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शिंदे के बाद अब अजितदादा के संग होगा खेला : BJP दिखा रही है 132 का दम

शिंदे के बाद अब अजितदादा के संग होगा खेला : BJP दिखा रही है 132 का दम

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

मुंबई । महाराष्ट्र राज्य में मुख्यमंत्री पद पर अभी फैसला नहीं हुआ है. महायुति में जिस तरह की सीट भाजपा को मिली है, उसका ही सिक्का चलने वाला है. यही वजह है कि भाजपा की पैनी नजर वित्त और गृह मंत्रालय पर टक टकी है लगी हुई है.दरसल में भाजपा की निगाहें अब वित्त- अर्थ मंत्रालय और गृह मंत्रालय पर लगी हुई है. हालकि

ममहाराष्ट्र राज्य में मुख्यमंत्री कौन होगा? इस पर सस्पेंस बरकरार है. सीएम भाजपा का होगा, यह तय है मगर फडणवीस होंगे या नहीं, इसे लेकर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है. महाराष्ट्र में भले ही सबको केवल सीएम पद पर ही सस्पेंस नजर आता हो, मगर भाजपा की जो प्लानिंग और ही कुछ है, वह अभी और चौंकाने वाली है. सीएम पर सस्पेंस के बीच अब सबकी नजरें राज्य के अहम कैबिनेट मंत्रालयों के बंटवारे पर टिक गई हैं. महायुति में भाजपा अपनी 132 सीटों का दम दिखाएगी. सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र कैबिनेट के लिए सत्ताधारी महायुति गठबंधन ने 21-12-10 फॉर्मूला तैयार किया गया है. इस फॉर्मूले के तहत सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी को 21 मंत्री पद मिलेंगे. वहीं एकनाथ शिंदे गुट को 12 और अजित पवार कैंप को 10 मंत्री पद मिलने वाले है,

इन सबके बीच सबसे अहम और बड़ा सवाल अब भी यही है कि वित्त मंत्रलाय, गृह मंत्रलाय और सामान्य प्रशासन जैसे सबसे प्रभावशाली विभाग किसके खाते में जाएंगे? राजनीतिक बढ़त और प्रशासनिक प्रभुत्व के लिहाज से वित्त और गृह विभाग काफी अहम होते हैं. यही वजह है कि महायुति में अब इसे लेकर महासंग्राम के संकेत हैं. खबरों की मानें तो बीजेपी ने इन तीनों ही विभागों पर अपना दावा ठोक दिया है. महायुति सरकार के पिछले कार्यकाल में अजित पवार ने वित्त मंत्री के रूप में काम किया था. सूत्रों का कहना है कि अजित पवार ने इस पद का इस्तेमाल एनसीपी विधायकों को मोटी आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए किया था. इससे बीजेपी और शिंदे गुट के विधायकों में नाराजगी थी.

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भाजपा क्यों वित्त रखना चाहती है अपने पास?

सूत्रों का कहना है कि नए कार्यकाल में बीजेपी वित्त मंत्रालय अपने पास रखना चाहती है. इस कदम से बीजेपी राज्य के खजाने को मैनेज कर पाएगी. साथ ही, लाडकी बहन योजना जैसी बड़ी योजनाओं को भी लागू कर पाएगी. यह कल्याणकारी योजना महायुति की चुनावी सफलता में काफी अहम साबित हुई थी. चुनाव से पहले किए गए वादों के तहत सरकार को अब इस योजना के तहत योग्य महिलाओं को 2,100 रुपये प्रति माह देने होंगे. इस प्रतिबद्धता से राज्य के खजाने पर काफी दबाव पड़ने की उम्मीद है. यही वजह है कि वित्तीय चुनौतियों का असरदार ढंग से सामना करने के लिए एक मजबूत वित्त मंत्री का होना जरूरी है. जहां बीजेपी वित्त मंत्रालय अपने पास रखने पर अड़ी हुई है, वहीं अजित पवार के खेमे को राजस्व या लोक निर्माण विभाग दिया जा सकता है.

गृह मंत्रालय किसके पास?

एक और अहम मंत्रालय है गृह मंत्रालय. इसे पिछले कार्यकाल में देवेंद्र फडणवीस ने संभाला था. हालांकि, बढ़ती अपराध दर और महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बढ़ती घटनाओं की वजह से सवाल भी उठे थे. इससे यह मंत्रालय विवादों में घिर गया था. चुनौतियों के बावजूद कानून व्यवस्था बनाए रखने और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर प्रभाव डालने के लिए गृह मंत्रालय रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. इस बात को लेकर अटकलें तेज हैं कि क्या देवेंद्र फडणवीस गृह मंत्रालय अपने पास रखेंगे या नहीं. लेकिन सूत्रों का कहना है कि गृह मंत्रालय भी भाजपा अपने पास रखना चाहती है.

आज सीएम को लेकर है दिल्ली में बैठक

दिल्ली में गुरुवार को एक हाई लेवल मीटिंग है. अमित शाह की मौजूदगी में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और प्रमुख मंत्री पदों को फाइनल किए जाने की उम्मीद है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, फडणवीस, शिंदे, पवार और वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल चर्चा में हिस्सा लेंगे. इस बैठक पर पूरे राज्य की निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि यहां लिए गए फैसले अगले कार्यकाल के लिए महायुति सरकार की शक्ति की दिशा तय करेंगे.

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