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(भाग:288) देवाधिदेव महादेव भगवान शिव को संघार यानी मृत्यू का देवता माना जाता है। 

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भाग:288) देवाधिदेव महादेव भगवान शिव को संघार यानी मृत्यू का देवता माना जाता है।

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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ब्रह्मा सृष्टिकर्ता माने जाते हैं और शिव संहार-कर्ता, तथापि ब्रह्मा की पूजा नहीं होती, उनके मंदिर एक-दो स्थानों पर ही स्थित हैं, पर शिव घर-घर में पूजे जाते हैं और छोटे-बड़े, उनके अनगिनत मंदिर हैं।

ऐसा इसलिए कि शिव हमारे भय को नष्ट करते हैं, अहंकार को नष्ट करते हैं, कामनाओं को नष्ट करने में सहायक हैं। शिव योगी हैं, तपस्वी हैं। वे संसार एवं सांसारिकता से विमुख, हिमाच्छादित कैलाश शिखर पर, आँखें मूँदे तपस्या-लीन रहते हैं। भय और भूख उन्हें नहीं सताते। कामदेव को भस्म कर, उन्होंने कामनाओं पर विजय प्राप्त कर लिया है। उन्हें कामांतक कहा गया है।

 

विश्व के कल्याण हेतु, वे विष-पान करते हैं। पुनः कण्ठ में हलाहल को धारण करने वाले बहुत सुंदर प्रश्न किया है आपने वास्तव में भगवान एक ही हैं उस एक भगवान को ही हमारे धर्म ग्रंथों में उनके विभिन्न कार्यानुसार तीन रूप और नाम दिए गए हैं।जब वही भगवान सृजन करते हैं तो हम उन्हें बृम्हा के रूप में पूजते हैं,वही जब पालन करते हैं तो उन्हें ही हम भगवान विष्णु कहते है और जब वे संहार करते हैं तो शिव के रूप में पूजे जाते हैं। वे हमारे दुर्गुणों का संहार करते हैं।एक प्रसिद्ध श्लोक है”गुरूर बृम्हा, गुरूर विष्णु गुरूर देवो महेश्वर:। गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।। गुरु बृम्हा का रूप हैं क्योंकि वे हममें सद्गुणों का सृजन करते हैं, गुरु विष्णु का रूप हैं। यह संपूर्ण सृष्टि तीन अंशों में है । पहले अंश में इसकी उत्पत्ति होती है जिसके देवता ब्रह्मा जी हैं । दूसरे अंश में इसका पालन होता है , जिसके देवता विष्णु जी हैं । तीसरे अंश में इसका संघार होता है जिसके देवता शंकर जी है ।जिसकी उत्पत्ति होती है उसका विनाश भी होता है ।

शिवमहापुराण में भगवान शिव ने मृत्यु के कौन-कौन से 7 संकेत बताए हैं? मृत्यु का देवता कौन है?

शिवलिंग क्या है? क्या यह भगवान शिव का सिर है ?

भगवान शिव कौन हैं? संपूर्ण सत्य, परब्रह्म परमेश्वर परमात्मा ही भगवान सदाशिव हैं। सत्यं शिवम् सुंदरम्। शिव परमात्मा द्वारा धारण किया गया ऐसा अद्भुत रूप है जिसमें ईश्वर ने हलाहल नामक विष पीकर समस्त संसार की रक्षा करी। ये तो कुछ भी नहीं, महादेव जी की महिमा का वर्णन करना तो असंभव है। शिव तो वो है जो नहीं है लेकिन फिर भी शिव ही सब कुछ हैं। विश्वेश्वर हैं शिव, कालों के काल महाकाल हैं शिव, कल्याणकारी हैं शिव, ओंकारेश्वर हैं श…

 

।।ॐ।। ओम नम: शिवाय।- ‘ओम’ प्रथम नाम परमात्मा का फिर ‘नमन’ शिव को करते हैं। ‘सत्यम, शिवम और सुंदरम’ जो सत्य है वह ब्रह्म है:- ब्रह्म अर्थात परमात्मा। जो शिव है वह परम शुभ और पवित्र आत्म तत्व है और जो सुंदरम है वही परम प्रकृति है। अर्थात परमात्मा, शिव और पार्वती के अलावा कुछ भी जानने योग्य नहीं है। इन्हें जानना और इन्हीं में लीन हो जाने का मार्…

क्या आप जानते है और बता सकते है कि- भगवान् शिव को ही महाकाल क्यों कहा जाता है? भगवान् शिव ही को क्यों सृष्टि-सृजन का अधिपति तथा विनाश यानी दोनों, और मृत्यु का देवता क्यों कहा जाता है? किस तरह से भगवान् शिव महाकाल बनें? क्या है? यह अनुठी दिलचस्प गाथा?

पवित्र शिव महापुराण के अनुसार महेश और शिव में अंतर है…महेश और शंकर एक ही के नाम है…और शिव इनका पिता है…जिसको काल रूपी ब्रह्म क्षर पुरुष भी कहते है…

अध्यात्म ज्ञान का बहुत बड़ा और विस्तार है , इसको समझने के लिए विशेष विवेक और धैर्य की आवश्यकता होती है ! मारकण्डेय महापुराण तीसरा अधयाय में लिखा है कि , रजोगुण प्रधान ब्रह्मा , सतगुण प्रधान विष्णु है , और तमोगुण प्रधान रुद्र , शंकर है । श्री शंकर में तमोगुण विशेष रूप से है…जिसके प्रभाव में आकर जीव के अंदर तामस क्रोध उत्तपन्न होता है , और वो किसी भी हद तक क्रोधवश जा सकता है , यह सब तमोगुण प्रभाव के कारण होता है…..।

क्या शिव जी से बढ़कर कोई देव है?

भगवान को बड़ा छोटा कहना यह सही नहीं होगा मेरा मानना तो यह है कि आप जिसे बड़ा मानते हो वह भगवान आपके लिए बड़े हो गए जैसे मैं हनुमान जी की पूजा करता हूं तो मेरे लिए सबसे बड़े हनुमान जी हो गए अगर आप भगवान शंकर की पूजा करते हैं तो आपके लिए शंकर बड़े हो गए बस इतनी सी बात है।

क्या आप जानते है और बता सकते है कि- भगवान् शिव को ही महाकाल क्यों कहा जाता है? भगवान् शिव ही को क्यों सृष्टि-सृजन का अधिपति तथा विनाश यानी दोनों, और मृत्यु का देवता क्यों कहा जाता है? किस तरह से भगवान् शिव महाकाल बनें? क्या है? यह अनुठी दिलचस्प गाथा?

भगवान महादेव को क्यों कहा जाता है कालों के महाकाल भी हैं।

 

महादेव को क्यों कहा जाता है कालों का काल महादेव। आखिर कब और कैसे पड़ा महादेव का यह नाम , और क्या है इस नाम के पीछे की कहानी ? वैसे तो महादेव के अनगिणत नाम है। जैसे महादेव, शिवजी, शिवाय, भोलेनाथ, नीलकंठ, महाकाल समेत कई नाम है, और इन सभी नामों के पीछे कोई न कोई कहानी जरूर रही है। कहा जाता है कि यह सारे नाम महादेव को उनके स्वभाव के अनुसार ही दिए गए। जैसे कि महादेव बहुत भोले थे, और वो अपने भक्तों द्वारा मांगी गई हर एक इच्छा पूरी कर देते है। तो आज हम महादेव के सबसे विख्यात नामों में से एक महाकाल के बारे में बात करेंगे, कि आखिरकार इस नाम के पीछे की क्या कहानी है।

कहा जाता है कि उज्जैन जिसे पहले उज्जैनी और अवंतिकापुरी के नाम से भी जाना जाता था। यहां एक शिव भक्त ब्राह्मण निवास करता था। अंवतिकापुरी की जनता दूषण नाम के राक्षस के प्रकोप से त्राहि-त्राहि कर रही थी। लोग उसे काल के नाम से जानते थे। ब्रह्रा से जी दूषण को कई शक्तियां मिली थी, जिनका दुरुपयोग कर वह निर्दोष लोगों को परेशान करता था। राक्षस की शक्तियों के प्रकोप से ब्राह्मण काफी दुखी था, उसने भगवान शिव से राक्षस के नाश की प्रार्थना की, लेकिन भगवान ने काफी वक्त तक कुछ नहीं किया। प्रार्थनाओं का असर न होता देख एक दिन ब्रह्म भगवान शिव से नाराज हो गया और उनका पूजन बंद कर दिया। अपने ब्राह्मण भक्त को दुखी देख भगवान शिव हुंकार के रूप में प्रकट हुए और दूषण का वध कर दिया। क्योंकि लोग दूषण को काल कहते थे, इसलिए उसके वध के कारण भगवान शिव का नाम महाकाल पड़ा। भगवान शिव के दर्शन पाकर शिव भक्त धन्य हो । जिसके बाद उन्होंने भगवान शिव से वहीं बसने की प्रार्थना की। अपने भक्तों की आस्था से प्रसन्न होकर भगवान भोलेनाथ ने ज्योतिर्लिंग का रूप धारण किया।

 

मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में शिप्रा नदी के तट पर भगवान शिव महाकाल के रूप में विराजमान हैं। द्वादश ज्योतिर्लिंगों में यह तीसरे स्थान पर आता है। उज्जैन में स्थित यह ज्योतिर्लिंग देश का इकलौता महाकालेश्वर शिवलिंग है जो कि दक्षिण मुखी है। मंदिर से अनेक प्राचीन परंपराएं जुड़ी हैं। वहीं, इस मंदिर के कई अनसुलझे रहस्य भी हैं। भगवान शिव के कई नाम हैं, सदियों से उन्हें महादेव, भोलेनाथ, शंकर, शंभू, त्रिलोकपति के नाम से पुकारा जाता रहा है लेकिन उज्जैन में उन्हें महाकाल के नाम से पुकारा जाता है।काल का वध करने के कारण बाबा महाकाल की पूजा का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा महाकाल की आराधना करता है, उसे कभी मृत्यु का भय नहीं डराता न ही कभी उसकी अकाल मृत्यु होती है।

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