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धार्मिक

(भाग:286) शिव अनादि ब्रम्ह देवाधिदेव महादेव की महिमा और रुद्र के 19 अवतारों का रहस्य

भाग:286) शिव अनादि ब्रम्ह देवाधिदेव महादेव की महिमा और रुद्र के 19 अवतारों का रहस्य टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट सनातन धर्म में शंकर जी को संहार का देवता कहा जाता है। शंंकर जी सौम्य आकृति एवं रौद्ररूप दोनों के लिए विख्यात हैं। शंकर या महादेव आरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन में शिव धर्म (शैव धर्म) नाम से …

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(भाग:285) भक्तजनों के लिए करुणा के सागर है भगवान देवाधिदेव महादेव की जय हो

भाग:285) भक्तजनों के लिए करुणा के सागर है भगवान देवाधिदेव महादेव की जय हो टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट भगवान शिव करुणा के सागर हैं। वे अपने भक्त पर जितनी जल्दी करुणा बरसाते हैं उतनी जल्दी कोई देवता प्रसन्न नहीं होता। भगवान शिव को प्रसन्न करना बेहद आसान है। वे तो महज एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते …

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बागेश्वर बाबाविरोधात नागपुरात दाखल झालाय गुन्हा : जुमदेव महाराजांबाबत आक्षेपार्ह वक्तव्य

मानवधर्माची शिकवण देणाऱ्या बाबा जुमदेव महाराज आणि त्यांच्या परमात्मा एक सेवकांबद्दल वादग्रस्त व आक्षेपार्ह विधान बागेश्वर धामचे धीरेंद्र शास्त्री महाराज उर्फ बागेश्वर बाबा यांनी भंडाऱ्याच्या मोहाडीत झालेल्या भागवत सप्ताहात केले.   बागेश्वर बाबांच्या या वक्तव्यामुळे बाबा जुमदेव महाराज यांना मानणाऱ्या हजारो सेवकांच्या भावना दुखावल्या आहेत. या बागेश्वर बाबांविरुद्ध गुन्हे दाखल करून दुपारी ४ वाजेपर्यंत अटक करावी, अशी मागणी केली जात …

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(भाग:283)भगवान निष्ठावान सज्जन जन भक्तों के मासूम व्यवहार से बहुत ही प्रशन्न रहते है

भाग:283)भगवान निष्ठावान सज्जन जन भक्तों के मासूम व्यवहार से बहुत ही प्रशन्न रहते है टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट साधना में प्रमुख मन है , इंद्रियाँ नहीं प्यारी | मोक्ष अरु बंधन का कारण , एक मन ही प्रिय | प्रथम कुरु हरि ध्यान मन ते , जैसी रुचि हो प्रिय | साधना में है प्रमुख मन, इंद्रियां नहीं प्यारे …

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(भाग:284) चार प्रकार के भक्तों में ज्ञानी भक्त भगवान को बहुत ही प्रिय है माने गये है

भाग:284) चार प्रकार के भक्तों में ज्ञानी भक्त भगवान को बहुत ही प्रिय है माने गये है टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट ज्ञानी भक्त अधिक उच्च कोटिका समझा जाता है। क्योंकि मैं ज्ञानियों का आत्मा हूँ इसलिये उसको अत्यन्त प्रिय हूँ। संसार में यह प्रसिद्ध ही है कि आत्म ज्ञानी ही भगवान को सबसे प्रिय होता है। इसलिये ज्ञानीका आत्मा …

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(भाग:282)निष्कलं,निष्पाप और निरपराध भक्तों की अंतरात्मा की आबाज सुनता और आत्मरक्षा भी करता है ईश्वर 

भाग:282),निष्कलं,निष्पाप और निरपराध भक्तों की अंतरात्मा की आबाज सुनता और आत्मरक्षा भी करता है ईश्वर टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट श्रीमद्भागवत में सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान मौजूद है। श्रीमद्भागवत अतीत में मौजूद समस्याओं और वर्तमान में मौजूद समस्याओं का समाधान प्रस्तुत करता है। भागवत के समुचित श्रवण से भविष्य की समस्याओं का भी समाधान हो सकता है। श्रीमद्भागवत …

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(भाग : 281) परमात्मा सर्व व्यापक सबके ह्रदय में विराजमान है उन्ही से मिलती निरंतर स्मृति ज्ञान और विस्मृतियां

(भाग : 281) परमात्मा सर्व व्यापक सबके ह्रदय में विराजमान है उन्ही से मिलती निरंतर स्मृति ज्ञान और विस्मृतियां टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट सर्वस्य चाहं हृदय सन्निविष्टो मत्तः स्मृतिर्जनमोहनं च | वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो वेदांतकृद्वेदविदेव चाहम् || 15 अनुवाद श्रीमदभागवत गीता भगवान श्रीकृष्णचंद्र कहते हैं कि मैं सर्व व्यापक सबके हृदय में विराजमान हूं और मुझसे ही स्मृति, ज्ञान …

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(भाग:280)जिस व्यक्ति में ईश्वरीयपूर्ण प्रेम भक्ति,आस्था और करुणा है, ईश्वर उसके भीतर विराजमान है

भाग:280)जिस व्यक्ति में ईश्वरीयपूर्ण प्रेम भक्ति,आस्था और करुणा है, ईश्वर उसके भीतर विराजमान है टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट यजुर्वेद में कहा गया है कि परमेश्वर ऊपर से, नीचे से, बीच से, इधर-उधर से किसी भी तरह किसी की पकड़ या अधीन में नहीं आ सकता है। जिस व्यक्ति में प्रेम और करुणा है, ईश्वर उसके भीतर विराजमान है जिस …

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(भाग:279) भविष्य पुराण के अनुसार छल-कपट विश्वासघात बेईमानी और भ्रष्टाचार से कमाया धन अशांति पैदा करता है

भाग:279) भविष्य पुराण के अनुसार छल-कपट विश्वासघात बेईमानी और भ्रष्टाचार से कमाया धन अशांति पैदा करता है टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट भविष्य पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अपने जीवन काल में झूठ छल,कपट,विश्वासघात बेईमानी, अन्याय और भ्रष्टाचार से धन दौलत कमाता है वह धन दौलत जीवन में अशांति और बेचैनी पैदा करती है। ऐसे धन को धर्म के काम …

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(भाग:278) जीव पर ईश्वर की असीम कृपा होती है तभी जीव को मनुष्य योनि प्राप्त होती है। 

भाग:278) जीव पर ईश्वर की असीम कृपा होती है तभी जीव को मनुष्य योनि प्राप्त होती है। टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट जब जीव पर ईश्वर की असीम कृपा होती है तभी जीव को मनुष्य योनी प्राप्त होती है। मनुष्य मानव जीवन के सहारे अपने पिछले वर्तमान व भविष्य को ठीक कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त कर सकता है। मानव …

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