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अनिष्ठ सूतक ग्रह व्याधिदोष के कारण वैवाहिक बाधाओं से अभिभावक चिंतित? समस्या निदान और समाधान

अनिष्ठ सूतक ग्रह व्याधिदोष के कारण वैवाहिक बाधाओं से अभिभावक चिंतित? समस्या निदान और समाधान

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जन्म कुण्डली में ग्रहों की भयानक कमजोर स्थिति की वजह से विवाह में बाधाओं का सामना करना पड़ता है. ज्योतिष शास्त्र के कुछ उपाय करके इन बाधाओं को पार किया जा सकता है. जानते हैं। जरा सी गलतियों से इन ग्रहों के कारण विवाह में बार-बार सूतक पातक नजर व्याधि दोष की बाधाएं, आती हैं।

जीवन में मातृ- पैतृक दोष और अनिष्ट महापाप ग्रह नजर दोष और कुंडली में ग्रह-नक्षत्रों की भयावह और स्थिति का असर वैवाहिक जीवन पर भी पड़ता है. कुछ लोगों को विवाह में बहुत देरी का सामना करना पड़ता है तो कुछ लोगों के विवाह में बार-बार बाधाएं आती हैं. कुछ लोगों को कुंडली में दोष की वजह से शादी के बाद भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. कुछ जातकों की कुंडली में ऐसे योग भी होते हैं जिसकी वजह विवाह में रुकावट आती है. आइये जानते हैं कि आखिर किन कारणों से विवाह में बाधाएं आती हैं और इन्हें कैसे दूर किया जा सकता है.यह विषय अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गोपनीय होने के कारण उजागर नहीं किया जा सकता हैं। परिणामत: होनहार युवा किशोरी बहन, बेटियों की लोकमर्यादा और निजी लाईफ में शर्मिदगी तथा बेइज्जती का सामना करना पड सकता है।

 

 

इन ग्रहों की वजह से विवाह में आती है बाधा

 

अगर कुंडली में आध्यात्मिक, अधिदैविक और अधिदैविक मांगलिक दोष हो तो शादी में बार-बार बाधा आती है. जातक के सप्तम भाव का स्वामी अपनी नीच राशि में स्थित हो तो वह बलहीन हो जाता है. इसके प्रभाव से भी विवाह में देरी होती है. कुंडली में बृहस्पति ग्रह दुष्ट ग्रहों से पीड़ित हो ते भी शादी-विवाह में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वैवाहिक बाधाओं की वजह से शरीर के आंतरिक अवयवों और कोशिकाओं में जठरागिनी और संकीर्णता का डर बनता है। समय पर इस समय निराकरण नहीं हुआ तो जातक आजीवन अविवाहित रह जाते हैं?

 

कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर हो तो विवाह में बाधाओं का सामना करना पड़ता है. जन्म कुंडली के नौवें अंश को नवांश कुंडली कहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नवांश कुंडली में दोष होने पर भी तो जातक को विवाह मे देरी आती है. कुण्डली में 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12, इत्यादी सभी स्थान निष्कलं और निष्पाप होना चाहिए तब वैवाहिक योग बन सकता है। जिसमें जन्म केंद्र बिन्दू सहित सभी पांच कर्म इंद्रियां और पांच ज्ञान इंद्रियों का शुद्धीकरण अनिवार्य है।

 

शीघ्र विवाह के उपाय

 

शीघ्र विवाह के लिए मांगलिक दोष का समाधान आवश्यक होता है.शुभ दिन और शुभ। दिन नक्षत्र में जिसके विवाह में देरी आ रही हो उसे ज्यादातर पीले वस्त्र धारण करने चाहिए.और महामृत्युंजय तथा दश महाविधा का संकल्पित जाप तथा शुद्धीकरण अनुष्ठान करवाना चाहिए।

 

इसी प्रकार प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती से अर्गलास्तोत्रम् का पाठ करने से अविवाहित जातकों को लाभ मिलता है. गणेश जी की आराधना करें और उन्हें लड्डुओं का भोग लगाएं.

 

ऐसा करने से अविवाहितों की शादी में आ रही सारी बाधाएं दूर होती हैं. अविवाहित लड़कियों को गणपति महाराज को मालपुए का भोग लगाना चाहिए. शीघ्र विवाह के लिए अपने पूजा स्थल पर नवग्रह यंत्र स्थापित करे और हर दिन इसकी पूजा करें. हर गुरुवार को पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करने से भी साधारणत: शीघ्र विवाह के योग बनते हैं. माना जाता है कि शिव-पार्वती जी का विधिवत पूजन करने से भी विवाह की मनोकामना पूरी हो जाती है.

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