अमरकंटक से रेवा माई नर्मदा परिभ्रमण के लिए नागपुर विदर्भ से 612 श्रद्धालुओं का जत्था रबाना
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मां रेवामैया नर्मदा की परिभ्रमण यात्रा महाशिव रात्रि की पूर्व संध्या को अमरकंटक के कपील घाट से शुभारंभ किया गया। मानव धर्म सेवा मंडल और राष्ट्रीय जन चेतना मंच के संयोजक टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक डिजिटल मीडिया विश्वभारत और पं ,शशिकांत शर्मा वरिष्ठ पत्रकार के नेतृत्व में और 612 श्रद्धालुओं ने परिभ्रमण यात्रा मे बढचढकर हिस्सा लिया है। जिसमें सभी 12- 12 राशियों तथा समान नक्षत्रों में जन्में 51- 51 श्रद्धालू शामिल हैं? यह परिभ्रमण यात्रा अमरकंटक या ओंकारेश्वर से शुरू होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वहीं से हो। परिक्रमा अमरकंटक, मे मंडला ,जबलपुर, नअमरकंटक से रेवा माई नर्मदा परिभ्रमण के लिए नागपुर विदर्भ से 612 श्रद्धालुओं का जत्था रबाना
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मां रेवामैया नर्मदा की परिभ्रमण यात्रा महाशिव रात्रि की पूर्व संध्या को अमरकंटक के कपील घाट से शुभारंभ किया गया। मानव धर्म सेवा मंडल और राष्ट्रीय जन चेतना मंच के संयोजक टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक डिजिटल मीडिया विश्वभारत और पं ,शशिकांत शर्मा वरिष्ठ पत्रकार के नेतृत्व में और 612 श्रद्धालुओं ने परिभ्रमण यात्रा मे बढचढकर हिस्सा लिया है। जिसमें सभी 12- 12 राशियों तथा समान नक्षत्रों में जन्में 51- 51 श्रद्धालू शामिल हैं? यह परिभ्रमण 7 बसों में यात्रा अमरकंटक से शुरु हूई
नर्मदा परिक्रमा मे तटवर्ती शहरों में अमरकंटक से मंडला,भेड़ाघाट, ग्वारीघाट जबलपुर, नरसिंहपुर, होशंगाबाद ओंकारेश्वर इंदौर, बड़वानी,झाबुआ, अंकलेश्वर, मीठीतलई, भरूच, नरेश्वर, गुरुदेश्वर, सरदार सरोवर, अलीराजपुर, महेश्वर, मांडू, सूरत,और भरुच तक परिक्रमा जाएगी और भरुच अरबसागर में नाव द्धारा उपासकों को दूसरी तरफ पार किया जाएगा। और वापस अमरकंटक की ओर श्रद्धालुगण होगी?
असंख्य देवी देवता, ऋषि, मुनियों की दिव्य तपस्थली होने के कारण माँ नर्मदा एकमात्र ऐसी सरिता है, जिसकी संपूर्ण परिक्रमा की जाती है। मुख्य रूप से पैदल की जाने वाली इस दिव्य यात्रा में 3 वर्ष 3 महिने एवं 13 दिन का समय लगता है और इसे कलयुग की सबसे बड़ी तपस्या माना जाता है । समयाभाव अथवा शारीरिक अक्षमता के कारण अनेक नर्मदा भक्त यह दिव्य तीर्थ यात्रा, बस जैसे आधुनिक साधन से करते हैं । परंतु माँ नर्मदा के तट की यह दिव्य यात्रा मात्र सामान्य पर्यटन न होकर जीवन परिवर्तित करने वाले विलक्षण आनंद का अनुभव है।
परिक्रमा काल में माँ नर्मदा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन हो, जिन तीर्थ स्थलों का हम दर्शन कर रहे हैं, उसके पौराणिक महत्व का विवरण हमें मिले । नर्मदा पुराण के माध्यम से माँ नर्मदा के कृपाशिर्वाद की अनुभूति प्राप्त हो, साथ ही जीवन शैली एवं शारीरिक परिस्थिती के अनुसार सुविधायुक्त प्रवास भी हो, इसी पावन उद्देश्य से ‘कैवल्यधाम आश्रम’ के संस्थापक पू. गुरुजी पं. श्री अविनाश जी महाराज की प्रेरणा से ‘आध्यात्मिक नर्मदा परिक्रमा का विगत 11 वर्षों से आयोजन किया जाता है। माँ नर्मदा के अद्भुत रहस्यों से परिचित होने के लिए एवं अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक चित्त वाले जिज्ञासु भक्तों को इस अनुपम परिक्रमा यात्रा में सम्मिलित होने का सादर निमंत्रण ह
इंदौर मे देश, विदेश में विख्यात नर्मदा परिक्रमा अब मध्यप्रदेश प्रदेश सरकार करवाएगी। चार हजार किलोमीटर की यात्रा की योजना को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने मंजूरी दे दी है। जिस दिन राजबाड़ा के लाइट एंड साउंड शो का उद्घाटन होगा उसी दिन यह योजना भी शुरू होगी। प्रदेश में ओंकारेश्वर और अमरकंटक से यात्रा शुरू होकर इन्हीं जगह पर समाप्त होगी।
संभागायुक्त संजय दुबे ने नर्मदा परिक्रमा योजना का खाका खींचकर शासन को भेजा था। दुबे के मुताबिक कुछ दिन पहले ही सीएम ने मंजूरी दी है। अब पर्यटन निगम को यात्रा के हिसाब से प्लानिंग करने के लिए कहा गया है। जल्द ही निगम की वेबसाइट, अखबारों में यात्रा की तिथि व कार्यक्रम जारी किए जाएंगे।
ऐसे शुरू होगी परिक्रमा
जिस गंतव्य से यात्रा शुरू होगी वहां ले जाकर यात्रियों को उतारा जाएगा। यात्री अपने हिसाब से पूजा-अर्चना करेंगे, निश्चित किमी तक पैदल सफर तय करेंगे, दिन और रात का भोजन तय स्थान पर होगा। वहां पर रुकने के बाद अगले दिन दूसरे गंतव्य के लिए रवाना होंगे। यहां पर इसी तरह की दिनचर्या होगी। इस तरह 18 से 25 दिन के भीतर यात्रा पूरी होगी। 4000 किमी की यात्रा होगी
18 दिन का रहेगा टूर प्रोग्राम- 2 जगह से होगी शुरुआ- 25500 से 36900 रुपए प्रति व्यक्ति की दर तीन तरह की श्रेणियों में होगी यात्रा
– दुबे के मुताबिक 20 दिन की यात्रा तीन श्रेणियों में की जा सकती है। पहली श्रेणी 25 हजार 500 रुपए प्रति व्यक्ति की है। परंपरागत पैदल मार्ग के जरिए 35 सदस्यों का ग्रुप जा सकता है। तीन हजार किमी की पैदल यात्रा रहेगी। लगभग तीन महीने में यात्रा पूरी होगी। घाट और नदी से लगे हुए गांवों में रुकने, भोजन की व्यवस्था रहेगी। बस से हर पड़ाव पर ले जाकर यात्रियों को उतारा जाएगा।
– 30 हजार रु. में सेमी लक्जरी 14 सीटर मिनी बस से यात्रा होगी। बस के जरिए नर्मदा मैया की परिक्रमा होगी। होटल और भोजन की व्यवस्था भी रहेगी।
प्रतिदिन षोडशोपचार नर्मदा पूजन ।
पांच तीर्थ स्थानों पर विशेष नर्मदा महाश्रृंगार पूजन ।
अमरकंटक में विशेष भव्य महाआरती होती है ।
कैवल्यधाम आश्रम में रमणीय नर्मदा तट पर पंचकुण्डात्मक महामृत्युंजय महायज्ञ एवं विशाल कन्याभोज में सम्मिलित होने का सुअवसर ।
परिक्रमा का मार्ग शास्त्रानुसार होने से, वाहन (अपवाद छोड़कर) विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से बाहर नहीं जाता। इसीलिये दर्शन सूची में उज्जैन, मांडव, द्वारका, सोमनाथ जैसे तीर्थ स्थलों का समावेश नहीं है। इसी कारण ‘आध्यात्मिक नर्मदा परिक्रमा’ में अनेक पूजन अनुष्ठान होने के पश्चात भी माँ नर्मदा तट के सर्वाधिक तीर्थ स्थानों के दर्शन संभव हैं।
उत्तम सुसज्जित होटल में सुखदायक निवास ।
उत्तम संगीत कलाकारों के साथ गीत-संगीत भजनों का आनंद प्राप्त कर सकते हैं।
इन्हीं विशेषताओं के कारण “आध्यात्मिक नर्मदा परिक्रमा के दौरान बीच में नर्मदा की धारा को पार नहीं किया जा सकता है।
असंख्य देवी देवता, ऋषि, मुनियों की दिव्य तपस्थली होने के कारण माँ नर्मदा एकमात्र ऐसी सरिता है, जिसकी संपूर्ण परिक्रमा की जाती है। मुख्य रूप से पैदल की जाने वाली इस दिव्य यात्रा में 3 वर्ष 3 महिने एवं 13 दिन का समय लगता है और इसे कलयुग की सबसे बड़ी तपस्या माना जाता है । समयाभाव अथवा शारीरिक अक्षमता के कारण अनेक नर्मदा भक्त यह दिव्य तीर्थ यात्रा, बस जैसे आधुनिक साधन से करते हैं । परंतु माँ नर्मदा के तट की यह दिव्य यात्रा मात्र सामान्य पर्यटन न होकर जीवन परिवर्तित करने वाले विलक्षण आनंद का अनुभव है।
परिक्रमा काल में माँ नर्मदा का शास्त्रोक्त विधि से पूजन हो, जिन तीर्थ स्थलों का हम दर्शन कर रहे हैं, उसके पौराणिक महत्व का विवरण हमें मिले । नर्मदा पुराण के माध्यम से माँ नर्मदा के कृपाशिर्वाद की अनुभूति प्राप्त हो, साथ ही जीवन शैली एवं शारीरिक परिस्थिती के अनुसार सुविधायुक्त प्रवास भी हो, इसी पावन उद्देश्य से ‘कैवल्यधाम आश्रम’ के संस्थापक पू. गुरुजी पं. श्री अविनाश जी महाराज की प्रेरणा से ‘आध्यात्मिक नर्मदा परिक्रमा का विगत 11 वर्षों से आयोजन किया जाता है। माँ नर्मदा के अद्भुत रहस्यों से परिचित होने के लिए एवं अविस्मरणीय अनुभव प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक चित्त वाले जिज्ञासु भक्तों को इस अनुपम परिक्रमा यात्रा में सम्मिलित होने का सादर निमंत्रण है।
यात्रा विशेषता :
कैवल्यधाम आश्रम में रमणीय नर्मदा तट पर पंचकुण्डात्मक महामृत्युंजय महायज्ञ एवं विशाल कन्याभोज में सम्मिलित होने का सुअवसर ।
परिक्रमा का मार्ग शास्त्रानुसार होने से, वाहन (अपवाद छोड़कर) विंध्याचल और सतपुड़ा पर्वत श्रेणी से बाहर नहीं जाता। इसीलिये दर्शन सूची में उज्जैन, मांडव, द्वारका, सोमनाथ जैसे तीर्थ स्थलों का समावेश नहीं है। इसी कारण ‘आध्यात्मिक नर्मदा परिक्रमा’ में अनेक पूजन अनुष्ठान होने के पश्चात भी माँ नर्मदा तट के सर्वाधिक तीर्थ स्थानों के दर्शन संभव हैं।
उत्तम सुसज्जित होटल में सुखदायक निवास ।
त्तम संगीत कलाकारों के साथ गीत-संगीत भजनों का आनंद । इन्हीं विशेषताओं के कारण “आध्यात्मिक नर्मदा परिक्रमा” मात्र पर्यटन न होकर एक अविस्मरणीय अनुष्ठान है