गौवंश को हरी-हरी सब्जियां घास कडवा कुटार ही खिलाएं?अन्यथा भुगतना पडेगा…!

गौवंश को हरी हरी सब्जियां घास कडवा कुटार ही खिलाएं?अन्यथा भुगतना पडेगा…!

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:सह-संपादक की रिपोर्ट

प्रकृति ने हर प्राणियों को जीवित रखने के लिए अलग अलग भोजन खाध पदार्थ और अलग अलग वातावरण का निर्माण किया है,पृत्थ्वी पर 84 लाख प्रकार के जीव जन्तु आश्रित हैं तो कुछ जल में तो कुछ आकाश में, और इसी तरह कुछ जीव शाकाहारी हैं तो कुछ मांसाहारी और कुछ जीव ऐसे हैं जो इंसान का मल खाते हैं, यही उनका भोजन है प्रकृति ने उन्हें ऐसा ही बनाया है और उन्हें उस भोजन में आनंद आता है, प्रकृति ने सृष्टि में संतुलन बनाए रखने के लिए इसी तरह की और भी कई व्यवस्थायें बना रखी हैं जो एक दूसरे की पूरक हैं !
तदहेतु गौवंश-गौमाता यानी मवेशियों को खाधान्न का भोजन परोसने के बजाय उन्हे हरी हरी साग सब्जियां और हरी हरी घास-भूसा तथा कडबा कुटार खिलाना चाहिए। गौ को अगर मनुष्य जैसा भोजन दाल चावल रोटी सब्जी और मालपुआ,इमारती मिठाई खिलाएंगे तो आपकी गौमाता मनुष्य जैसा मैला-मलयुक्त गोबर प्रदान करेगी और उसकी साफ-सफाई करने में आप और आपके पंडिताईन, पण्डा पुजारी और प्रवचन कारों को बेहद घ्रणा और नफरत महसूस होने लगेगी? परिणामत: आप और उन सभी का जीना हराम हो जाएगा? ऐसी अनेक घटनाएं गौवंश को खाधान्न भोजन कराने से हूई हैं। आखिर खाधान्न से गौवंश के उदर मे तैयार हुए मैला-मलयुक्त गोबर की साफ-सफाई करवाने के लिए सफाई कर्मि यानी भंगी को मुंह मांगे रुपए पैसे ले- देकर साफ-सफाई करवाना पडा है।
बहुत से जानवर अपने अलावा दूसरों का मल खाते हैं. कुत्ते, सुंअर मनुष्यों का मल खाते हैं. कुत्ते गोबर भी खा लेते हैं.कई पक्षी गोबर या अन्य जानवर मनुष्यों के मल से कीड़े ढूंढ कर खाते हैं. गोबरीला कीड़ा सिर्फ जानवरों का मल ही खाता है. प्राणियों के इस क्रिया का कारण नहीं है।
कुत्ते और सुअर जैसे जानवर मनुष्य का मल क्यों खाते हैं? इसका मुख्य कारण यह है कि यदी कुत्तों को भरपेे भोजन मिलता रहे तो वह कभी भी मल नही खाएंगे, पालतू कुत्ते को आप मल खाते नही देखेंगे। पालतू कुत्ते रोटी, कच्ची सब्जी , अंडा, मांस आदि व डॉग फ़ूड मजे से खाते है। गली के कुत्तों को भी सभी रोटी देते ही है। यह हिन्दू संस्कृति का हिस्सा है, हम गाय के लिए रोटी व कुत्ते की रोटी निकालते ही है। परंतु पशुवैधकीय विशेषज्ञों की माने तो प्रकृति-सृष्टी के नियमों के अनुसार ही उन सभी प्राणियों को भोजन करवाना चाहिए? अन्यथा प्रकृतिक नियमों के उल्लंघन के आरोप मे सजाएं यानी दुष्परिणाम भुगतना ही पडेगा?

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