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देश के राष्ट्रपति चुनाव में जीत की घोषणा जामा मस्जिद से

देश के राष्ट्रपति चुनाव में जीत की घोषणा जामा मस्जिद से

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

 

नई दिल्ली।तत्कालीन भारत की राष्ट्रपति चुनाव की कथित घोषणा जामा मस्जिद से हूई थी तो दूसरी ओर बिना लॉ की डिग्री वाले व्यक्ति को सुप्रीम कोर्ट का सीजेआई बना दिया

साल था 1967 । यह साल राजनीतिक घटनाक्रमों के लिहाज से ऐतिहासिक साबित हुआ । इस साल दो बड़े वाकयात हुए । पहला इंदिरा गांधी ने तुष्टिकरण की राजनीति के चलते विद्वान राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को हटा अपने “रबड़ स्टांप” जाकिर हुसैन को कांग्रेस की ओर से राष्ट्रपति बनवा दिया । दूसरा कार्य यह किया कि कैलाशनाथ वांचू को देश के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायधीश बना दिया , जबकि उनके पास लॉ की कोई डिग्री नहीं थी ।

 

1967 में हुआ चौथा राष्ट्रपति का चुनाव अलग था । इस चुनाव में कांग्रेस की ओर से जाकिर हुसैन थे तो दूसरी ओर से विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार ,सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस कोका सुब्बा राव, जो इस चुनाव को लड़ने के लिए सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा देकर आए थे ।

 

जाकिर हुसैन इंदिरा गांधी की तुष्टिकरण की नीति के पोस्टर ब्वॉय थे। वह अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 10 साल कुलपति रह चुके थे । उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया जैसी यूनिवर्सिटी की स्थापना की थी । फिर उनको राज्यपाल और उपराष्ट्रपति बनाया गया। लेकिन वे किसी भी द्रष्टिंसे सर्वपिल्ली राधाकृष्णन के पासंग भी नहीं थे । लेकिन केवल वोटो की राजनीति के लिए उनको उम्मीदवार बनाया गया ।

 

राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग 6 मई 1967 को हुई । 9 मई की शाम को जाकिर हुसैन की जीत का ऐलान हो गया । उन्हें 4,71,244 और के. सुब्बाराव को 3,63,911 वोट मिले थे।

मजे की बात देखिए जाकिर हुसैन की जीत की घोषणा दिल्ली की जामा मस्जिद से लाउडस्पीकर से की गई ।नई दिल्ली और पुरानी दिल्ली की सड़कों-गलियों में लाउडस्पीकर से उनकी जीत का ऐलान हो रहा था । मुस्लिम मोहल्लों में लोग खुशी से नाच रहे थे, एक-दूसरे को गले लगा रहे थे जैसे वे ईद मना रहे हो । अब आप यह सोचो कि अगले राष्ट्रपति चुनाव के बाद जीत घोषणा अयोध्या के राम लला के मंदिर से हो जाए , तो कितना बवाल मचेगा । लेकिन यह सब उस दौर में हुआ था ।

इधर चूंकि विपक्षी दलों के उम्मीदवार सुब्बाराव सुप्रीम कोर्ट से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने आए थे , तो उनकी जगह इंदिरा गांधी ने नेहरू परिवार के निकटस्थ कैलाश नाथ वांचू को सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया।

मजे की बात यह की वांचू साहब ने जिंदगी में कभी लॉ की कोई परीक्षा पास नहीं की थी । उनके पास लॉ की कोई डिग्री नहीं थी । उनको जवाहरलाल नेहरू ने बरेली में काम करते समय सीधे उठाकर जज बना दिया था । फिर वह राजस्थान उच्च न्यायालय के पहले मुख्य न्यायाधीश भी बने । और फिर विशेष परिस्थितियों में इंदिरा गांधी ने उन्हें देश के सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बना दिया ।

केजरीवाल को जब जमानत मिली तो यह सब वाकये साहस ध्यान हो आए । सोचा आप सब से शेयर करूं कि देश के उच्च पदों पर पहले कैसे-कैसे खेल हुए है! हम यह सभी को या सच जानने होंगे

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