बडी ही चमत्कारी है वनौषधीय काली हल्दी से चोर शत्रु भय का नाश और धनवर्षा का योग
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
सतना। वनौषधीय काली हल्दी की गांठ होती है चमत्कारी, सभी बाधाओं को दूर कर देती है मालामाल, हल्दी कई प्रकार की होती है। सामान्यत: हल्दी पीली होती है। हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाली हल्दी पीली और लाल (नारंगी) दो प्रकार की होती है।
सतना। भारत एक तांत्रिक और मंत्र शक्तियों का देश है। तंत्र-मंत्र हिन्दू सहित अन्य धर्मों की एक प्राचीन विद्या है। उसमे सबसे पहले नाम आता है काली हल्दी से वशीकरण का। शास्त्रों में काली हल्दी को चमत्कारी माना जाता है इसमें तांत्रिक और मांत्रिक ताकत छिपी होती है। इसके उपयोग से बीमार व्यक्ति को स्वस्थ्य किया जा सकता है।
इसके अलावा यह तांत्रिक विधि से सिद्ध करने पर व्यक्ति को धनवान बनाती है। इस शास्त्र का जन्म भगवान शिव के मुख से हुआ माना जाता है। इसी विद्या के अंतर्गत बहुत सी सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। काली हल्दी इस विद्या में प्रयुक्त होने वाली एक महत्वपूर्ण सामग्री है।
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दो प्रकार की होती हल्दी
हल्दी कई प्रकार की होती है। सामान्यत: हल्दी पीली होती है। हमारे दैनिक प्रयोग में आने वाली हल्दी पीली और लाल (नारंगी) दो प्रकार की होती है। लेकिन इनमें बहुत ही मामूली अंतर होता है। इन्हीं में कभी-कभी कोई गांठ काले रंग की निकल आती है। ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है। लेकिन यदि किसी को यह काली हल्दी की गांठ मिल जाए तो यह मान लेना चाहिए कि उसे लक्ष्मी प्राप्ति का एक दैवी साधन मिल गया है। काली हल्दी बहुत ही चमत्कारी है, जो धन प्राप्ति और बाधाओं के नाश में अपना अलग महत्व रखती है। हम बता रहे हैं इसकी ऐसी ही ताकत के बारे में।
1- यदि परिवार में कोई व्यक्ति निरन्तर अस्वस्थ रहता है, तो प्रथम गुरुवार को आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चने की दाल के साथ गुड़ और थोड़ी सी पिसी काली हल्दी को दबाकर रोगी व्यक्ति के उपर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें। यह उपाय लगातार 3 गुरुवार करने से आश्चर्यजनक लाभ मिलेगा।
2- किसी शुभ दिन गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र हो, राहुकाल न हो, शुभ घड़ी में इस हल्दी को लाएं। इसे शुद्ध जल से भीगे कपड़े से पोंछकर लोबान की धूप की धूनी में शुद्ध कर लें व कपड़े में लपेटकर रख दें।
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3- आवश्यकता होने पर इसका एक माशा चूर्ण ताजे पानी के साथ सेवन कराएं व एक छोटा टुकड़ा काटकर धागे में पिरोकर रोगी के गले या भुजा में बांध दें। इस प्रकार उन्माद, मिर्गी, भ्रांति और अनिन्द्रा जैसे मानसिक रोगों में बहुत लाभ होता है।
4- काली हल्दी के 7 या 9 या 11 दाने बनाएं। उन्हें धागे में पिरोकर धूप आदि देकर जिस व्यक्ति के गले में यह माला पहनाई जाए उसे गृहपीड़ा, बाहरी हवा, टोना-टोटका, नजर आदि से बचाया जा सकता है।
5- यदि किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गयी है, तो काले कपड़े में हल्दी को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।
6- गुरु पुष्य नक्षत्र में काली हल्दी को सिंदूर में रखकर लाल वस्त्र में लपेटकर धूप आदि देकर कुछ सिक्कों के साथ बांधकर बक्से या तिजोरी में रख दें तो धनवृद्धि होने लगती है।
7- किसी की जन्मपत्रिका में गुरू और शनि पीडि़त है, जिससे धन न रुकता हो या कम धंधा बार बार ठप हो जाता हो तो वह शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से नियमित रूप से काली हल्दी पीसकर तिलक लगाएं, ये दोनों ग्रह शुभ फल देने लगेंगे।
8- यदि किसी के पास धन आता तो बहुत है किन्तु टिकता नहीं है, उन्हें यह उपाय अवश्य करना चाहिए। शुक्लपक्ष के प्रथम शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिन्दूर को साथ में रखकर मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श करवा कर धन रखने के स्थान पर रख दें। यह उपाय करने से धन रुकने लगेगा।
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9- यदि आपके व्यवसाय में निरंतर गिरावट आ रही है, तो शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौडिय़ों को बांधकर 108 बार ऊँ नमो भगवते वासुदेव नम: का जापकर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है।
10- यदि आपका व्यवसाय मशीनों से संबंधित है, और आए दिन कोई मशीन खराब हो जाती है, तो काली हल्दी को पीसकर केशर व गंगा जल मिलाकर प्रथम बुधवार को उस मशीन पर स्वास्तिक बना दें। यह उपाय करने से मशीन जल्द खराब नहीं होगी
11- विधिवत काली हल्दी- पीली हल्दी- आंबा हल्दी जटामासी और सुगंधवाला को मिश्रित करके रवि पुष्प नक्षत्र मे विधिवत श्रीसूक्त पाठ घर में करवाते हैं तो आपके घर मे आवश्यक रुपया धन धान्य और विधार्जन का आकर्षण बढ़ता है,चोर भय, शत्रु भय का नाश, बुरे स्वप्न नहीं आते, किसी का किया कराया और रोग व्याधि दोष दूर हो जाते हैं।
*सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-*
उपरोक्त लेख सामान्य ज्ञान के लिए है। वनौषधि विशेषज्ञों,राजवैध्यों के प्रवचनो, इंद्रजाल और आयुर्वेदिक ग्रन्थो से संकलित किया गया है? उपयोग करने के पहले विशेषज्ञों की राय जानना जरुरी है?