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भाजपा के ऐसे प्रत्याशी जो पहले से ज्यादा वोट लाकर भी नहीं बचा पाए सीट

भाजपा के ऐसे प्रत्याशी जो पहले से ज्यादा वोट लाकर भी नहीं बचा पाए सीट

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में भाजपा को करारी शिकस्त मिली है. 2019 में 25 सीटें जीतने वाली भाजपा 21 सीटों पर सिमट गई है. भाजपा के 14 सीटिंग विधायक चुनाव हार गये हैं.

पार्टी के स्तर पर हार के कारणों की समीक्षा हो रही है. लेकिन चुनाव हारने वाले 14 सीटिंग विधायकों में 10 ऐसे हैं, जिन्होंने 2024 चुनाव में पहले से बेहतर प्रदर्शन किया, लेकिन वो अपनी सीट नहीं बचा पाए. वहीं चार सीटें ऐसी भी हैं, जहां भाजपा के सीटिंग विधायकों का प्रदर्शन पहले से अच्छा नहीं रहा.

भाजपा विधायक जिनका वोट बढ़ा, लेकिन नहीं बची सीट

झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 के परिणाम इसकी तस्दीक करते हैं कि कैसे अच्छा परफॉर्म करने के बाद भी भाजपा के 10 विधायक चुनाव हार गये. इन्होंने अच्छा परफॉर्म किया, क्योंकि इनको पिछले चुनाव की तुलना में इसबार ज्यादा वोट मिले थे.

बात करते हैं भवनाथपुर की. भानुप्रताप शाही भाजपा के विधायक थे. 2019 में इनको 96,818 वोट मिले थे. इसबार 1,24,803 वोट मिले. फिर भी झामुमो प्रत्याशी अनंत प्रताप देव से 21,462 वोट के अंतर से चुनाव हार गये.

बिश्रामपुर पर भाजपा के रामचंद्र चंद्रवंशी का कब्जा था. 2019 में महज 40,635 वोट लाकर उन्होंने बसपा के राजेश मेहता को हराया था. लेकिन 2024 में 59,751 वोट लाने के बावजूद अपनी सीट गंवा बैठे. उन्हें राजद के नरेश प्रसाद सिंह ने 14,587 वोट के अंतर से हरा पाई है।

बोकारो में भाजपा प्रत्याशी बिरंची नारायण को 1,26,231 वोट मिले. फिर भी कांग्रेस की श्वेता सिंह से 7,207 वोट के अंतर से हार गये. जबकि 2019 में बिरंची नारायण ने 1,11,988 वोट लाकर जीत दर्ज की थी. फर्क इतना रहा कि इसबार कांग्रेस प्रत्याशी को 2019 के मुकाबले करीब 34 हजार वोट ज्यादा मिले. इस हार में बहुत हद तक जेएलकेएम की मौजूदगी भी वजह रही. क्योंकि जेएलकेएम की उम्मीदवार सरोज कुमारी को 39,621 वोट मिले थे.

छतरपुर को 2019 में भाजपा की पुष्पा देवी ने जीता था. उन्हें कुल 64,127 वोट मिले थे. इस बार पुष्पा देवी को 71,857 वोट मिले. फिर भी कांग्रेस के राधाकृष्ण किशोर से महज 736 वोट के अंतर से चुनाव हार गईं.

देवघर में भाजपा के नारायण दास 2019 में 95,491 वोट के मुकाबले इस बार 1,16,358 वोट लाकर भी राजद प्रत्याशी सुरेश पासवान से चुनाव हार गये. 2019 में राजद के सुरेश पासवान को 92,867 वोट मिले थे. इसबार उन्हें 1,56,079 वोट मिले.

रांची के कांके क्षेत्र को भाजपा का गढ़ कहा जाता है. 2019 में भाजपा प्रत्याशी समरी लाल को 1,11,975 वोट मिले थे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी को हराया था. इसबार समरी लाल की जगह भाजपा ने जीतू चरण राम को मैदान में उतारा था. उन्हें 1,32,531 वोट यानी 20,566 वोट ज्यादा मिले थे. फिर भी भाजपा के प्रत्याशी महज 968 वोट के अंतर से कांग्रेस प्रत्याशी सुरेश कुमार बैठा से हार गये. इस सीट पर भी जेएलकेएम प्रत्याशी की मौजूदगी एक वजह रही. यहां जेएलकेएम प्रत्याशी फुलेश्वर बैठा को 25,965 वोट मिले.

निरसा में भाजपा की अपर्णा सेनगुप्ता को इसबार 2019 में मिले 89,082 वोट के मुकाबले 1,03,047 वोट मिले. इसकी तुलना में भाकपा माले के अरुप चटर्जी ने 1,04,855 वोट लाकर भाजपा प्रत्याशी को 1,808 वोट के अंतर से हरा दिया. आंकड़े बताते हैं कि भाजपा प्रत्याशी को पिछले चुनाव की तुलना में 13,965 वोट ज्यादा मिले. इसबार भाकपा माले को इंडिया गठबंधन में रहने का फायदा मिला.

राजमहल में भाजपा के अनंत कुमार ओझा 2019 में मिले 88,904 वोट की तुलना में इसबार 96,744 वोट लाकर भी सीट गंवा बैठे. उन्हें पिछले चुनाव की तुलना में 7,840 वोट ज्यादा मिले. लेकिन झामुमो प्रत्याशी मो. ताजुद्दीन को कुल 1,40,176 वोट मिले. ऐसे में ज्यादा वोट लाकर भी भाजपा के अनंत ओझा चुनाव हार गये.

सारठ सीट पर भाजपा के रणधीर सिंह भी पहले से मजबूत दिखे. 2019 में 90,895 वोट लाकर चुनाव जीतने वाले रणधीर सिंह इसबार 97,790 वोट लाकर भी हार गये. उन्हें झामुमो की टिकट पर खड़े उदय शंकर सिंह ने 37,429 वोट के बड़े अंतर से हरा दिया.

सिंदरी सीट पर भाजपा ने बीमार चल रहे सीटिंग विधायक इंद्रजीत महतो की जगह उनकी पत्नी तारा देवी को मैदान में उतारा था. यहां 2019 में 80,967 वोट लाकर चुनाव जीतने वाली भाजपा इसबार 1,01,688 वोट लाकर भी चुनाव हार गई. यहां भाकपा माले के चंद्रदेव महतो महज 3,448 वोट के अंतर से जीत गये. उन्हें इंडिया गठबंधन में होने का लाभ मिला.

वैसी सीटें जहां भाजपा प्रत्याशियों का प्रदर्शन रहा खराब

इस लिस्ट में चंदनकियारी, गोड्डा, खूंटी और तोरपा का नाम शामिल है. खास बात है कि 2019 में भाजपा ने 28 में से सिर्फ खूंटी और तोरपा की एसटी सीट पर जीत दर्ज की थी. जिसे इस चुनाव में गंवा बैठी. एकमात्र चंपाई सोरेन ने सरायकेला सीट जीतकर एसटी सीटों पर भाजपा की लाज रख ली

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