अपनी किशोर-युवावस्था की उम्र पार कर चुके महिला-पुरुषगणों कृपया अपने उज्जवल भविष्य की ओर ध्यान देंगे
टेकचंद्र शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट मोड 9822550220
” वर्तमान परिवेश में मानव समाज में नैतिक मूल्यों का पतन, मानसिक पतन होता दिखाई दे रहा है? मानसिक-शारीरिक और नैतिक मूल्यों का पतन इसलिए हो रहा है क्योंकि आज का इंसान अपने वास्तविक स्वधर्म और कर्तव्यों को भूलकर पांच विकारों में लिप्त हो गया है काम, क्रोध, लोभ, मोह,मत्सर, अहंकार, नैसर्गिक नियमों का उलंघन, और बदले की भावनाएं अपनी चरम सीमा पर पहुंच गयी है। जब तक हम विकार नहीं छोड़ते तब तक नैतिक मूल्यों का पतन होता ही रहेेगा।
आज समाज व देश पर दृष्टि डालें तो युवाओं में नैतिक मूल्यों की कमी आ रही है। युवाओं का रूष्ठ और बेरूखा व्यवहार, बड़ों का अनादर, कुतर्क, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव बहुत ही खतरनाक है।कर्त्तव्य विमुखता,भष्टाचार,बढता भौतिक वाद सब नैतिक मूल्यों के पतन का परिचायक है।अध्यात्म को छोड़कर मनुष्य भौतिकता की ओर कदम बढ़ा रहा है. धन को मैल समझा गया था , वहीँ आज धन प्रधान हो गया है. समाज के होनहार नव युवा पीढियों में गोपनीयता का पालन नहीं हो पा रहा है? परिणामत: वैदिक सनातन धर्म और नैसर्गिक नियमों का पालन नहीं होने से जीवन के सारे पुण्य क्षीण होते दिखाई दे रहे है,गोपनीयता भंग से पुण्य कर्म क्षीण होने से आकस्मिक घोर गरीबी और आर्थिक समस्याओं से जूझने और स्वाभाव बिगडने की नौबत आ रही है।
वर्तमान परिवेश में संसारिक वातावरण मे व्याप्त अंतर्कलह और वो आयु होती है जब बीमारी और अनिष्ट महापाप ग्रह व्याधिदोष विकार धीरे धीरे आपके शरीर मे प्रवेश करती है। समझ लीजिए कि बीज आपकी मिट्टी में बोया जा चुका है। नैसर्गिक नियम का उलंघन, गलत खान पान,नशीली सामग्री, समय पर न जगना, देर से सोना और आरामतलबी इसमें खाद का काम करती है। ये तो अपकी बॉडी की इम्यूनिटी है जो इसे अपनी छमतानुसार दबाए रखती है।
कुल मिलाकर सार ये है कि आपके भोजन और पेयजल पर सब कुछ निर्भर करता है। सारा खेल खाने पीने में एसिडिक (अम्लीय) और एल्कलाइन (क्षारीय) तत्वों का है। और आपके वात,पित्त और कफ के संतुलन बिगड़ने से ही रोग उत्पन्न होता है।
कच्चे फल, सलाद , हरी सब्जियां, जूस,सूप एल्कलाइन होते हैं जबकि पका हुआ भोजन शरीर मे अम्लीयता को उत्तपन्न करता है। समझदारी इसी में है कि आप एसिडिक और क्षारीय भोजन,पेय पदार्थ को बराबर मात्रा में ग्रहण करें।
फ्रिज के रखे कटे फल,खुली सब्जियां बहुत हानिकारक हैं। हमेशा रैप करके स्टोर करें। फ्रिज में रखा सना हुआ आटा, पकी दाल,सब्जी दोबारा गर्म करके खाने से बेहतर है कि आप चूहा मार दवा रोज पानी मे मिलाकर पी लें। उतना पकाइए, जितना एक बार में खब जाए।
होटल,रेस्टोरेंट का खाना इसी वजह से हेल्थ के लिए ठीक नही होता ,क्योंकि वो फ्रीज़र में स्टोर कर बार बार गर्म करके सर्व किया जाता है। ढाबे का भोजन फिर भी ठीक है। एक और जरूरी बात ,हर वो चीज खाने में शामिल करें जो 50 साल पहले आपकी दादी, नानी,बाबा,नाना खाते थे।
फास्ट फूड बच्चों की कमजोरी होती है। आप मना नही कर सकते। कोशिश हो कि वो घर पर ही बनाया जाए और उससे पूर्व उन्हें ताज़े फलों का रस और फास्ट फूड मे प्रचुर मात्रा में सब्जियां मिलाकर खिलाइये। कोल्डड्रिंक के बजाय घर की बनी शिकंजी, आम का पना, मठा,सत्तू का पेय और तरह तरह की मॉकटेल बनाकर दीजिए। यूट्यूब पर हजारों रेसिपी पड़ीं हैं। खैर, नीचे दी गयी तस्वीर मेरे द्वारा बनाये गए डिटॉक्स वाटर की है।
1-1 चम्मच मेथी और कलौंजी रात में 4 गिलास पानी में भिगोकर रखना है।
सुबह उसे उतना खौला देना है कि 3 गिलास पानी बचे।
अब छानकर, ठंडा कर इसे एक मिट्टी के पात्र में स्टोर कर लीजिए।
गर्मी है तो इस पानी में 5 पुदीने और 5 धनिये की पत्तियां डाल दीं है। खीरे का के 3 टुकड़े और नींबू की एक फांक भी पड़ी है। ये नेचुरल एल्कलाइन वाटर है। सुबह खाली पेट लीजिए।
जिनका पेट नही साफ होता ,वो इसमें 1 चम्मच त्रिफ़ला चूरन भी मिला सकते हैं।
जिनको लिवर सम्बंधित कोई दिक्कत है,वो इस पानी के अलावा, आधे घण्टे का गैप देकर एक गिलास गुनगुने पानी मे एप्पल साइडर सिरका और जरा सी हल्दी मिलाकर भी पी सकते हैं। लिवर पर जमी फैट हट जाएगी। भूख बढ़ जाएगी।
फैक्ट्री मेड सभी तरह के प्रॉसेस्ड फूड और पैक्ड फूड आइटम जैसे,सॉस,बिस्किट, ब्रेड,मैगी,नमकीन खाएंगे तो कोई नुस्खा,कोई दवा काम नही करेगी।
आप या आपकी फैमिली में कोई भी किसी भी प्रकार की लीवर की प्रॉब्लम से परेशान है तो हमें अपनी प्रॉब्लम अपनी रिपोर्ट और नाम के साथ व्हाट्सएप कर दीजिए।गारंटी है एक मंथ की मेडिसिन से आपको रिजल्ट चौंकाने वाले मिलेंगे..