भाग:262) सीता जी को बनवास? महर्षि वाल्मीकि ने आश्रय दिया जहां उन्होनें लव-कुश के जन्म दिया
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम द्धारा माता सीता जी को बनवास दिया गया उन्हे महर्षि वाल्मीकि ने आश्रय दिया था। सीताजी ने लव और कुश को जन्म दिया था। वाल्मीकि रामायण के उत्तर कांड की रामायण अनुसार समाज के द्वारा माता सीता को अपवित्र माने के कारण राम और सीता के आदेश के चलते लक्ष्मण उन्हें वाल्मीकि आश्रम में छोड़कर आ जाते हैं। वाल्मीकि आश्रम में सीता वनदेवी के नाम से रहती हैं। उस समय वह गर्भवती रहती हैं। वह वहीं दो जुड़वा लव और कुश को जन्म देती हैं
जब श्री राम रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस आए और उनका राज्याभिषेक किया गया उसके बाद श्री राम ने माता सीता को त्याग दिया था और उन्हें उस समय वन में रहना पड़ा था. तब माता सीता गर्भवती थीं और ऋषि वाल्मीकी ने उन्हे आश्रय दिया था।
लव-कुश ने हनुमान जी को बंधक बना लिया था.
लव-कुश ने हनुमान जी को बंधक बना लिया था.
रामायण हिन्दू धर्म के प्रमुख धर्म ग्रंथों में से एक है, और हम सभी ने रामायण पढ़ी या देखी तो ज़रुर होगी. रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी. जिसमें प्रभु श्री राम (Lord Shri Ram) के जीवन को दर्शाया गया है. रामायण में एक वृतांत मिलता है जिसका सम्बन्ध श्री राम के पुत्रों लव और कुश के जन्म और माता सीता (Goddess Seeta) के पाताल जाने से जुड़ा हुआ है. वह कुछ इस प्रकार है कि जब श्री राम रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस आए और उनका राज्याभिषेक किया गया उसके बाद श्री राम ने माता सीता को त्याग दिया था और उन्हें उस समय वन में रहना पड़ा था. तब माता सीता गर्भवती थीं और उन्हें ऋषि वाल्मीकि ने अपने आश्रम में शरण दी थी. वहीं माता सीता ने अपने दोनों पुत्रो को जन्म दिया. जिन्हे महर्षि वाल्मीकि ने शिक्षा दी और यहीं आश्रम में लव-कुश का बाल्यकाल व्यतीत हुआ. कथा के बारे में हमें बता रहे हैं भोपाल के रहने वाले पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा, ज्योतिष, आइए जानते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार
एक बार श्री राम ने अश्वमेघ यज्ञ कराया. कोई भी राजा उस यज्ञ के अश्व को पकड़ने का साहस नहीं जुटा सका, लेकिन जब यह अश्व विचरण करते हुए वाल्मीकि आश्रम के समीप पहुंचा. तो लव-कुश ने इस अश्व को पकड़ कर बांध लिया. जब यह बात श्री राम को पता चली तो उन्होंने हनुमान जी को अश्व को छुड़ाने भेजा.
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लव-कुश के साथ हनुमान जी का युद्ध हुआ और इस युद्ध में हनुमान जी पराजित हुए और लव-कुश ने उन्हें भी वहीं बंधक बना लिया. हनुमान जी की कोई खबर न मिलने से लक्ष्मण जी हनुमान जी को ढूंढ़ते हुए वहां पहुंचे, और उन्हें भी लव-कुश ने बंधक बना लिया.
जब ये बात श्री राम को पता चली तो वे स्वयं युद्ध करने के लिए लव-कुश के सामने जा पहुंचे. लव-कुश से युद्ध करते हुए उन्हें इस बात का पता चला कि ये दोनों उन्हीं के बालक हैं. तब महर्षि वाल्मीकि ने उनको उनके पुत्रों और माता सीता से मिलवाया. ऐसा माना जाता है कि जब श्री राम माता सीता से कई वर्षों बाद मिले और उन्होंने सीता माता को छूने के लिए हाथ बढ़ाया तब माता सीता वहीं उस स्थान पर धरती में समा गईं
बागपत। दूरदर्शन पर प्रसारित हो रहे रामायण महाकाव्य में सीता अब वाल्मीकि आश्रम में प्रस्थान करेंगी। सीरियल में प्रसंग दिखाया जा रहा है। कथा है कि जिले के बालैनी में स्थित वाल्मीकि आश्रम में ही कभी सीता पहुंची थी। पंचमुखी महादेव की स्थापना कर भगवान आशुतोष के आशीर्वाद से लव और कुश को जन्म देगी।
दूरदर्शन पर रामायण महाकाव्य का प्रसारण चल रहा है। भगवान श्रीराम 14 वर्ष के बनवास के बाद अयोध्या वापस आ गए हैं, और उन्होंने अयोध्या का राज संभाल लिया है। ऐसी कथा है कि लक्ष्मण सीता माता को बालैनी गांव के जंगल में छोड़कर चले गए थे। अब माता सीता का बालैनी का वाल्मीकि मंदिर आश्रय स्थल बनता है और सीता इसी आश्रम में पंचमुखी महादेव की स्थापना करेगी। हिंडन नदी से जल भरकर भगवान आशुतोष का जलाभिषेक किया। बालैनी बाखरपुर के प्रधान हरि भगवान का कहना है कि रामायण में जो दिखाया जा रहा है, वह सही है। बुजुर्गों ने बताया कि बालैनी में जो आश्रम और मंदिर है, कभी महर्षि वाल्मीकि यहीं पर रहते थे और यहीं पर माता सीता आई । लव कुश का पालन पोषण भी यहीं पर हुआ।