ED के संकट से जूझ रहे कांग्रेसियों को बचाएगी BJP?
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:
नई दिल्ली।भाजपा में घुसपैठ को लेकर कांग्रेसियों के डूबते जहाज को भाजपा का सहारा मिल गया है।भाजपा ने ED संकटग्रस्त कांग्रेसियों अपना को उम्मीदवार बनाना इसे भाजपा की मजबूरी,कमजोरी या इसे कूटनीति ही कहा जा रहा है? वर्तमान परिवेश में कांग्रेस की स्थिति डूबता जहाज के समान है इसके कई कारण हैं? ED की कार्रवाई के भय भयभीत कांग्रेसी नेता दलबदल कर भाजपा में घुसपैठ कर रहे हैं और कांग्रेसी नेताओं को
उम्मीदवार बनाना यह BJP का फण्डा या अधमता का परिचय देता है।इसके परिणामस्वरूप अनेक वर्षों के कडी मेहनत करके भाजपा संगठन को मजबूत बनाने वाले भाजपा कार्यकरता में अब बेईमान और पथभ्रष्ट नेता कांग्रेसियों की घुसपैठ से सख्त नाराज दे रहे है? जिन कांग्रेसी नेताओं ने अनियमिता और भ्रष्टाचार के जरिए करोडों की चल-अचल संपत्ति अर्जित की है? आयकर विभाग(ED) कार्रवाई के डर से भाजपा में शामिल हो रहे हैं? बताते हैं कि उन खराब आचरण और चरित्रहीन कांग्रेसियों ने एक जमाने मे घरों मे झाडू पोछा लगाने वाली महिलाओं की अस्मत से खिलवाड किया? बिवेकहीन,बिगडैल और बदनाम कांग्रेसी नेताओं को उम्मीदवारी देकर ओछी करतूतों का परिचय देने जैसा है।आज से 15–20 साल पहले से भाजपा हाईकमान नेता इन्हीं कांग्रेसियों के खिलाफ जहर उगलते थे? अब उनके खिलाफ बोलने से भाजपा हाईकमान आगबबूला होन्गे है? यह मानवता को तार-तार करने जैसा है?
पुरानी कहावत के मुताबिक राजनीति में दुश्मन का दुश्मन अपना शत्रु की कहावत चरितार्थ हो रही है?
उधार के कांग्रेस नेताओं को उम्मीदवार बनाना भाजपा की मजबूरी नहीं अपितु इसे कूटनीति ही कहा जाएगा?
देश में चुनावी माहौल है और इसी क्रम में पहले, दूसरे तीसरे चौथे और पांचवे चरण का मतदान हो चुका है. चुनाव आचार संहिता घोषित होते ही चुनाव पार्टियों के नेताओं का पलायन जारी है. इस समय कांग्रेस वो डूबता नाव बन चुका है जहां कोई भी नहीं रहना चाहता. कई बड़े नेता जैसे नवीन जिंदल, जितिन प्रसाद, पूर्व सीएम अशोक चव्हाण आदि कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थाम चुके हैं. उधर भाजपा की जाने क्या मजबूरी है कि उसको उधार के उम्मीदवार के साथ चुनाव लड़ना पड़ा है. हालात यहां तक हैं कि अभी तक उसके जितने घोषित उम्मीदवार हैं, उसमें से करीबन 28 फीसदी दल-बदलू हैं, यानी दूसरी पार्टियों से आए हैं. इसमें कांग्रेस से लेकर बीआरएस, टीएमसी, टीडीपी, बीएसपी इत्यादि दल शामिल हैं.
बताते हैं कि बाहर से आये गैर भाजपाई नेताओं को BJP मे शामिल करके उन्हे उम्मीदवार बनाया गया है? नतीजा टिकट की आस लगाए पुराने निष्ठावान नेतागण और पूर्व मंत्री, पूर्व सांसदों और पूर्व विधायकों के मुखमंडल और चेहरों की प्रसन्नता गायब देखी जा रही है?बताते हैं कि भाजपा के नाराज नेताओं ने अपने ऊपर हो रहे अन्याय को सहन करते हुए चुप्पी साधे रहना पसंद किया है? सभी नाराज भाजपाई राजनेतागण 4 जून मतगणना के बाद संभावित परिणाम जानने की बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं?