जानिए देश के राज्यों में चुनाव क्यों हार रही है कांग्रेस, कहां हो रही है चूक?
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
नई दिल्ली। कांग्रेस अपनी गलत नीतियो और रणनीतिक कमजोरियों की वजह से राज्यों के चुनाव हारती जा रही है. कांग्रेस की हार की मुख्य कारण यह भी है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी बहुत अच्छे और पार्टी के निष्ठावान युवा नेता भी है। परंतु उन्हे लोकलुभावन अंदाज में आकर्षणदार भाषण देना आता नहीं है। कांग्रेस की असल कमजोरी यह है कि राहुल गांधी को कोई समझाता नहीं है।पिछले वर्ष कांग्रेस के निष्ठावान नेता विजय बडेट्टीवार ने स्पष्ट कर दिया था कि राहुल गांधी अच्छे और दमदार नेता हैं परंतु उन्हे यथासंभव भाषण देना आता नही है। और इसी वजह से सैकडों कर्तव्यनिष्ठ कांग्रेसी पार्टी छोडकर भाजपा में शामिल होना बेहतर समझ रहे हैं?
इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में विपक्षी दल जब बीजेपी को अकेले दम पर बहुमत हासिल करने से रोकने में कामयाब रहे थे तो संभवतः सबसे ज़्यादा खुश कांग्रेस पार्टी हुई थी.
साल 2014 के लोकसभा चुनावों में 44 और और 2019 के लोकसभा चुनावों 52 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस को इस साल के लोकसभा चुनावों में 99 सीटों पर जीत मिलीं तो कई राजनीतिक विश्लेषकों और विशेषज्ञों ने इसे कांग्रेस की वापसी माना था.
कांग्रेस ने संविधान, आरक्षण, महंगाई और बेरोज़गारी जैसे मुद्दों को उठाकर लोकसभा चुनावों में बीजेपी और एनडीए को दबाव में लाने में बहुत हद तक कामयाबी हासिल कर ली थी.
लेकिन लोकसभा चुनावों में बेहतर प्रदर्शन के बाद कांग्रेस एक बार फिर से राज्यों के लिए हो रहे विधानसभा चुनावों में बुरी हार का सामना कर रही है. जहाँ कांग्रेस के सहयोगी दल जीत रहे हैं, वहाँ भी कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं दिखा है.
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जून 2024 में लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के चंद महीने बाद ही हरियाणा में विधानसभा चुनाव होने थे और कांग्रेस के ‘जोश’ और ‘जज़्बे’ से ऐसा लग रहा था को वो ये चुनाव जीत लेगी.
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राहुल गांधी संसद के बाहर और भीतर दोनों जगह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर पूरी तरह हमलावर थे.
लेकिन कांग्रेस को हरियाणा में हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस के साथ यही किस्सा अब राजनीतिक तौर पर देश के दूसरे बड़े अहम राज्य महाराष्ट्र में भी दोहराया गया.
झारखंड में पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुआई वाले गठबंधन में शामिल थी और वो 2019 में जीती 16 सीटों में एक भी सीट का इज़ाफा नहीं कर पाई.
इससे पहले, जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस बुरी तरह नाकाम रही.
कांग्रेस 90 में से छह सीटें ही जीत पाईं और नेशनल कॉन्फ्रेंस की जूनियर पार्टनर बन कर किसी तरह अपनी नाक बचा पाई.
सवाल ये है कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित दिख रही कांग्रेस इसके बाद एक भी राज्य का चुनाव क्यों नहीं जीत पाई. आख़िर उसकी रणनीति में कहां खामी है और वो बार-बार कहां चूक रही है?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने कई राजनीतिक विश्लेषकों और पत्रकारों से बात की.
आइए समझते हैं हाल के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना क्यों करना पड़ा.