृत्व में हो रही भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सेदारी को लेकर इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों की आज एक अहम बैठक होने वाली है.
कांग्रेस के प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा है ये बैठक वर्चुअल होगी और सवेरे 11.30 पर शुरू होगी.
अख़बार हिन्दुस्तान टाइम्स में छपी एक ख़बर के अनुसार जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर कहा कि “13 जनवरी सवेरे 11.30 को वर्चुअली बैठक होगी जिसमें सीट शेयरिंग को लेकर चल रही बातों की समीक्षा की जाएगी. इसके अलावा मणिपुर के थॉबल के पास से 14 जनवरी को शुरू होने वाली भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हिस्सेदारी और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात होगी.”
अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस बैठक में तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी हिस्सा नहीं लेंगी क्योंकि उनकी कुछ अलग व्यस्तताएं हैं.
इंडिया गठबंधन के बैनर तले क़रीब 28 विपक्षी पार्टियां एकजुट हुई हैं, ऐसे में आगामी चुनावों के मद्देनज़र उनकी ये बैठक अहम मानी जा रही है.
इंडिया गठबंधन अगले चुनावों में बीजेपी को हराने के उद्देश्य से बनाया गया है, लेकिन गठबंधन के भीतर भी मतभेद नज़र आ रहे हैं. गठबंधन के संयोजक की नियुक्ति को लेकर जहां जदयू का कहना है कि इसके लिए नीतिश कुमार योग्य हैं, वहीं टीएमसी की ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया है. उधर इंडिया गठबंधन: पश्चिम बंगाल में सीट बंटवारे की कसौटी पर टीएमसी और कांग्रेस की दोस्ती हो सकती है।
बिहार के मुख्य मंतत्री नीतीश कुमार ‘इंडिया’ गठबंधन की बैठक में क्यों भड़क गए थै?
अख़बार जनसत्ता ने ख़बर दी है कि सब्ज़ी, दाल और मसालों के दाम बढ़ने से खुदरा महंगाई दर चार महीनों से सबसे ज़्यादा हो गई है.
अख़बार के अुनसार दिसंबर में ये दर बढ़कर 5.67 फ़ीसद पर पहुंच गई. जहां ग्रामीण इलाक़ों में ये 5.93 फ़ीसदी रही, वहीं शहरी इलाक़ों में 5.46 फ़ीसदी रही.
अख़बार लिखता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति नवंबर 2023 में 5.55 फ़ीसद रही थी जबकि दिसंबर 2022 में 5.72 फ़ीसद थी.
आंकड़ों के अनुसार सबसे कम मुद्रास्फीति 2.95 फ़ीसदी दिल्ली में रही जबकि सबसे अधिक 8.73 फ़ीसदी ओडिशा में रही है।

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