भाग:238) यहां हुआ था श्रीराम-रावण का युद्ध, ये हैं श्रीलंका में रामायण काल के 5 स्थल
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
श्रीलंका जो कभी दशानन रावण की नगरी हुआ करती थी अब श्रीलंका के नाम से प्रसिद्ध है। हम आप को उन पांच जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आज भी रामायण की निशानियां मिलती है।
श्रीराम-रावण का युद्ध, ये हैं श्रीलंका में रामायण काल के 5 स्थल बतलाए जाते है
श्रीलंका की रामायण रिसर्च कमेटी की जानकारी की मानें तो अबतक हुए अनुसंधान में भगवान हनुमान का श्रीलंका में प्रवेश के लिए उत्तर दिशा में नागदीप पर निशान मिले हैं। अनुसंधान के दौरान उस स्थान की भी तलाश पुरी कर ली गई है, जिस जगह पर राम व रावण के बीच भीषण व निर्णायक युद्घ हुआ था। श्रीलंका में आज भी उस युद्घ-स्थान को युद्घगनावा नाम से जाना जाता है जहां पर रावण का भगवान राम ने वध किया था।
लंका में यहां रुकी थी माता सीता
माता सीता का हरण करने के बाद अशोक वाटिका वो जगह है जहां रावण ने माता सीता को रखा था। अब इस जगह को सेता एलीया के नाम से जाना जाता है। ये नूवरा एलिया नामक जगह के पास है। यहां सीता जी का एक मंदिर है। पास में एक झरना भी बहता है। मान्यता है कि देवी सीता यहां स्नान किया करती थीं। इस झरने के आसपास की चट्टानों पर हनुमान जी के पैरों के निशान भी मिलते हैं। यही वो पर्वत है जहां हनुमान जी ने पहली बार कदम रखा था। इसे पवाला मलाई कहते हैं। ये पर्वत लंकापुरा और अशोक वाटिका के बीच में है।
यहां गिरे थे माता सीता के अश्रु
रावण जब सीता माता को हरण करके ले जा रहा था इस जगह सीता जी के आंसू गिरे थे। तब से इस जगह को सीता अश्रु ताल कहा जाता है। श्रीलंका में कैंडी से लगभग 50 किलोमीटर दूर नम्बारा एलिया मार्ग पर एक तालाब मौजूद है। इसे सीता टियर तालाब कहते हैं। बेहद गर्मी के दिनों में जब आसपास के कई तालाब सूख जाते हैं पर ये कभी नहीं सूखता है। आसपास के अन्य तालाबों का पानी मीठा है पर इस तालाब का पानी खारा है।
माता सीता ने यहां दी थी अग्नि परीक्षा
श्रीलंका में वेलीमड़ा नामक जगह पर डिवाउरूम्पाला मंदिर है। यहां पर माता सीता ने अग्नि परीक्षा दी थी। स्थानीय लोग इस जगह पर सुनवाई करके न्याय करने का काम करते हैं। मान्यता है कि जिस तरह इस जगह पर देवी सीता ने सच्चाई साबित की थी उसी तरह यहां लिया गया हर फैसला सही साबित होता है।
यहां उतरता था पुष्पक विमान
श्रीलंका में एक शहर है जिसका नाम सिन्हाला है। यहां एक वेरागनटोटा नाम की जगह है जिसका मतलब होता है विमान उतरने की जगह। कहते हैं कि यही वो जगह है जहां दशानन अपना पुष्पक विमान उतरता था।
रावण के देश में गूंज रही है श्रीराम की महिमा, यहां श्रीलंका में बनने जा रहा रामायण सर्किट, भारतीयों को सहूलियत मिलेगी। रामायण सर्किट की खास बात यह है कि इसे देखने के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को एक सहूलियत भी दी गई है। बताया जा रहा है कि यहां भारतीय करेंसी यानी भारतीय रुपया भी चलेगा।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में तो भव्य राम मंदिर बन ही रहा है। अयोध्या से हजारों किलोमीटर दूर दक्षिण में रावण के देश में भी प्रभु श्रीराम की महिमा का गुणगान होगा। भारतीय पर्यटकों के लिए खासतौर श्रीलंका में रामायण सर्किट का निर्माण होने जा रहा है। ये वो स्थान है, जहां भगवान श्रीराम के चरण पड़े थे। यही नहीं यहां पर सीता सर्किट भी होगा। सीताजी को रावण ने यहां अशोक वाटिका में रखा था। रामायण सर्किट की खास बात यह है कि इसे देखने के लिए भारतीय श्रद्धालुओं को एक सहूलियत भी दी गई है। बताया जा रहा है कि यहां भारतीय करेंसी यानी भारतीय रुपया भी चलेगा।
दरअसल श्रीलंका का भारतीय महाकाव्य रामायण के साथ एक समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध है। रामायण में वर्णन है कि जो आज श्रीलंका है इसी लंका के राजा दशानन यानी रावण ने जब सीता मैया का अपहरण किया था, तब भगवान राम ने लंका में युद्ध लड़ा और रावण का वध किया था। रावण महान विद्वान था। रामायण में इस बात का भी वर्णन है कि खुद भगवान राम ने लक्ष्मण से कहा था कि वह रावण से ज्ञान की बातें ग्रहण करें। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार श्रीलंका रामायण सर्किट को फिर से बनाने की प्रक्रिया में है, इसमें एक अलग सीता सर्किट भी शामिल है।
श्रीलंका में हैं रामायण काल के कई रोचक स्थल
श्रीलंका में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका वर्णन रामायण में है। श्रीलंका में कुछ लोकप्रिय रामायण ट्रेल्स में सिगिरिया शामिल है, यहां पत्थरों से निर्मित एक प्राचीन किला है, जिसे राजा रावण का महल बताया जाता है। मान्यता है कि रावण ने सीताजी को सिगिरिया चट्टान के समीप एक गुफा में बंदी बनाकर रखा था। यह श्रीलंका में पर्यटकों की पहली पसंद भी है। वहीं नुवारा एलिया शहर में अशोक वाटिका एक अन्य लोकप्रिय स्थल है। मान्यतानुसार यह वही स्थल है जहां सीता मैया को रखा गया था। यहां सीताजी से हनुमानजी मिले थे और उन्हें भगवान राम की अंगूठी प्रदान की थी।
ये स्थल होंगे रामायण सर्किट में
त्रिंकोमाली शहर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो किसी न किसी रूप में रामायणकाल से जुड़े हुए हैं। कोनेश्वरम मंदिर ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने भगवान शिवजी के सम्मान में करवाया था। रामायणकाल से संबंधित ऐसे ही कुछ स्थल हैं, जिन्हें श्रीलंका में देखा जा सकेगा