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(भाग:327) कामधेनु गाय के शरीर में मौजूद है 33 कोटि देवी देवताओं का वास

(भाग:327) कामधेनु गाय के शरीर में मौजूद है 33 कोटि देवी देवताओं का वास

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

इंडोलॉजिस्ट मेडेलीन बिआर्डो एवं वैदिक सनातन हिन्दू धर्म के अनुसार, कामधेनु या कामदुह पवित्र गाय का सामान्य नाम है, जिसे हिंदू धर्म में सभी समृद्धि का स्रोत माना जाता है। कामधेनु को देवी (हिंदू दिव्य माता) का एक रूप माना जाता है और इसका उपजाऊ धरती माता ( पृथ्वी ) से गहरा संबंध है, जिसे अक्सर संस्कृत में गाय के रूप में वर्णित किया जाता है।

कामधेनु गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास, दर्शन मात्र से दूर होते हैं सारे कष्ट

कामधेनु गाय में 33 करोड़ देवी-देवताओं का वास, दर्शन मात्र से दूर होते हैं सारे कष्ट

कामधेनु गाय में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं, इसलिए कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से ही सभी कष्टों का निवारण हो जाता है.

कामधेनु गाय में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं.

कामधेनु गाय में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं.

 

हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय और मां लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है. कामधेनु गाय को सभी गायों की माता का दर्जा प्राप्त है. कामधेनु गाय दैविक और चमत्कारी शक्तियों से परिपूर्ण बताई जाती है. धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, कामधेनु गाय में 33 करोड़ देवी-देवता निवास करते हैं, इसलिए कामधेनु गाय के दर्शन मात्र से ही सभी कष्टों का निवारण हो जाता है. कामधेनु गाय को सुरभि भी कहा जाता है और इसे निर्मलता का प्रतीक भी माना गया है. आइए जानते हैं कामधेनु गाय से जुड़ी कुछ बातें.

कौन थी कामधेनु गाय

पंडित इंद्रमणि घनस्याल के अनुसार, हिंदू पुराणों में कामधेनु गाय का जिक्र मिलता है. जब देवताओं ने समुद्र मंथन किया था, तो उसमें से निकलने वाली 14 मूल्यवान चीजों में एक कामधेनु गाय भी थी, जिसको देवताओं ने प्रणाम किया और स्वर्ग में स्थान मिला. माना जाता है कि जिसके पास भी कामधेनु गाय होती थी, वह सबसे शक्तिशाली व्यक्ति कहलाता था.

कामधेनु गाय की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सबसे पहले कामधेनु गाय ऋषि वशिष्ठ के पास थी. कामधेनु गाय पाने की मंशा से सभी ने ऋषि वशिष्ठ के साथ युद्ध किया. लेकिन, सभी को हार का सामना करना पड़ा था. एक दूसरी कथा के अनुसार, भगवान परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि के पास भी कामधेनु गाय थी.

कामधेनु गाय क्या होती है?

हिँदू धर्म मे कामधेनू गाय का वर्णन आता है। कामधेनू गाय ऐसी गाय होती है जिससे जो माँगा जाये वैसा फल देती है।

जिसे सुरभि (सुरभि सुरभि) के रूप में भी जाना जाता है, वैदिक शास्त्रों में सभी गायों की माता के रूप में वर्णित एक दिव्य गोजातीय देवी है। वह एक चमत्कारी “गाय की गाय” है जो अपने मालिक को जो कुछ भी चाहती है उसे प्रदान करती है और अक्सर उसे अन्य मवेशियों की माँ के साथ-साथ ग्यारह रुद्रों के रूप में भी चित्रित किया जाता है।

आइकनोग्राफी में, उसे आमतौर पर एक सफेद गाय के रूप में चित्रित किया जाता है जिसमें महिला के सिर और स्तन होते हैं या उसके शरीर के भीतर विभिन्न देवताओं वाली एक सफेद गाय होती है।

सभी गायों को हिंदू धर्म में कामधेनु गाय का सांसारिक अवतार माना जाता है। जैसे, कामधेनु को स्वतंत्र रू

एक बार की बात है, एक जंगल में एक शेरनी और गाय में बहुत अच्छी दोस्ती थी दोनों साथ मिलकर रहते थे दोनों साथ बाहर निकलते घूमने जाते खाते पीते और फिर शाम को एक ही जगह आकर सोते थे यह सिलसिला वर्षों चलता रहा|

कुछ समय पश्चात दोनों को एक एक बच्चा हुआ| दोनों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि अब उन दोनों की लाइफ में बच्चे भी आ गए थे और परिवार खुशी खुशी से समय व्यतीत कर रहा था दोनों बच्चे बड़े होते चले गए|

 

दोनों बच्चे साथ में खेलते और खाते पीते शाम को वापस घर लौट आए दोनों बच्चों में काफी अच्छी दोस्ती हो गई|

एक दिन की बात है शेरनी और गाय बाहर भोजन की तलाश में गए थे। स्वर्ग में कामधेनु गाय खूंटे पर बंधी होती या मुक्त विचरण करती है,

मैं कल आपके इसी प्रश्न के बारे मे चिंतन करते करते गहरी साधना की स्थिति मे पहुंच गई थी। आपने तो ये प्रश्न मेरे सम्मुख 2 घंटे पहले ही रखा है, तो कल रात इस प्रश्न पर विचार कैसे हुआ होगा। तो पहले इस प्रश्न का जवाब बताती हूं। जब हम सही दिशा मे साधना रत होते है तो दरअसल हम सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड से जो हमारे अंतर से विस्तृत होता है, जुड़ने लगते है। तब इस स्थिति मे साधना से जुड़े किन किन प्रश्नों पर चर्चा की जाएगी, वही हमारे चिंतन को भी बढ़ाने मे सहयोगी हो जाते है, इस लिए कुछ अंतर मे स्पष्टीकरण होने शुरू हो जाते है।

तो अपने एक जन्म मे मै स्वयं ही स्वर्ग की कामधेनु गाय बन गई थी। वैसे मैं आज भी स्वर्ग की कामधेनु ही हुं। अपने आपको स्वच्छ, स्वचंद वातावरण मे मेरा खयाल रखने वाले लोगों के लिए मेरा जीवन अमृत का काम करता है। और साथ ही मुझ पर कुदृष्टि रखने वालों से अपनी शारीरिक सुरक्षा की व्यवस्था मेरे अमृत से पले मेरी अपनी सेना रखने की कोशिश करती है।

संक्षेप मे, कोई जानवर हो या स्त्री या पुरुष, उसी स्थान पर आनंदित महसूस करती/करता है, जहां उसे प्रेम, आदर और आजादी का समझदारी भरा संगम प्राप्त हो। और ऐसे स्थान पर उसके द्वारा प्रवाहित अमृत धारा से सभी लाभान्वित होते है।

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