26 को महाकुंभ समापन : समस्त नागा साधुओं और संत महात्माओं की वापसी
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
इलाहाबाद। महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा.
महाकुंभ से इस दिन चले जाएंगे नागा साधु, फिर इतने साल बाद दोबारा दिखेंगे
महाकुंभ का आगाज हो चुका है. 13 जनवरी से 26 फरवरी तक महाकुंभ चलेगा. इसमें अलग-अलग अखाड़ों के साधु-संत आए हुए हैं. हर बार की तरह इस बार भी नागा साधु संगम पहुंचे हुए हैं. नागा साधुओं को लेकर लोगों में खूब उत्सुकता रहती है. पूरे शरीर पर भस्म, हाथों में त्रिशूल लेकर चलने वाले नागा साधुओं का क्रेज रहता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस बार के महाकुंभ में आए नागा साधु कब वापस जाएंगे और फिर कब वापस लौटेंगे.
बता दें कि महाकुंभ का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा. 26 फरवरी के बाद से अगले कुंभ तक फिर ये नागा साधु नजर नहीं आएंगे. ये सभी नागा साधु महाकुंभ के समाप्त होने पर अपने-अपने अखाड़ों में वापस लौट जाएंगे. अब अगला कुंभ नासिक में गोदावरी नदी के तट पर साल 2027 में आयोजित होगा. गोदावरी नदी पर साल 2015 में जुलाई से सितंबर तक कुंभ मेला आयोजित किया गया था.
कहां जाते हैं नागा साधु
कुंभ में अधिकांश नागा साधु दो खास अखाड़ों से आते हैं. एक अखाड़ा वाराणासी का महापरिनिर्वाण अखाड़ा और दूसरा पंच दशनाम जूना अखाड़ा है. इन दोनों अखाड़ों के नागा साधु कुंभ का हिस्सा बनते हैं. कुंभ का पहला अमृत स्नान नागा साधु ही करते हैं और उसके बाद अन्य श्रद्धालुओं को कुंभ स्नान की अनुमित मिलती है. नागा साधु अन्य दिनों में गमछा लपेटकर रहते हैं. जब कुंभ का समापन हो जाता है तो नागा साधु अपने-अपने अखाड़ों में लौट जाते हैं. इन अखाड़ों में नागा साधु ध्यान और साधना करते हैं. साथ ही धार्मिक शिक्षा भी देते हैं. बहुत से नागा साधु हिमालयों, जंगलों और अन्य एकांत स्थानों में तपस्या करने चले जाते हैं. कुछ नागा साधु भभूत लपेटकर हिमालय तपस्या करने जाते हैं. यहां वे कठोर तप करते हैं.
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