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देश की सीमा सुरक्षा सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है!भारत सीमा में तनाव के बीच राजनाथ का सख्त संदेश

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नई दिल्ली। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सशस्त्र बलों से दुनिया भर में भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर ध्यान देने और उसके मुताबिक अपनी योजना और रणनीतियों को ढालने का आह्वान भी किया। राजनाथ सिंह की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बीते कई सालों से चल रहे सीमा विवाद के संदर्भ में आई है।
चीन से जारी गतिरोध और वास्तविक नियंत्रण रेखा(LAC) पर चीनी गतिविधियों के बीच रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को सतर्क किया है। उन्होंने सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि देश की सुरक्षा सरकार के लिए “सर्वोच्च प्राथमिकता” है। इस दौरान उन्होंने कहा कि एलएसी पर पीएलए सैनिकों की तैनाती के मद्देनजर उत्तरी क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है ऐसे में सेना को इस सीमा पर कड़ी निगरानी रखने की जरूरत है।
सेना के सूत्रों ने बताया कि इस दौरान रक्षामंत्री ने सशस्त्र बलों से दुनिया भर में भू-राजनीतिक परिवर्तनों पर ध्यान देने और उसके मुताबिक अपनी योजना और रणनीतियों को ढालने का आह्वान भी किया। राजनाथ सिंह की यह टिप्पणी पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ बीते कई सालों से चल रहे सीमा विवाद के संदर्भ में आई है।
रक्षा तैयारियों का आकलन करने की जरूरत
इस दौरान राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि इस समय विश्व तमाम तरह की अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है। इसके चलते भविष्य के युद्ध अत्यधिक अप्रत्याशित होंगे। साथ ही वर्तमान के रोज बदलते परिदृश्य में खतरों और हथियारों का दायरा काफी व्यापक हो गया है। इसके अनुसार हमें अपनी रक्षा तैयारियों का आकलन करने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने खुफिया डेटा के प्रभावी इस्तेमाल पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि वास्तविक समय की खुफिया जानकारी का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग सुनिश्चित करने की आवश्यकता है जिससे हम भविष्य में ऐसी किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें।
देश की सुरक्षा सरकार के लिए ‘सर्वोच्च प्राथमिकता’
अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि देश की सुरक्षा सरकार के लिए “सर्वोच्च प्राथमिकता” है। ऐसे में मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि सरकार की पूरी कोशिश है कि सीमा पर तैनात हर जवान को बेहतरीन हथियार और सुविधाएं मुहैया कराई जाए। इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि वहां शांति और स्थिरता है। साथ ही जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों में भी गिरावट दर्ज की गई है। पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का उल्लेख करते हुए रक्षा मंत्री ने सीमा पार आतंकवाद के लिए भारतीय सेना की प्रतिक्रिया की सराहना की। उन्होंने कहा कि मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में सीएपीएफ और पुलिस बलों के साथ सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में समन्वित अभियान क्षेत्र में स्थिरता और शांति बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रहना चाहिए।
पूर्वोत्तर के राज्यों का जिक्र करते हुए रक्षामंत्री ने आगे कहा कि वहां भारतीय सेना द्वारा चलाए गए अभियानों के बाद आंतरिक सुरक्षा परिदृश्य में काफी सुधार हुआ है। हालांकि हमें शांति के लिए सरकार के प्रयासों को चुनौती देने वाले राष्ट्र-विरोधी संगठनों के खिलाफ सतर्क रहने की जरूरत है।

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सरकार सशस्त्र बलों के कल्याण के लिए कर रही काम
सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए रक्षामंत्री ने सशस्त्र बलों के कल्याण को सरकार का महत्वपूर्ण लक्ष्य बताया। उन्होंने कहा कि प्रत्येक सैनिक और पूर्व सैनिकों का कल्याण और भलाई के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। सरकार सशस्त्र बलों के लिए उसी तरह लगन से काम कर रही है जैसे देश की सुरक्षा के लिए सशस्त्र बल काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि सेना कमांडरों का सम्मेलन एक शीर्ष-स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम है। यह हर साल अप्रैल और अक्टूबर में आयोजित किया जाता है। इस सम्मेलन में देश की सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों, सीमाओं की सुरक्षा पर विचार-विमर्श किया जाता है। वर्तमान में जारी सेना कमांडरों के पांच दिवसीय सम्मेलन की शुरुआत सोमवार को हुई थी। इसमें चीन और पाकिस्तान के साथ सीमाओं पर भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों और बल की युद्धक क्षमता को बढ़ाने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है।

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