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अधर्म का मार्ग ले जाता है विनाश की ओर : देवकीनंदन ठाकुर के उदगार

अधर्म का मार्ग ले जाता है विनाश की ओर : देवकीनंदन ठाकुर के उदगार

 

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

वृंदावन । स्वामी श्री देवकीनंदन ठाकुरमजी महाराज ने कहा है कि अधर्म का मार्ग विनाश की ओर ले जाता है.अधर्म का मतलब है, प्रकृति के नियमो के विरुद्ध, गैरकानूनी, अनैतिक, और स्वार्थी काम करना. वहीं, धर्म का मतलब है,इसलिए परोपकारी इरादे से काम करना चाहिए.अधर्म के कुछ दुष्प्रभाव से समाज में अनैतिकता अराजकता और अपराध बढ़ते हैं.

उन्होंने आगे बताया कि जिस प्रकार नशे की लत युवाओं को बर्बादी की राह पर धकेल देती है.अधर्म से जीवन नष्ट हो जाता है.अधर्म से अनैतिक, हिंसा और दर्द, पीड़ा से विनाश की ओर अग्रसर होता है.

अधर्म से आध्यात्मिकता से दूरी आ जाती है.अधर्म से बचने के उपाय करना चाहिए. अपने और पराये को भी

नैतिकता, ईमानदारी, और सच्चाई का पाठ पढ़ाना चाहिए. बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए उन्हें सही दिशा दिखानी चाहिए.

समाज को एकजुट होकर प्रयास करने चाहिए और

धर्म का अभ्यास और पालन की रक्षा करनी चाहिए. जब -जब धर्म पर खतरा हो, उसे सीमित, कमतर या समाप्त करने का प्रयास करना चाहिए.

अपनी बुद्धि का सदुपयोग करके समाज के उत्थान के लिए सनातन धर्म के सकारात्मक प्रभाव को फैलाना चाहिए.

अधर्म का मार्ग अपनाने वाले विनाश को प्राप्त हुए हैं- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी

अभिमान और अधर्म का मार्ग अपनाने वाले अंततः विनाश को प्राप्त हुए हैं- पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

कथा में पधारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्री इंद्रेश कुमार जी ने व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं कथा पंडाल में उपस्तिथ भक्तों को संबोधित किया।

आज की कथा के दौरान पूज्य महाराज श्री ने बताया कि अभिमानी और पापी मनुष्य कभी भी किसी के सामने नहीं झुकते हैं, और अपने अहंकार के कारण सदैव उल्टा-पुल्टा कार्य करते रहते हैं। यही कारण होता है कि उनका जीवन नष्ट हो जाता है। अभिमान और अधर्म का मार्ग अपनाने वाले अंततः विनाश को प्राप्त हुए हैं।

आज के समाज में चारों ओर भ्रष्टाचार फैल चुका है और पैसे के नाम पर कोई भी व्यक्ति किसी से कुछ भी करवा सकता है। नैतिक मूल्यों का लगातार ह्रास हो रहा है, जिससे समाज में अनैतिकता और अपराध बढ़ते जा रहे हैं। यदि हमें एक सशक्त और संस्कारित समाज की स्थापना करनी है, तो हमें अपने बच्चों को नैतिकता, ईमानदारी और सच्चाई का पाठ पढ़ाना होगा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हमेशा हिंदुत्व और हिंदुस्तान की रक्षा के लिए अपना योगदान दिया है। उनकी निस्वार्थ सेवा और समर्पण के कारण ही आज हमारा धर्म और हमारी संस्कृति सुरक्षित है। राष्ट्र के प्रति समर्पण, अनुशासन, और समाजसेवा की भावना को जागृत करने में इस संगठन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही है।

आजकल लोग गर्व से कहते हैं कि वे अपने माता-पिता की भी नहीं सुनते, जो कि अत्यंत अनुचित है। माता-पिता का स्थान सर्वोच्च होता है और उनका ऋण कोई भी संतान चुका नहीं सकती।

माता-पिता ने जो त्याग और प्रेम हमें दिया है, उसे समझना और उनकी सेवा करना हमारा परम कर्तव्य होना चाहिए। माता-पिता का आदर और सेवा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

आजकल भक्ति भी एक प्रकार की ट्रेनिंग बन गई है। लोग यह देखने लगे हैं कि कौन किस प्रकार की भक्ति कर रहा है और उसी को फॉलो करने लगते हैं। परंतु सच्ची भक्ति वह नहीं जो केवल बाहरी दिखावे के लिए की जाए, बल्कि वह है जो मन से, सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ की जाए।

मनुष्य को सदैव सत्कर्म करने चाहिए, क्योंकि जो भी संपत्ति, वैभव और ऐश्वर्य वह इस संसार में कमाता है, उसे वह अपने साथ ऊपर नहीं ले जा सकता। यह सब यहीं रह जाता है, केवल हमारे अच्छे कर्म ही हमारे साथ जाते हैं।

नशे की लत ने युवाओं को बर्बादी की राह पर धकेल दिया है। इतना ही नहीं, अब तो हमारे बच्चे खतरनाक नशों की ओर भी बढ़ रहे हैं, यहाँ तक कि कुछ लोग साँप के जहर का नशा करने लगे हैं। यह स्थिति अत्यंत भयावह है और इसे रोकने के लिए समाज को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे।

नशे की आदत व्यक्ति को आध्यात्मिकता से दूर कर देती है और वह कभी भी भगवान का भजन नहीं कर पाता। परिणामस्वरूप, उसका जीवन पतन की ओर चला जाता है। हमें अपने बच्चों को नशे से दूर रखने के लिए उन्हें सही दिशा दिखानी होगी और उनका मार्गदर्शन करना होगा

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