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नागपूर के पारसिवनी,पवनी,देवलापार के जंगलों मे मौहा शराब का कारोबार

नागपूर के पारसिवनी,पवनी,देवलापार के जंगलों मे मौहा शराब का कारोबार

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक की रिपोर्ट

 

नागपुर जिलाध्यक्ष ग्रामीण पुलिस पुलिस की छत्र छाया में जंगलों मे अवैध मौहा शराब निर्माण का कारोबार फल फूल रहा है? देवलापार, पावनी और पारसिवनी के जंगल गांव में खुलेआम महुआ शराब की बिक्री धडल्ले से शुरु है। यहां दूर दूर से महुआ से निर्मित शराब उपलब्ध हो जाती है। मदिरापान के शौकीन वन विभाग,पुलिस विभाग,महसूल विभाग और पंचायत कर्मि शाम ढलते ही यहां पंहुचते हैं।

दो दर्जन से अधिक अवैध शराब विक्रेताओं को स्थानीय सांसद,विधायक,स्थानीय पुलिस विभाग,दारु उत्पादन शुल्क विभाग का आशीर्वाद है? इस संबंध में सरकारी यंत्रणा चुप्पी साधे मौन है?जनता-जनार्दन के नुमाइंदों की छत्रछाया में यह धंधा बडे जोरों से फल फूल रहा है।

जानकार सूत्रों की माने तो दु:ख इस बात का है कि मिलावटी महुआ शराब के उपयोग से अनेक वनवासी, गरीब दलित आदिवासी लोगों के स्वास्थ्य पर संकट मंडरा रहा है। विदित है कि नकली और मिलावटी महुआ शराब पीकर अनेक लोग अपने प्राण गंवा चुके है।देश की दूसरी सबसे बड़ी लोकसभा क्षेत्र नागपुर जिले के रामटेक लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत रामटेक विधानसभा क्षेत्र के आदिवासी बहुल इलाका अर्थात देवलापार परिसर में पिछले 2-3 दशकों से स्थानीय सांसद,स्थानीय विधायक और पुलिस विभाग के सम्बंधित महकमों के शह पर अवैध महुआ शराब की बिक्री शबाब पर हैं. देवलापार परिसर में उत्पादित महुआ शराब सभी राज्य मार्गों के ढाबों और रेस्तराओं मे आसानी से उपलब्ध हो रही है। मिलावटी शराब पीने से बारंबार प्यास लगने,मन मिचलाने, उल्टियां आने और बरावर भूख ना लगने मुख्य लक्षण बताए जा रहे हैं। बेरोजगारी के कारण वनवासी आदिवासी अवैध शराब उत्पादन मे कार्यरत हैं! हालकि सभी सुशीक्षित बेरोजगार युवकों को सरकार नौकरी मुहैया नहीं करा सकती है। घोर गरीबी से तंगहाल नौकरी पाने अफसरों को मुंहमांगा रिश्वत और डोनेशन नही दे सकते?

 

इस मामले में ‘एम ओ डी आई फाउंडेशन’ के महेश दयावान जल्द ही राज्य के ऊर्जावान गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ज्ञापन सौंपने वाले हैं,अगर इस अवैध शराब के कारोबार में रोक नहीं लगी तो न्यायालय का दरबाजा खटखटाया जाएगा, ताकि भोली भाली जनता के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड को रोका जा सके? एसी स्थानीय नागरिकों के हित में आंदोलन कर गुहार लगाएंगे।इससे होने वाली नुकसान के जिम्मेदार और जबावदार स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पुलिस प्रशासन की होगी।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सिर्फ देवलापार में लाखों लीटर अवैध रूप से महुआ शराब का उत्पादन रोज हो रहा हैं.यहीं से सम्पूर्ण जिले में मिलावटी महुआ शराब का खेप पुलिस प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधि के संरक्षण में वितरित हो रही हैं.

इसके प्रमुख विक्रेताओं में देवलापार की संगीता बाई,रोशन,डोंगरताल के गोवर्धन,रामराज,सिंदेवानी के मंसूर,सोया वरठी,कंदर धुर्वे,सुखदास ,वन पावनी के यादव किरणाके,नानू कुम्भरे,नीलकंठ गोंड, ,पवनी के टीकाराम गोडबोले,माधुरी उइके,मणिराम राऊत,पवन पिहलारे वरघाट के मड़ावी सरकारी टोला के गुल्लू,मदन बज्जार के प्रभु,धनसिंह,कमलेश इवनाते दावदा के मंगल का आदि का प्रमुखता से समावेश हैं.

उल्लेखनीय यह है कि इन सब में सबसे ज्यादा अवैध महुआ शराब कमलेश इवनाते रोजाना बेच रहा है,वह भी वर्षों से.’एम ओ डी आई फाउंडेशन’ के महेश दयावान और उनकी टीम के प्रत्यक्ष दौरे से जानकारी मिली की उक्त अवैध धंधे को पुलिस और जन प्रतिनिधि संरक्षण तो दे रहे ,उसके एवज में कोई रोजाना,कोई साप्ताहिक तो कोई मासिक वसूली/देन ले रहा.इसलिए उक्त सभी क्षेत्र में अवैध महुआ शराब का अवैध धंधा फलफूल रहा और सरकारी राजस्व को चूना लगा रहा.एम ओ डी आई फाउंडेशन’ के महेश दयावान ने गृहमंत्री से उम्मीद जताई थी कि जल्द से जल्द जनहित और राज्य के राजस्व हित में उचित कदम उठाएंगे और दोषी आबकारी विभाग, पुलिस महकमे से सम्बंधित विभाग के तत्संबंधित अधिकारियों पर नकेल कसेंगे। हालकि औपचारिकता के रुप में पुलिस साल में कभी कभार दो चार लोगों पर अपराध दर्ज कर दिया जाता है। कुछ समय बाद साक्ष्य और गवाहों के अभाव में संदेहास्पद अपराधी बाईज्जत बरी हो जाते हैं

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