धार्मिक

(भाग :353) सनातन हिंदू धर्म में पत्नी के त्याग को लेकर क्या कहता है पुराण

(भाग :353) सनातन हिंदू धर्म में पत्नी के त्याग को लेकर क्या कहता है पुराण टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री : सह-संपादक रिपोर्ट श्री नारायण भगवान विष्णू भक्त ध्रूव के वन में चले जाने के बाद राजकुमार उत्तम को सिंहासन पर बैठाया गया। राजा उत्तम बहुत धर्मात्मा थे, लेकिन एकबार उन्होंने क्रोध में अपनी पत्नी से अप्रसन्न होकर राजमहल से निकाल दिया …

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श्वांस अनमोल है प्रतिकक्षण भगवन नाम स्मरण जरुरी : कथा व्यास आचार्य कृष्ण शास्री के उदगार

श्वांस अनमोल है प्रतिकक्षण भगवन नाम स्मरण जरुरी : कथा व्यास आचार्य कृष्ण शास्री के उदगार टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट छिन्दवाडा। मध्यप्रदेश के छिन्दवाडा जिले के गोपालपुर मे आयोजित श्रीमद्भागवत कथा व्यास आचार्य श्री शुभम् कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने कहा कि श्वांस बहुमूल्य है इसलिए हमारी एक भी श्वांस व्यर्थ नहीं जाए, क्योंकि मुह से निकली श्वांस वापस …

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आचार्य शुभम् कृष्ण शास्त्री द्धारा 84 कोस बृन्दावनधाम की मंहिमा का वर्णन

आचार्य शुभम् कृष्ण शास्त्री द्धारा 84 कोस बृन्दावनधाम की मंहिमा का वर्णन टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट छिन्दवाडा जिले के गोपालपुर ग्राम में श्रीमद भगवत पुराण कथा व्यास आचार्य शुभम् कृष्ण शास्त्री जी महाराज ने 84 कोस बृन्दावन धाम का आलौकिक वर्णन करते हुए कहा कि यह बृन्दावनधाम ब्रज का हृदय स्थल है ,जहां ठाकुर जी औेर माता राधिका अवतरित …

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(भाग:351)ऋषि गौतम पर गौ हत्या का दोष मढा गया था?

(भाग:351)ऋषि गौतम पर गौ हत्या का दोष मढा गया था? टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट प्रशांत प्रभु ने कहा कि बेदाग, , निष्कलंक, निष्पाप और निरपराध गौतम ऋषि ने शिव गायत्री सिद्ध करके संसार को गौतमी नदी प्रदान की, उनके यश और कीर्ति को देख करके कुछ कपटी और मायावी मुनियों ने उनके यज्ञ कुंड पर षड़यंत्र करके एक अत्याधिक …

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(भाग:350) प्राणियों के लिए दोषरहित आचरण करना चाहिए गौतम बुद्ध के अनमोल विचार

(भाग:350) प्राणियों के लिए दोषरहित आचरण करना चाहिए गौतम बुद्ध के अनमोल विचार टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट बुद्ध शाक्यमुनि की छठी शताब्दी के अंत में बुद्ध की पहली जीवन शिक्षा के बारे में कहा जाता है कि उन्हें शिष्यों की पीढ़ियों द्वारा लिखा गया था, इससे पहले कि उन्हें लिखा गया और धर्मग्रंथ के रूप में संहिताबद्ध किया गया, …

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(भाग:348)धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव के प्रकोप से नौतपा में चिलचिलाती तेज धूप 

(भाग:348)धर्म शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव के प्रकोप से नौतपा में चिलचिलाती तेज धूप टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट शास्त्रों के अनुसार, जब सूर्य देव ज्येष्ठ महीने में रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तब दिन पर दिन गर्मी बढ़ती जाती है. रोहिणी नक्षत्र को चंद्र देव का नक्षत्र माना जाता है. सूर्य देव के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने …

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(भाग:347)निसर्ग प्रकृतिक परमात्मा संसार की निशुल्क सेवा प्रदान कर रहा है

(भाग:347)निसर्ग प्रकृतिक परमात्मा संसार की निशुल्क सेवा प्रदान कर रहा है टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट यह कटु सत्य है कि प्रकृतिक निसर्ग परमात्मा सकल संसार ही नहीं अपितु सकल ब्रह्मांड की निशुल्क सेवा प्रदान कर रहा है? जैसे निशुल्क प्राणवायू, चंद्र सीतलता-सूर्य ऊर्जा,आकाश गंगाजल और सकल विश्व ब्रह्मांड का संचालन संचलन और निर्देशन और परिपालन कर रहा है? परंतु …

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(भाग:346)यमराज को लौटना पडा खाली हाथ?श्री शिव द्धारा मार्कण्डेय ऋषि मिला दीर्घायु का वरदान

भाग:346)यमराज को लौटना पडा खाली हाथ?श्री शिव द्धारा मार्कण्डेय ऋषि मिला दीर्घायु का वरदान   टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट   मार्कंडेयश्वर। परमं श्री शिवभक्त मार्कंडेय ऋषि देवस्थान से यमराज भीखाली हाथ वापस लौटना पड़ा था? मार्कण्डेय ऋषि को देवाधिदेव भगवान शिव ने दीर्घायु का वरदान दिया था? इस मंदिर देवस्थान में दिवाली से एक दिन पूर्व नरक चौदस पर …

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(भाग:345) नि:स्वार्थ सेवा कर्म भाव ही कामयाबी और प्रगति का मूल मंत्र

(भाग:345) नि:स्वार्थ सेवा कर्म भाव ही कामयाबी और प्रगति का मूल मंत्र टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर्म का भाव रखना ही जीवन में कामयाबी और प्रगति का मूलमंत्र है। निस्वार्थ भाव रखते हुए समाज हित में लगातार कार्य करना ही मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। -सेवा करने से हमेशा अच्छे संस्कार हमें मिलते …

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(भाग:344) निसर्ग परमात्मा मनुष्यों को अच्छे गुण धर्म, कर्म और स्वभाव में प्रवृत करता है।

(भाग:344) निसर्ग परमात्मा मनुष्यों को अच्छे गुण धर्म, कर्म और स्वभाव में प्रवृत करता है। टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट एक बार एक आचार्य अपने शिष्यों की कक्षा ले रहे थे। उन्होंने गुरु द्रोणाचार्य का उदहारण दिया। गुरु द्रोणाचार्य ने एक बार युधिष्ठिर और दुर्योधन की परीक्षा लेने का निश्चय किया। द्रोणाचार्य ने युधिष्ठिर से कहा की जाओ और कहीं …

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