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(भाग:345) नि:स्वार्थ सेवा कर्म भाव ही कामयाबी और प्रगति का मूल मंत्र

(भाग:345) नि:स्वार्थ सेवा कर्म भाव ही कामयाबी और प्रगति का मूल मंत्र

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

नि:स्वार्थ भाव से सेवा कर्म का भाव रखना ही जीवन में कामयाबी और प्रगति का मूलमंत्र है।

निस्वार्थ भाव रखते हुए समाज हित में लगातार कार्य करना ही मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है। -सेवा करने से हमेशा अच्छे संस्कार हमें मिलते हैं। ¨जिंदगी में कामयाबी के लिए सेवा और सदाचार दोनों का ही बहुत बड़ा योगदान है। जो व्यक्ति सेवा और सदाचार से दूर रहता है, वह कभी सफल नहीं हो पाता।

नि:स्वार्थ भाव से की गई सेवा से किसी का भी हृदय परिवर्तन किया जा सकता है। हमें अपने आचरण में सदैव सेवा का भाव निहित रखना चाहिए, जिससे अन्य लोग भी प्रेरित होते हुए कामयाबी के मार्ग पर अग्रसर हो सकें। सेवारत व्यक्ति सर्वप्रथम अपने, फिर अपने सहकर्मियों व अपने सेवायोजक के प्रति ईमानदार हो। इन स्तरों पर सेवा भाव में आई कमी मनुष्य को धीरे-धीरे पतन की ओर ले जाती है। सेवा भाव ही मनुष्य की पहचान बनाती है और उसकी मेहनत चमकाती है। सेवाभाव हमारे लिए आत्मसंतोष का वाहक ही नहीं बनता बल्कि संपर्क में आने वाले लोगों के बीच भी अच्छाई के संदेश को स्वत: उजागर करते हुए समाज को नई दिशा व दशा देने का काम करता है। जैसे गुलाब को उपदेश देने की जरूरत नहीं होती, वह तो केवल अपनी खुशबू बिखेरता है। उसकी खुशबू ही उसका संदेश है। ठीक इसी तरह खूबसूरत लोग हमेशा दयावान नहीं होते, लेकिन दयावान लोग हमेशा खूबसूरत होते हैं, यह सर्वविदित है। सामाजिक, आर्थिक सभी रूपों में सेवा भाव की अपनी अलग-अलग महत्ता है। बिना सेवा भाव के किसी भी पुनीत कार्य को अंजाम तक नहीं पहुंचाया जा सकता। सेवा भाव के जरिए समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से समाप्त करने के साथ ही आम लोगों को भी उनके सामाजिक दायित्वों के प्रति जागरूक किया जा सकता है। असल में सेवा भाव आपसी सद्भाव का वाहक बनता है। जब हम एक-दूसरे के प्रति सेवा भाव रखते हैं तब आपसी द्वेष की भावना स्वत: समाप्त हो जाती है और हम सभी मिलकर कामयाबी के पथ पर अग्रसर होते हैं। सेवा से बड़ा कोई परोपकार इस विश्व में नहीं है, जिसे मानव सहजता से अपने जीवन में अंगीकार कर सकता है। प्रारंभिक शिक्षा से लेकर हमारे अंतिम सेवा काल तक सेवा ही एक मात्र ऐसा आभूषण है, जो हमारे जीवन को सार्थक सिद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। बिना सेवा भाव विकसित किए मनुष्य जीवन को सफल नहीं बना सकता। हम सभी को चाहिए कि सेवा के इस महत्व को समझें व दूसरों को भी इस ओर जागरूक करने की पहल करें।

शेखर अवस्थी, प्रधानाचार्य जेके मॉडर्न एकेडमी धामपुर

मनुष्य के व्यवहार को उजागर करती है। विनम्र प्रवृति का व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में आसानी से उत्कृष्ट कार्य कर सकता है। विनम्रता ही मानव को इस संसार में सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति बनाती है। हम सभी को विनम्रता पूर्वक जीवन यापन करना चाहिए। सेवा भाव का असल उद्देश्य समाज के दबे कुचले लोगों की मदद करना है। ऐसे में हमारी एक छोटी सी पहल भी बड़े सामाजिक परिवर्तन का प्रतिरूप बनकर उभर सकती है। हम सभी को सदैव सेवाभाव के पथ पर अग्रसर रहना चाहिए।

अरशुमा रहमान, छात्रा कक्षा-12 जेके माडर्न एकेडमी

-हम सभी महान कार्य तो नहीं कर सकते लेकिन नि:स्वार्थ सेवा कर अपने समाज व परिवार का नाम जरूर रोशन कर सकते हैं। हम सभी को निस्वार्थ भाव से जीवन को जीने की कला अपने भीतर विकसित करनी चाहिए। निस्वार्थ भाव रखते हुए समाज हित में लगातार कार्य करना ही मानव जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है।

ईशा चौहान, छात्रा कक्षा-11 जेके माडर्न एकेडमी

-सेवा करने से हमेशा अच्छे संस्कार हमें मिलते हैं। ¨जदगी में कामयाबी के लिए सेवा और सदाचार दोनों का ही बहुत बड़ा योगदान है। जो व्यक्ति सेवा और सदाचार से दूर रहता है, वह कभी सफल नहीं हो पाता। ¨जदगी को सफल बनाने के लिए यह बड़ा मार्गदर्शक है। हम सभी को अपने जीवन में सदाचार व सेवा भाव को विकसित करने के लिए प्रयत्नशील रहना चाहिए।

फरीना, छात्रा कक्षा-11 जेके माडर्न एकेडमी

-जीवन का मूलमंत्र दूसरों के प्रति नि:स्वार्थ सेवा भाव रखना है। सेवा भाव के लिए विनम्रता व सहनशीलता सबसे बड़ा गुण होता है। सहनशील व विनम्र हुए बिना हम सेवा भाव को अपने जीवन व आचरण में विकसित नहीं कर सकते। सेवा भाव से परिपूर्ण होकर ही हम अन्य लोगों के सामने मिसाल कामय कर सकते हैं, जिससे पूरे समाज को उत्थान व तरक्की के मार्ग पर सामूहिक रूप से आगे बढ़ाया जा सके। सेवा व्यवहार ही मनुष्य की पहचान बनाता है और उसकी नि:स्वार्थ भावना को चमकाता है।

अंजू रानी, शिक्षिका जेके माडर्न एकेडमी

-सेवा मानव की ऐसी सर्वोत्तम भावना है, जो मानव को सच्चा मानव बनाती है। मानवता के प्रति प्रेम को किसी देश, जाति या धर्म की संकुचित परिधि में नहीं बांधा जा सकता। जिस व्यक्ति के मन में ममता, करुणा की भावना हो, वह अपना समस्त जीवन मानव सेवा में अर्पित कर देता है। ठीक इसी भाव से हम सबको अपना जीवन समाज हित में आगे बढ़ाना चाहिए। सेवा भाव मनुष्यों के साथ ही पेड़-पौधों व जीव-जंतुओं के प्रति रखते हुए हम इसे वृहद स्तर पर जनोपयोगी बना सकते हैं। सेवा भाव अतुलनीय संपदा है जिसे लगातार ¨सचित करना हम सभी की नैतिक एवं सामाजिक जिम्मेदारी है।

सोनिका चौहान, शिक्षिका जेके माडर्न एकेडमी

-सेवा करने का अपना अलग आनंद होता है। एक बार सेवा करने की आदत पड़ जाती है तो फिर छूटती ही नहीं। जैसे कि हम बचपन से सुना या पढ़ा करते हैं कि सेवा सभी धर्मों का मूल है। अगर हम सेवा नहीं कर सकते तो हमारा यह मानव जीवन निरर्थक है। सेवा भाव के जरिए हम समाज को नई दिशा दे सकते हैं। असल में हमारा सेवा भाव ही हमारे जीवन में कामयाबी की असल नींव रखता है। सेवा भाव को अपने हृदय के भीतर विकसित करना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी है। सामाजिक स्तर पर भी सभी को इस ओर लगातार प्रयास करने चाहिए, जिससे देश व समाज का भला हो सके।

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