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जानिए श्रीगणेश को गज का सिर लगाया : तो कटा हुआ असली सिर कहां है?

जानिए श्रीगणेश को गज का सिर लगाया?तो कटा हुआ असली सिर कहां है

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

वाराणसी। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश का असली सिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा में है. यह गुफा पहाड़ के अंदर 90 फीट नीचे स्थित है और इसे आदि गणेश के नाम से भी जाना जाता है.

कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव ने क्रोधवश गणेश जी का सिर धड़ से अलग कर दिया था, और फिर हाथी का सिर लगाकर उन्हें पुनर्जीवित किया. उनका असली सिर पाताल भुवनेश्वर गुफा में आकर गिरा, जहां आज भी वह मौजूद है.

पाताल भुवनेश्वर गुफा में गणेश जी के कटे हुए सिर के ऊपर एक ब्रह्मकमल भी है, जिससे जल की बूंदें टपकती रहती हैं. यह गुफा भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है.

भगवान गणेशजी की कथा बहुत ही रोचक है। एक बार भगवान शिव ने क्रोधवश गणेशजी का सिर उस समय धड़ से अलग कर दिया था, जब उन्होंने मां पार्वती को मिलने से रोका था।तब माता पार्वती बहुत दुखी हुई थीं। जब उन्होंने शिवजी से गणेशजी को जीवित करने की विनती की। शिवजी ने ब्रह्मा जी से एक हाथी का सिर लाने को कहा और उसे गणेशजी के धड़ से जोड़ दिया।पौराणिक कथा के अनुसार गणेशजी का कटा हुआ सर शिवजी ने एक गुफा में रख दिया था।

कई मान्यताओं के अनुसार, यह गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में स्थित है।

इस गुफा में आज भी गणेशजी के कटे हुए सर की विशेष पूजा होती है।

ये गुफा पहाड़ के करीब 90 फीट अंदर बनी हुई है।यह गुफा उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रसिद्ध नगर अल्मोड़ा से शेराघाट होते हुए 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पहाड़ी वादियों के बीच बसे सीमान्त कस्बे गंगोलीहाट में स्थित है।

इस गुफा की खोज राजा ऋतुपर्णा ने की थी, जो सूर्य वंश के राजा थे और त्रेता युग में अयोध्या पर शासन करते थे।

राजा हिरण का पीछा करते-करते इस गुफा तक पहुंच गए थे तब उन्होंने इस गुफा की खोज की थी।

उन्हें उस दिन उस गुफा में भगवान शिव सहित 33 करोड़ देवताओं के दर्शन हुए थे।यह स्कंद पुराण के ‘मानस खंड’ में वर्णित किया गया है कि आदि शंकराचार्य ने 1191 ई. में इस गुफा का दौरा किया था।

कहा जाता है कि इस गुफा से पता चलता है कब होगा कलयुग का अंत

इस गुफाओं में चारों युगों के प्रतीक रूप में चार पत्थर मौजूद हैं।

इनमें से एक पत्थर जिसे कलियुग का प्रतीक माना जाता है, वह धीरे-धीरे ऊपर उठ रहा है।

गुफा के बारे में कहा जाता है कि यहां भगवान शिव और तैंतीस करोड़ देवता मौजूद हैं।

ये पत्थर 1000 साल में 1 इंच बढ़ता है। कहा जाता है कि जिस दिन ये पत्थर दीवार से टकरा जायेगा उस दिन कलियुग का अंत हो जाएगा।साथ ही ये प्रमाण मिलते हैं इस गुफा में

इसी गुफा में केदारनाथ, बद्रीनाथ और अमरनाथ के दर्शन होते हैं।

बद्रीनाथ में बद्री पंचायत की शिलारूप मूर्तियां हैं जिनमें यम-कुबेर, वरुण, लक्ष्मी, गणेश तथा गरूड़ शामिल हैं।

यहां पर कामधेनू गाय का थन बना हुआ है जिसमें से अब पानी निकल रहा है। कहा जाता है कि इस गाय के थन से कलयुग होने के कारण पानी निकलना शुरू हो गया है।

इस गुफा में भैंरव जीभ भी है। मान्यता है कि जो इस मुंह से गर्भ में प्रवेश कर पूंछ तक पहुंच जाएगा उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाएगी।

यहां पर एक शेषनाग की मूर्ती है। बताया जाता है कि ये शेषनाग भगवान के ऊपर क्षत्र के रूप में है।

इस गुफा में एक गरूड़ की मूर्ती भी है औऱ साथ ही साथ यहां पर कई कुंड मौजूद हैं जिनका अपना अपना महत्व है।

जो यह सब नहीं मानते वो कुछ भी सोच सकते है। जैसे कि यह–

यह कथा पौराणिक है और इसके वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं

विभिन्न ग्रंथों में इस कथा के अलग-अलग वर्णन मिलते हैं..!!

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