भगवान विष्णु को तुलसी और शिव जी को वेलपत्ती बहुत प्रिय है? भगवताचार्य टेकेस्वरानन्द महाराज का अभिकथन
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
कोराडी। भगवान विष्णुजी को तुलसी और भगवान शिव जी को वेलपत्ती बहुत ही प्रिय है। भगवताचार्य हरिभक्त पारायण टेकेस्वरानन्द महाराज ने यहां कोराडी विट्ठल रुक्मणी देवस्थान के सामने कोराडी में आयोजित शिव महापुराण आयोजन में कहा कि
साधारण शिव पूजा हो या श्रावण मास में भगवान शंकर के पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है।और भगवान विष्णुजी को तुलसी बहुत प्रिय है। शिवपुराण के अनुसार शिव जी को बेलपत्र बहुत प्रिय है।
उन्होने बताया कि गर्मियों में शरीर को ठंडा करने वाले बेल के शरबत और शिव पूजा में चढ़ाए जाने वाले बेलपत्र का धार्मिक महत्व क्या है? अगर नहीं तो, वेलपत्ती के पेड़ के महत्व और उत्पत्ति के बारे में जानेंगे। सनातन धर्म में बेल के पेड़ का बहुत महत्व है, लोग इसके पेड़, फल, पत्ते और लकड़ी का उपयोग पूजन के लिए करते हैं। मान्यता है कि बेल के पेड़ में साक्षात भगवान शिव का वास होता है और भोलेनाथ को इस पेड़ के फल, फूल और पत्ते बेहद प्रिय है। कहा जाता है कि बेल पेड़ के पूजन करने से गरीबी दूर होती है। बेलपत्र इतना शुभ पेड़ है कि इसके दर्शन और स्पर्श मात्र से पुण्य की प्राप्ति होती है। घर में बेल के पेड़ लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।
पुराणों में बेलपत्र के तीन समूह वाले पत्ते को भगवान शंकर के त्रिशूल या त्रिनेत्र से तुलना किया गया है। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि बेलपत्र में ब्रह्मा, विष्णु और भगवान शिव का वास होता है। स्कंद पुराण के अनुसार बेल पेड़ की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने की बूंद से हुई थी। कहा जाता है कि बेल का यह शुभ पेड़ सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है।
भगवताचार्य टेकेस्वरानन्द महाराज के अनुसार शिव जी की पूजा में बेल पत्र को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो कोई भी शिव जी की पूजा बेलपत्र से करते हैं उसकी मनोकामना भगवान जल्द ही पूरा करते हैं। उन्होने बताया कि स्कन्द पुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती जब भ्रमण कर रहीं थीं, तब उनके शरीर से पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई थी। उस पसीने के बूंद से पर्वत पर एक पेड़ की उत्पत्ति हुई और इस पेड़ को ही बेल वृक्ष के नाम से जाना गया। चूंकि, इस पेड़ की उत्पत्ति मां पार्वती के पसीने से हुई थी इसलिए इस पेड़ में मां पार्वती के सभी रूप वास करते हैं। बेल पेड़ (सावन पूजा) के जड़ को गिरजा का स्वरूप माना गया है। वहीं इसके तनों में माहेश्वरी और शाखाओं में दक्षिणायनी एवं बेल के पत्तियों में मां पार्वती (मां पार्वती के मंत्र) वास करती हैं। बेल के फलों मेंकात्यानी, फूलों में गौरी का वास होता है। इन सभी स्वरूपों के अलावा, मां लक्ष्मी जी बेल के समस्त पेड़ में निवास करती हैं। मान्यता है कि बेलपत्र मां पार्वती का प्रतिबिंब है जिसके कारण यह भगवान शिव को बहुत प्रिय है। शिव जी पर बेलपत्र चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं।
हिंदू धर्म में इस पेड़ का बहुत महत्व है आप भी बेल पेड़ की पूजा कर मां पार्वती के कृपा का पात्र बन सकते हैं। कार्यक्रम मे बडी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे।