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शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शांंति और खत्म होता है अकाल मृत्यु का डर : भगवताचार्य श्री टेकेस्वरानन्द के उदगार

शिवलिंग पर जल चढ़ाने से शांंति और खत्म होता है अकाल मृत्यु का डर : भगवताचार्य श्री टेकेस्वरानन्द के उदगार

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

कोराडी। स्थानीय विट्ठल रुक्मणी देवस्थान के सामने स्थित राजाराम परनामी निवास प्रांगण मे शिव महापुराण कथा शुभारंभ हुआ।
कथावाचक भगवताचार्य हरिभक्त पारायण श्री टेकेस्वरानन्द महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि
शिवलिंग पर एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से ही भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं। सोमवार के दिन शिवजी को अर्घ्य देने से सभी तरह की मनोकामनाएं जल्द पूरी हो जाती हैं। इसके अलावा मानसिक शांति भी मिलती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना सबसे अच्छा उपाय होता है। उन्होंने बताया कि शिवलिंग पर चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र,पुष्प धतूरा, दूध और गंगाजल चढ़ाने से भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
भगवताचार्य श्री टेकेस्वरानन्द महाराज ने कहा कि हर एक तिथि और वार का विशेष महत्व होता है। हमारे सनातन धर्म में हर एक दिन किसी न किसी देवी-देवता का जरूर समर्पित होता है। वार के अनुसार ही उस दिन विशेष पूजा-आराधना की जाती है। सोमवार का दिन भगवान शिव को समपर्ति होता है। ऐसी मान्यता है सोमवार के दिन भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने पर व्यक्ति को सभी तरह के संकटों से मुक्ति मिल जाती है।
शिवलिंग पर जल देनें से नकारात्मकता दूर होगी
और मंदिर के अंदर जाने से मन को शांति मिलती है। कुछ लोगों के मन मे बड़ी उथल पुथल मची होती है। ‌‌‌मन को शांत और एकाग्र करने के लिए शिवलिंग के उपर जल चढ़ाना बहुत ही उपयोगी होता है। आप 30 दिन तक लगातार शिवलिंग पर जल चढ़ाएं
भगवताचार्य श्री टेकेस्वरानन्द महाराज ने आगे बताया कि भगवान भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होकर अपने भक्तों का सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। आइए जानते हैं दिन के हिसाब से भोलेनाथ को जल अर्पित करने पर क्या-क्या फायदे होते हैं।
उन्होने उज्जैन के भगवान महाकालेश्वर की मंहिमां का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शंकर जटा से ही गंगा मैया प्रकट हूई है और पाप ताप नाशिनीं गंगा में डुबकी लगाने मात्र से मनुष्य के पाप तापों का नाश होता है।

उन्होने बताया कि शिव पुराण की कथा के अनुसार, उज्जैन में चंद्रसेन नाम का राजा शासन करता था, जो बडा ही शिव भक्त था। भगवान शिव के गणों में से एक मणिभद्र से उसकी मित्रता थी। एक दिन मणिभद्र ने राजा को एक अमूल्य चिंतामणि प्रदान की, जिसको धारण करने से चंद्रसेन का प्रभुत्व बढ़ने लगा। यश और कीर्ति दूर दूर तक फैलने लगी।उस पर दूषण नामक असुर की बुरीनजर पड गई। शिव भक्त पारायण राजा चंद्रसेन पर असुर दूषण ने आक्रमण किया तो उसकी रक्षा के लिए भगवान शिव ने धरती फाड़कर प्रकट हुए और महाकालेश्वर हुए। भगवान महाकालेश्वर ने असुर दूषण के साथ युद्ध चला भगवान महाकालेश्वर ने असुर को भस्म किया इसलिए भगवान महाकालेश्वर को भस्म चढाई जाती है। इस मौके पर भगवान महाकालेश्वर द्धारा अपने परम् भक्त चंद्रसेन के प्राणों की रक्षा के लिए प्रकट होना पडा। आयोजन में असुर का संहार करते हुए की संजीव झांकी दर्शाया गया। इस मौके पर आयोजक श्री राजाराम परनामी परिवार की तरफ से शिव महापुराण आयोजन मे पधारने वाले गणमान्य जन प्रतिनिधियों और मीडिया पत्रकारों का स्वागत और अभिनंदन किया गया।

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