जीवन में सच्चा और सही व्यक्ति वही है जिनमें सतर्कता समय सूचकता अनुशासन शिष्टाचार्य और कर्तव्य पारायणता के गुण
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
दुनियाभर में पूरा जीवन एक व्यक्ति गुजार देता है लेकिन उसकी सही तौर पर पहचान नहीं कर पाता जिसकी वजह से उन्हें कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है
आचार्य चाणक्य ने व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कई सारी गूढ़ बातों को अपने नीति शास्त्र में बताने और समझाने की कोशिश की है. चाणक्य ने मनुष्य को उसके कर्मों के आधार पर कई सारी श्रेणियों में बांटा है. उनके स्वभाव और गुणों के बारे में भी बहुत कुछ बताया है. हालांकि, उनकी नीतियां लोग अपनाने से कतराते रहते हैं लेकिन इन नीतियों को अपनाने से आपके जीवन की रूपरेखा ही बदल सकती है.
इस भाग-दौड़ वाली जिंदगी में आचार्य चाणक्य की नीतियां बहुत ही असरदार हैं, जब हम उनका अपने जीवन में पालन करें. पूरा जीवन एक व्यक्ति गुजार देता है लेकिन एक व्यक्ति की सही तौर पर पहचान नहीं कर पाता जिसकी वजह से उन्हें कई तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है. अगर आप भी लोगों की पहचान करने में खुद को सक्षम नहीं पाते हैं और बार-बार ठोकर खाते हैं तो आपको आज आचार्य चाणक्य की इस नीति को जरूर जानना चाहिए, जिसमें एक व्यक्ति के अच्छे और सही गुणों के बारे में एक श्लोक के माध्यम से बताया गया
यथा चतुर्भि: कनकं परीक्ष्यते निर्घर्षणं छेदनतापताडनै:। तथा चतुर्भि: पुरुषं परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा।।
इस श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य कहते हैं कि घिसने, काटने, तपने और पीटने से सोने की परख हो पाती है. ठीक उसी तरह एक व्यक्ति की सही पहचान उसके आचरण, गुण, त्याग और कर्म से होती है.
1. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि एक अच्छा और सच्चा व्यक्ति वही है जिसमें त्याग की भावना होती है. जो व्यक्ति दूसरों के सुख के लिए कुछ भी नहीं कर सकता, वो भला इंसान हो ही नहीं सकता.
2. एक व्यक्ति को परखने के लिए उसका आचरण यानी चरित्र बहुत मायने रखता है. जो व्यक्ति बुराइयों से दूर रहते हैं और दूसरों के लिए गलत भावना अपने मन में नहीं रखते हैं, वो श्रेष्ठ होते हैं.
3. एक व्यक्ति की सही पहचान करने के लिए ये देखना भी बहुत जरूरी होता है कि वो अगर ज्यादा गुस्सा करता है, बात-बात पर झूठ बोलता है, अहंकार से भरा है और दूसरों का अपमान ही करता है तो ऐसे व्यक्ति दूसरों का भला कभी भी नहीं कर सकते.
4. आचार्य चाणक्य कहते हैं कि, व्यक्ति किस स्थिति में, कुल में जन्मा है और उसके कर्म कैसे हैं. इस आधार पर भी सही व्यक्ति की पहचान की जा सकती है।
चाणक्य कहते हैं कि अच्छे बुरे लोग जीवन में सदा सबको मिलते रहते हैं। परंतु सब लोग उन्हें पहचान नहीं पाते, कि “कौन व्यक्ति अच्छा है, और कौन बुरा?”
जो लोग विशेष बुद्धिमान होते हैं, प्रमाणों से परीक्षण करना जानते हैं, वे लोग दूसरों का परीक्षण करते हैं, और पहचान लेते हैं कि “यह व्यक्ति मेरे लिए हितकारी है, और यह व्यक्ति हानिकारक है।”
जब ऐसी पहचान हो जावे, कि यह व्यक्ति अच्छा है, मेरे लिए सुखदायक है। “तो ऐसे व्यक्ति से संपर्क होना, ईश्वर की कृपा और आपका सौभाग्य है, ऐसा समझना चाहिए।”
परंतु उस अच्छे व्यक्ति के साथ आपका संपर्क होने पर भी, “अब भविष्य में कितने समय तक आप उसके साथ अपना संबंध बनाए रखेंगे, और उससे लाभ लेते रहेंगे, यह तो आप की बुद्धिमत्ता और पुरुषार्थ पर आधारित है।”
“यदि आपमें बुद्धिमत्ता अच्छे संस्कार धैर्य और पुरुषार्थ आदि गुण नहीं हैं, तो अच्छे व्यक्तियों को प्राप्त करके भी, आप ईश्वर की कृपा का लाभ नहीं ले पाएंगे। और अपना सौभाग्य खोकर अपना जीवन नष्ट कर देंगे।”
“यदि आपमें बुद्धिमत्ता है, पूर्व जन्मों के अच्छे संस्कार हैं, आप धैर्यशाली और पुरुषार्थी हैं, तो आप ऐसे अच्छे लोगों से संबंध बनाए रखते हुए जीवन भर भी उनसे लाभ ले सकते हैं।”
“इसलिए प्रमाणों से सबका परीक्षण करते हुए अच्छे/बुरे लोगों को पहचानें। ईश्वर की कृपा और अपने सौभाग्य को जगाएं। अच्छे लोगों के साथ बुद्धिमत्ता और सभ्यतापूर्वक व्यवहार करते हुए उनसे जीवन भर लाभ उठाएं। तभी आपका जीवन सफल होगा, अन्यथा नहीं?