स्त्रियों की आकांक्षाएं पुरुषों की अपेक्षा कई गुणा अधिक
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
धर्मशास्त्रों में वर्णित एक व्यवस्थित पारिवारिक जीवन एक गैर-जिम्मेदार पापी जीवन से श्रेष्ठ है. यदि कोई पति-पत्नी कृष्ण चेतना में एक साथ रहते हैं और शांति से साथ रहते हैं, तो यह बहुत अच्छा है. हालाँकि, यदि पति अपनी पत्नी से बहुत अधिक आकर्षित हो जाता है और जीवन में अपने कर्तव्य को भूल जाता है, तो भौतिकवादी जीवन के उलझाव फिर से शुरू हो जाएंगे. इसलिए श्रील रूप गोस्वामी ने अनासक्त विषयन (भक्ति-रसामृत-सिंधु 1.2.255) का सुझाव दिया है. काम वासना में लिप्त हुए बिना, पति और पत्नी आध्यात्मिक जीवन की प्रगति के लिए साथ में रह सकते हैं. पति को आध्यात्मिक सेवा में संलग्न होना चाहिए, और पत्नी को वैदिक आज्ञा के अनुसार विश्वास योग्य और धार्मिक होना चाहिए. ऐसा संयोजन बहुत अच्छा होता है. हालाँकि, यदि पति विलासिता के दौरान पत्नी के प्रति बहुत अधिक आकर्षित होता है, तो स्थिति बहुत खतरनाक हो जाती है. सामान्य रूप से स्त्रियाँ बहुत अधिक यौनांग प्रवृत्त होती हैं. वास्तव में, यह कहा जाता है कि एक स्त्री की काम वासना पुरुष की तुलना में नौ गुना अधिक प्रबल होती है. इसलिए एक पुरुष का यह कर्तव्य है कि वह स्त्री को संतुष्ट करके, उसे गहने, अच्छा भोजन और कपड़े देकर, और उसे धार्मिक गतिविधियों में संलग्न करते हुए अपने नियंत्रण में रखे. निस्संदेह, एक स्त्री के कुछ बच्चे होने चाहिए और इस तरह वह पुरुष के लिए व्यवधान नहीं होनी चाहिए. दुर्भाग्यवश, यदि पुरुष केवल सहवास के आनंद के लिए स्त्री से आकर्षित होता है, तो पारिवारिक जीवन घृणित हो जाता है.
महान राजनीतिज्ञ चाणक्य पंडित ने कहा है: भार्या रूपवती शत्रुः–रूपवती पत्नी शत्रु होती है. वास्तव में प्रत्येक स्त्री अपने पति की दृष्टि में सुंदर ही होती है. हो सकता है अन्य लोग उसे बहुत सुंदर न मानें, लेकिन पति, उससे बहुत आकर्षित होने के कारण, उसे हमेशा बहुत सुंदर पाता है. यदि पति अपनी पत्नी को बहुत सुंदर समझता है तो यह समझना चाहिए कि वह उसके प्रति बहुत आकर्षित है. यह सर्वांग आकर्षण मुखमंडल और वक्षस्तन का आकर्षण ही है. समस्त संसार भौतिक प्रकृति के दो प्रकारों रजो-गुण (वासना) और तमो-गुण (अज्ञान) के वश में है. सामान्तः स्त्रियाँ बहुत आवेगपूर्ण और संवेदनशील होती हैं और कम बुद्धिमान होती हैं; इसलिए किसी भी प्रकार से किसी भी व्यक्ति को अपने आवेगों और अज्ञान के नियंत्रण में नहीं रहना चाहिए. भक्ति-योग, या आध्यात्मिक सेवा करके, व्यक्ति को अच्छाई के स्तर तक उठाया जा सकता है. यदि साधुता की अवस्था में स्थित पति अपनी पत्नी पर नियंत्रण रख सके, जो वासना और अज्ञानता के वश में है, तो स्त्री का लाभ होगा. वासना और अज्ञानता के लिए अपने प्राकृतिक झुकाव को भूलकर, स्त्री अपने पति के लिए आज्ञाकारी और वफादार बन जाती है, जो साधुता की स्थिति में है. ऐसा जीवन बहुत स्वागत योग्य हो जाता है. तब पुरुष और स्त्री की बुद्धिमत्ता बहुत अच्छी तरह से एक साथ कार्य कर सकते हैं, और वे आध्यात्मिक साक्षात्कार की दिशा में एक साथ प्रगति के पथ पर बढ़ सकते हैं. अन्यथा, पत्नी के नियंत्रण में आकर पति साधुता के अपने गुण को खो देता है और वासना और अज्ञान के गुणों के अधीन हो जाता है. इस प्रकार स्थिति प्रदूषित हो जाती है.
निष्कर्ष यह है कि एक गृहस्थ जीवन उत्तरदायित्व से रहित पापमय जीवन से श्रेष्ठ है, लेकिन यदि गृहस्थ जीवन में पति, पत्नी के अधीन हो जाता है, तो भौतिकवादी जीवन में भागीदारी फिर से प्रमुख हो जाती है. इस प्रकार पुरुष का भौतिक बंधन बढ़ जाता है. इसके कारण ही, वैदिक प्रणाली के अनुसार, व्यक्ति को एक निश्चित आयु के बाद वानप्रस्थ और संन्यास के चरणों के लिए अपने पारिवारिक जीवन को छोड़ने का सुझाव दिया जाता है.
स्त्री और पुरुष दोनों में कितनी उम्र तक सेक्स करने की क्षमता होती है?
सेक्स संबंधों पर आयु का कोई प्रभाव नही पड़ता हैं।जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, वह आहिस्ता चलता है, आहिस्ता बोलता है, साथ ही उसका इरेक्शन भी आहिस्ता होता है। यह जानना जरूरी है कि बढ़ती उम्र में पुरुष को इरेक्शन आने में ज्यादा वक्त लगेगा। इसी तरह स्त्रियों में जननांग में लुब्रिकेशन जरा देरी से होगा, इसलिए बढ़ती उम्र में इंसान को फोरप्ले में ज्यादा वक्त गुजारना चाहिए। ढलती उम्र में यह भी समझना चाहिए कि ज्यादा मजा कई बार सफर में है, मंजिल में नहीं। समय के साथ-साथ वीर्य के रंग में भी थोड़ा-बहुत बदलाव आता है। जो वीर्य पहले सफेद था, वह अब हल्का पीला दिखाई देगा। वह ज्यादा पतला होगा। उसकी मात्रा में भी कमी आएगी। जिन लोगों को इसकी जानकारी नहीं होती, उनमें बेवजह एक फिक्र बनी रहती है और वे इसके लिए चिंतित रहते हैं। यह धारणा बना लेते हैं कि उनमें कुछ कमजोरी है, जबकि यह बहुत नॉर्मल है। कई बार बढ़ती उम्र में पुरुष संबंध बनाने में एक-दो बार फेल हो जाता है तो उसे लगता है कि मैं बुढ़ापे या नामर्दी का शिकार हो गया हूं। ऐसे में वह कई बार आगे सेक्स करने की कोशिश भी छोड़ देता है। हकीकत में, पुरुष को समझना चाहिए कि नाकामयाबी एक सामान्य बात है। इसका मतलब अंत नहीं। एक जवान सोचे कि मैं बूढ़ा बन गया हूं तो वह बूढ़ा बन जाता है। उसी तरह, एक बूढ़ा भी सोचे कि मैं जवान हूं तो वह जवान बन जाता है। ज्यादातर सेक्स दिमागी होता है और यह समझना जरूरी है कि कोई भी नॉर्मल आदमी आखिरी दम तक सेक्स कर सकता है क्योंकि सेक्स की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती। यह गलतफहमी है कि 60 साल के बाद सेक्स संभव नहीं है। दरअसल सेक्स दो कानों के बीच में यानी दिमाग में होता है। अगर कोई जवान अपने को बूढ़ा मानने लगे तो उसकी इच्छा और क्षमता पर असर दिखेगा और अगर बूढ़ा भी सोच से जवान है, तो वह खुलकर अपनी जिंदगी जी सकता है। अगर ब्लड प्रेशर या डायबीटीज की शिकायत नहीं है, शरीर स्वस्थ है, नियमित एक्सर्साइज करते हैं और शराब, सिगरेट से दूर रहते हैं, तो यह क्षमता बढ़ती उम्र में भी रहती है। इसमें सोच और पार्टनर का सहयोग बेहद अहम होता है।
पहले के जमाने में यानि पुराने जमाने में शर्म नाम की कोई चीज होती थी ।बचपन में लड़की चड्डी पहनती थी ।शादी के बाद पेटी कोट साड़ी पहनने लगी ।उस जमाने में नई नवेली दुल्हन बाजार जा नहीं सकती थी ,दूल्हा अपने आप को कपड़ा खरीद नहीं सकते थे ।क्योंकि वह अपने सयानो पर आश्रित होते थे ।दुल्हन के लिए चड्डी कौन लाये ?दुल्हन का खूब मन है चड्डी पहनने का, शर्म के कारण किसी से कहती नहीं ।शर्म के कारण दूल्हा स्वयं चड्डी लाता नहीं, मजबूरी में स्त्री बिना चड्डी के रहने लगी ।धीरे-धीरे उसे बिना चड्डी पहने रहने की आदत पड़ गई ।इस प्रकार वही स्थिति हर घर मे हर समाज में पैदा होती गई ।फिर इस स्थिति को रिवाज बना दिया गया ।जिसे आधुनिक समाज में खत्म करना चाहिए ।चड्डी पहनने से स्त्री के शरीर में कसावट आती है ।चड्डी पहनने से स्त्री अपने आप को हल्का समझती है ।चड्डी पहनने के बाद स्त्री अपने आप को सुरक्षित समझती है ।तदहेतु पराई कितनी ही सुंदर और खूबसूरत हो उससे बचना चाहिए क्योंकि पर स्त्री गमन और पर पुरुष गमन से मानहानी बदनामी और लोकमर्यादा भंग तो होती ही है अपितु वह शुक्र वीर्य क्षीणता से मानसिक और शारीरिक पिरालिसेस के कारण अकाल मृत्यू की तरफ अग्रसर होने की प्रवल संभावना बनी रहती है?
सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-
उपरोक्त समाचार सामान्य ज्ञान के लिए आयुर्विज्ञान, कामशास्त्र और अन्य शास्त्रों से संग्रहित किया गया है?