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धार्मिक

(भाग:276) कौटिल्यमुनि का सिद्धांत,ऋषि चाणक्य की विचारधारा, समकालीन समय में शिक्षाओं की प्रासंगिकता

भाग:276) कौटिल्यमुनि का सिद्धांत,ऋषि चाणक्य की विचारधारा, समकालीन समय में शिक्षाओं की प्रासंगिकता टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट एक प्रकांड विद्वान तथा एक गंभीर चिंतक के रूप में कौटिल्य तो विख्यात है ही, एक व्यावहारिक एवं चतुर राजनीतिज्ञ के रूप में भी उन्हे ख्याति मिली है। नंदवंश के विनाश तथा मगध साम्राज्य की स्थापना एवं विस्तार में उनका ऐतिहासिक योगदान …

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(भाग:275) जानिए राम नाम की महिमा कई अर्थ छिपे हैं इस दो अक्षर के नाम में

भाग:275) जानिए राम नाम की महिमा कई अर्थ छिपे हैं इस दो अक्षर के नाम में टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट नई दिल्ली। शास्त्रों में ऐसे कई श्लोक मिलते हैं, जिसमें राम नाम के अर्थ और महिमा का वर्णन किया गया है। शास्त्रों में निहित एक श्लोक के अनुसार, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते”। जिसका अर्थ है कि योगी …

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(भाग:274) पतंजलि ऋषि के अनुसार प्रकृति-निसर्ग परमात्म ने मनुष्य को निम्न 5 प्रकार के क्लेश दिए हैं

भाग:274) पतंजलि ऋषि के अनुसार प्रकृति-निसर्ग परमात्म ने मनुष्य को निम्न 5 प्रकार के क्लेश दिए हैं टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट पतंजलि ऋषि के कथनानुसार निसर्ग-प्रकृति परमात्मा ने मनुष्य को 5 प्रकार के निम्नानुसार क्लेश दिए हैं? क्लेश का मतलब है : दुक्ख, कष्ट ; वेदना, कष्ट पूर्ण मानसिक स्थिति, मनोव्यथा। उग्र या बहुत कष्टदायक पीड़ा विशेषतः हार्दिक या …

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(भाग:273) चित्रकूट तीर्थ के कण-कण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम होने के मिले है प्रमाण

भाग:273) चित्रकूट तीर्थ के कण-कण में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम होने के मिले है प्रमाण टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट चित्रकूट । जानकी चरण मंदिर के पास निकले पत्थरों में लिखा मिला राम व जानकी चरण मंदिर के पास जेसीबी से खोदाई में कई पत्थर निकले हैं। पुजारी ने पत्थरों में राम नाम व ऊं लिखा होने की बात कहकर …

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(भाग:272) मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आचरण और चरित्र का अनुसरण व अनुकरण करने वाला होता है रामभक्त

भाग:272) मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आचरण और चरित्र का अनुसरण व अनुकरण करने वाला होता है रामभक्त टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने अपने आचरणों से हर किसी के लिए एक कीर्तिमान उदाहरण स्थापित किया है. प्रभु श्री राम एक आदर्श मनुष्य,पुत्र,भाई और पति होने के साथ-साथ एक आदर्श कुशल शासक भी थे. उनके शासन काल …

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(भाग:271) संसार क्षणभंगुर है, संपूर्ण सृष्टि परिवर्तन और विनाश के मूलाधार पर टिकी है

भाग:271) संसार क्षणभंगुर है, संपूर्ण सृष्टि परिवर्तन और विनाश के मूलाधार पर टिकी है टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट योग वशिष्ठ एक हिंदू आध्यात्मिक ग्रंथ है, जो पवित्र ग्रंथ रामायण के लेखक महर्षि वाल्मीकि ने लिखा है। कुछ विद्वानों का मानना है कि यह मानव मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब यह ग्रंथ दे सकता है और मोक्ष …

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(भाग:270) वीर सावरकर योगवासिष्ट रामायण से अत्यन्त प्रभावित थे और उन्होने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है।

भाग:270) वीर सावरकर योगवासिष्ट रामायण से अत्यन्त प्रभावित थे और उन्होने इसकी भूरि-भूरि प्रशंसा की है। टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट योगविशिष्ठ के फारसी अनुवाद की एक पाण्डुलिपि (१६०२ ई) से लिया गया चित्र जिसमे कार्कटी किरातराज से प्रश्नोत्तर करतीं है विद्वत्जनों का मत है कि सुख और दुख, जरा और मृत्यु, जीवन और जगत, जड़ और चेतन, लोक और …

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(भाग:269) महान विचारवान को आत्म-मंथन से मिलता है आत्मज्ञान: योगवासिष्ट का कथन

भाग:269) महान विचारवान को आत्म-मंथन से मिलता है आत्मज्ञान: योगवासिष्ट का कथन टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट योगवासिष्ट रामायण के अनुसार महान विचारवाा को आत्ममंथन से प्राप्त होता है आत्मज्ञान और आत्मविचार के संबंध में रमण महर्षि भी विचार की उपयोगिता पर बड़ा महत्व देते थे। पर वशिष्ठ या रमण अगर विचार कहें, तो जो हमारा साधारण, विक्षिप्त विचार है, …

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(भाग:268)जानिए मानवीय जीवन में अध्यात्म विज्ञान का आलौकिक महत्व क्या है

भाग:268)जानिए मानवीय जीवन में अध्यात्म विज्ञान का आलौकिक महत्व क्या है टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट मनुष्य की मूल प्रकृति निर्दोष, सहज और आनंद से परिपूर्ण जीवन जीना है, जबकि आज मनुष्य का जीवन यंत्रों और उपकरणों पर निर्भर हो गया है। इसलिए मनुष्य को आवश्यकताओं के अनुकूल ग्रहण करना चाहिए और इससे आगे कोई लालसा नहीं रखनी चाहिए। यही …

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भाग:267) मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का भगवान विष्णु रुप में विलीन होकर साकेत-वैकुण्ठ धाम गमन

भाग:267) मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का भगवान विष्णु रुप में विलीन होकर साकेत-वैकुण्ठ धाम गमन टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के साकेत धाम यानी वैकुण्ठ लोक गमन के समय उनकी उम्र कितनी थी? अर्थात दरअसल में वो करीब 112 दिव्य वर्षों तक जीवित रहे। श्रीराम और माता सीता के विषय मे वाल्मीकि रामायण मे कहा गया है …

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