Breaking News

(भाग:311)त्रेतायुग में 14 साल के वनवास में मर्यादा-पुरूषोत्तम श्रीराम, सीता एवं लक्ष्मण इन 17 जगहों पर ठहरे थे

Advertisements

(भाग:311)त्रेतायुग में 14 साल के वनवास में मर्यादा-पुरूषोत्तम श्रीराम, सीता एवं लक्ष्मण इन 17 जगहों पर ठहरे थे

Advertisements

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

Advertisements

मर्यादा- पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र भगवान की पावन नगरी अयोध्या पुरी में दीपावली के बाद शिव की काशी में भव्य देव दीपावली मनाई गई। मान्‍यता है कि इस दिन देवता धरती पर आते हैं और धार्मिक नगरी काशी में दीपावली पर्व मनाते हैं और यही कारण है कि इस देव दीपावली कहा जाता है। ऐसे ही जब भगवान राम अपना 14 साल का वनवास काटकर आयोध्या पहुंचे थे, तो पूरे अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

 

भगवान राम 14 सालों के वनवास में यहां ठहरे थे

भगवान शिव की नगरी को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मिला उसी तरह आयोध्या में भी राम जन्मभूमि कॉरिडोर भी जल्द तैयार होने वाला है। बता दें कि आयोध्या में गर्भ गृह दिसंबर 2023 तक बन जाने का प्रस्ताव है। इसके बाद भक्त अपने रामलला का दर्शन भव्य राम मंदिर में कर पाएंगे। लेकिन क्या आपको ये पता है कि आयोध्या में राम जन्मभूमि कॉरिडोर के अलावा केंद्र सरकार जल्द ही 17 बड़े स्मारकों को कॉरिडोर के तौर पर विकसित करने वाली है।

इतिहासकारों ने 200 से ज्यादा ऐसे स्थानों का पता लगया है जहां राम, सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान ठहरे थे। इन जगहों को भी जल्द कॉरिडोर के रूप में विकसित कर दिया जाएगा।

देश में तैयार होंगे 17 और कॉरिडोर

उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर, आयोध्या का राम जन्म भूमि कॉरिडोर और बनारस का विश्वनाथ कॉरिडोर के अलावा देश में जल्द ही 17 ऐसे ही कॉरिडोर तैयार किए जाएंगे जो भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के 14 साल के ठहरने का इतिहास बताएगा। तो आइये जान लेते हैं इन जगहों के बारे में जहां भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ ठहरे थे।

तमसा नदी- ये वो नदी है जिसे भगवान राम ने नाव के जरिए पार की थी। ये जगह आयोध्या से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

श्रृंगवेरपुर तीर्थ- श्रीराम ने इस जगह पर केवट से गंगा पार कराने को कहा था। इस जगह को अब सिंगरौर कहा जाता है और रामायण में भी इस जगह का उल्लेख किया गया है। इस जगह का वर्णन रामायण में निशादराज के राज्य की राजधानी के रूप में किया गया। बता दें कि ये जगह प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर की दूरी पर स्ठित है।

कुरई- श्रृंगवेरपुर तीर्थ में गंगा पार करने के बाद श्रीराम कुरई में ही रुके थे।

प्रयाग- कुरई में रुकने के बाद श्रीराम प्रयाग पहुंचे थे।

चित्रकूट- प्रयाग के बाद भगवान राम चित्रकूट पहुंचे थे। ये मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। ये वहीं जगह है जहां भरत, श्रीराम से मिलने आए थे और उन्हें वापस आयोध्या चलने को कहा था। भगवान राम की तपोभूमि कहें जाने वाले चित्रकूट में राम जी ने वनवास काल के दौरान अपने पिता दशरथ का एक घाट पर पिंडदान किया था।

सतना- अत्रि ऋषि के आश्रम में राम जी ने कुछ समय बिताए थे।

दंडकारण्य- चित्रकूट से निकलने के बाद श्रीराम दंडकारण्य पहुंचे। यहां श्रीराम ने वनवास के 10 साल व्यतीत किए।

पंचवटी नासिक- ये वो जगह है जहां लक्ष्मण ने लंकेश रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी।

सर्वतीर्थ-सर्वतीर्थ नासिक क्षेत्र में आता है और ये वहीं जगह है जहां रावण ने सीता का हरण किया था।

पर्णशाला- ये आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले के भद्राचलम में स्थित है।

तुंगभद्रा- तुंगभद्रा के अनेक स्थलों पर श्रीराम अपनी पत्नी सीताजी की खोज में निकले थे।

शबरी आश्रम- रास्ते में श्रीराम पंपा नदी के पास स्थित शबरी आश्रम गए थे। ये कर्नाटक में स्थित है।

ऋष्यमूक पर्वत- सीता की खोज में जब श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत की तरफ जब बढ़ रहे थे तभी उनकी मुलाकात हनुमान और सुग्रीव से हुई थी।

कोडीकरई- ये वो जगह है जहां राम की वानर सेना ने रामेश्वर की तरफ कूच किया था।

रामेश्वरम- रावण का वध करने से पहले यहां भगवान राम ने शिव जी की पूजा की थी। रामेश्वरम में श्रीराम ने शिवलिंग भी स्थापित किया था।

धनुषकोडी से रामसेतु- श्रीराम रामेश्वर से धनुषकोडी पहुंचे। यहां रामसेतू का निर्माण किया गया था।

नुवारा एलिया पर्वत- श्रीराम रामसेतु बनाकर श्रीलंका पहुंचे थे। श्रीलंका में इस पर्वत पर ही रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, विभीषण महल आदि स्थित हैं

 

रामायण के अनुसार, महावीर हनुमान समेत लाखों वानरों का दल किष्किंधा से सीताजी की खोज में दक्षिण दिशा की ओर निकला था, तब वे समुद्र तट पर पहुंच गए थे. वहां एक पर्वत पर गिद्धराज जटायु के बड़े भाई, जिसका नाम संपाती था, ने वानरों को बताया कि, ‘लंका यहां से 100 योजन की दूरी पर है’. उसने यह भी कहा था कि, ‘मेरी आंखें रावण के महल को प्रत्‍यक्ष देख पा रही हैं. वहां तक पहुंचने के लिए किसी को पहले समुद्र पार करना होगा’. यह सुनकर वानर और रीछ समुद्र किनारे हताश होकर बैठ गए.

 

 

 

युवराज अंगद समेत सभी वानर यूथपति समुद्र पार जाने के विषय में विचार करने लगे. सबने क्रमश: अपनी-अपनी शक्ति-सामर्थ्‍य की बात की. अंगद जा सकते हैं, पर लौटने में संदेह है. वैसे भी कपिदल के नेता को भेजा नहीं जा सकता था, क्योंकि वह रक्षणीय है. रीछराज जामवंत बूढ़े हो चुके थे. तब उनकी निगाहें हनुमानजी पर गईं.

माता सीता की खोज में निकले हनुमानजी को किसने याद दिलाई थीं उनकी खोई हुई शक्तियां? पढ़ें, रोचक कथा

माता सीता की खोज में निकले हनुमानजी को किसने याद दिलाई थीं उनकी खोई हुई शक्तियां? पढ़ें, रोचक कथा

 

सीताजी की खोज में निकला वानरदल आखिर में समुद्र तट पर रुका था. जहां युवराज अंगद समेत पूरी वामर सेना समुद्र पार जाने के विषय में विचार रकरने लगे. सबने क्रमश: अपनी-अपनी शक्ति-सामर्थ्‍य की बात की मगर, साथ ही असमर्थता जताई. तब रीछराज जाम्बवान् की निगाहें हनुमानजी पर गईं. जिसके बाद उन्हें उनकी शक्तियां याद दिलाई गईं

भाग:311) त्रेतायुग में 14 साल के वनवास में भगवान राम, सीता और लक्ष्मण इन 17 जगहों पर ठहरे थे

 

 

 

मर्यादा-पुरूषोत्तम प्रभू श्रीरामचंद्र भगवान की नगरी अयोध्या पुरी में दीपावली के बाद शिव की काशी में भव्य देव दीपावली मनाई गई थी। मान्‍यता है कि इस दिन देवता धरती पर आते हैं और धार्मिक नगरी काशी में दीपावली पर्व मनाते हैं और यही कारण है कि इस देव दीपावली कहा जाता है। ऐसे ही जब भगवान राम अपना 14 साल का वनवास काटकर आयोध्या पहुंचे थे, तो पूरे अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया था।

 

भगवान राम 14 सालों के वनवास में यहां ठहरे थे

भगवान शिव की नगरी को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर मिला उसी तरह आयोध्या में भी राम जन्मभूमि कॉरिडोर भी जल्द तैयार होने वाला है। बता दें कि आयोध्या में गर्भ गृह दिसंबर 2023 तक बन जाने का प्रस्ताव है। इसके बाद भक्त अपने रामलला का दर्शन भव्य राम मंदिर में कर पाएंगे। लेकिन क्या आपको ये पता है कि आयोध्या में राम जन्मभूमि कॉरिडोर के अलावा केंद्र सरकार जल्द ही 17 बड़े स्मारकों को कॉरिडोर के तौर पर विकसित करने वाली है।

इतिहासकारों ने 200 से ज्यादा ऐसे स्थानों का पता लगया है जहां राम, सीता और लक्ष्मण अपने 14 साल के वनवास के दौरान ठहरे थे। इन जगहों को भी जल्द कॉरिडोर के रूप में विकसित कर दिया जाएगा।

देश में तैयार होंगे 17 और कॉरिडोर

उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर, आयोध्या का राम जन्म भूमि कॉरिडोर और बनारस का विश्वनाथ कॉरिडोर के अलावा देश में जल्द ही 17 ऐसे ही कॉरिडोर तैयार किए जाएंगे जो भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के 14 साल के ठहरने का इतिहास बताएगा। तो आइये जान लेते हैं इन जगहों के बारे में जहां भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ ठहरे थे।

तमसा नदी- ये वो नदी है जिसे भगवान राम ने नाव के जरिए पार की थी। ये जगह आयोध्या से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

श्रृंगवेरपुर तीर्थ- श्रीराम ने इस जगह पर केवट से गंगा पार कराने को कहा था। इस जगह को अब सिंगरौर कहा जाता है और रामायण में भी इस जगह का उल्लेख किया गया है। इस जगह का वर्णन रामायण में निशादराज के राज्य की राजधानी के रूप में किया गया। बता दें कि ये जगह प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर की दूरी पर स्ठित है।

कुरई- श्रृंगवेरपुर तीर्थ में गंगा पार करने के बाद श्रीराम कुरई में ही रुके थे।

प्रयाग- कुरई में रुकने के बाद श्रीराम प्रयाग पहुंचे थे।

चित्रकूट- प्रयाग के बाद भगवान राम चित्रकूट पहुंचे थे। ये मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ है। ये वहीं जगह है जहां भरत, श्रीराम से मिलने आए थे और उन्हें वापस आयोध्या चलने को कहा था। भगवान राम की तपोभूमि कहें जाने वाले चित्रकूट में राम जी ने वनवास काल के दौरान अपने पिता दशरथ का एक घाट पर पिंडदान किया था।

सतना- अत्रि ऋषि के आश्रम में राम जी ने कुछ समय बिताए थे।

दंडकारण्य- चित्रकूट से निकलने के बाद श्रीराम दंडकारण्य पहुंचे। यहां श्रीराम ने वनवास के 10 साल व्यतीत किए।

पंचवटी नासिक- ये वो जगह है जहां लक्ष्मण ने लंकेश रावण की बहन शूर्पणखा की नाक काटी थी।

सर्वतीर्थ-सर्वतीर्थ नासिक क्षेत्र में आता है और ये वहीं जगह है जहां रावण ने सीता का हरण किया था।

पर्णशाला- ये आंध्र प्रदेश के खम्मम जिले के भद्राचलम में स्थित है।

तुंगभद्रा- तुंगभद्रा के अनेक स्थलों पर श्रीराम अपनी पत्नी सीताजी की खोज में निकले थे।

शबरी आश्रम- रास्ते में श्रीराम पंपा नदी के पास स्थित शबरी आश्रम गए थे। ये कर्नाटक में स्थित है।

ऋष्यमूक पर्वत- सीता की खोज में जब श्रीराम ऋष्यमूक पर्वत की तरफ जब बढ़ रहे थे तभी उनकी मुलाकात हनुमान और सुग्रीव से हुई थी।

कोडीकरई- ये वो जगह है जहां राम की वानर सेना ने रामेश्वर की तरफ कूच किया था।

रामेश्वरम- रावण का वध करने से पहले यहां भगवान राम ने शिव जी की पूजा की थी। रामेश्वरम में श्रीराम ने शिवलिंग भी स्थापित किया था।

धनुषकोडी से रामसेतु- श्रीराम रामेश्वर से धनुषकोडी पहुंचे। यहां रामसेतू का निर्माण किया गया था।

नुवारा एलिया पर्वत- श्रीराम रामसेतु बनाकर श्रीलंका पहुंचे थे। श्रीलंका में इस पर्वत पर ही रावण फॉल, रावण गुफाएं, अशोक वाटिका, विभीषण महल आदि स्थित हैं

त्रेतायुग मे 14 साल वनवास के समय प्रभु श्री राम के तीर से हुआ था सीता कुंड का निर्माण, जानिए अयोध्यापुरी की पहाडियों से जुड़ी रोचक कथाएं इस प्रकार है।

 

भगवान श्री राम और उनसे जुड़ी कई कथाओं का वर्णन देव ग्रंथों में विस्तार से मिलता है. ऐसी एक कथा है जब भगवान राम ने अपने धनुष से एक कुंड का निर्माण किया था, जिसे आज सीता कुंड के नाम से जाना जाता है.

प्रभु श्री राम से जुड़ी कई लोक कथाएं धर्म ग्रंथो में वर्णित हैं. जिसमें प्रभु श्री राम का जन्म, माता सीता से विवाह और वनवास से जुड़ी कथाओं का वर्णन मिलता है. देश भर में कई ऐसे स्थान चिन्हित किए गए हैं, जहां वनवास के दौरान प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी कुछ समय के लिए रुके थे. ऐसा ही एक स्थान झारखंड और बंगाल की सीमा पर स्थित है, जहां की मान्यता है कि यहां आज भी एक ऐसा कुंड है, जिसके जल को माता सीता ने पिया था. यह धार्मिक स्थल है पुरुलिया जिले के अयोध्या पहाड़ी पर स्थित है, जिसे सीता कुंड के नाम से जाना जाता है. आइए जानते हैं, इस धार्मिक स्थल से जुड़ी कथा.

 

धनुष बाण से किया था सीता कुंड का निर्माण

जब राजा दशरथ ने अपने पुत्र प्रभु श्री राम को 14 वर्षों का वनवास सौंपा था. तब उनके साथ माता सीता और भाई लक्ष्मण भी वनवास साथ गए थे. इस दौरान उन्होंने ढाई दिन के लिए पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिले में कार्तिवास आश्रम में विश्राम किया था.

कथा के अनुसार, वनवास के दौरान चलते-चलते माता सीता अयोध्या पहाड़ी पर तेज प्यास लगी. तब जल की व्यवस्था के लिए रामचन्द्र ने अयोध्या पहाड़ी की तलहटी में तीर चलाया. जिससे शुद्ध जल की धारा फूट पड़ी. माता सीता ने वह जल पीकर अपनी प्यास बुझाई. आज भी उस भूमिगत सीता कुंड से मीठे पानी की अविरल धारा निकलती है. श्री राम, लक्ष्मण और सीता माता के वनवास की यह कथा पुरुलिया सहित देश-विदेश में प्रचलित है. वर्तमान समय में अयोध्या पहाड़ी में प्रसिद्ध राम मंदिर भी है. जिसके दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त आते हैं.

 

कभी नहीं सूखता है सीता कुंड का पानी

बता दें कि सीता कुंड में कभी भी पानी कम नहीं होता है और यहां का पानी कभी सूखता नहीं है. हर साल बुद्ध पूर्णिमा के दिन जनजाति से शिकारी सैकड़ो की तादाद में सीता कुंड पहुंचते हैं और इस कुंड के पानी को ग्रहण करते हैं. यहां स्थित राम मंदिर में 365 दिन दीप प्रज्वलित रहता है. साथ ही बता दें कि प्रभु श्रीराम और माता सीता आने के बाद से ही इस पहाड़ी को अयोध्या पहाड़ी के नाम से जाना जाने लगा, जिसे शांति का प्रतीक माना जाता है.

 

इन कामों को करने से मिलेगा किस्मत का साथ

इन कामों को करने से मिलेगा किस्मत का साथआगे देखें…

 

हनुमान जब छलांग मारने के लिए महेंद्र पर्वत की ओर देखने लगे तो धरती पर अन्‍य प्राणियों में कोलाहल होने लगा. हनुमान धरती को प्रणाम कर एक ही छलांग में महेंद्र पर्वत पर पहुँच गए. हनुमान के वेग से पर्वत दरकने लगा, चट्टानें आग के गोलों की तरह दहक उठीं. आंधी से वृक्ष उखड़ने लगे. हनुमान इन सब बातों से बेखबर-वायु गति से आगे बढ़ते गए.

 

श्रीरामचरितमानस के अनुसार जामवन्त कहते हैं-

 

“कहि रीछपति सुनु हनुमाना। का चुप साधि रहहु बलवाना॥

पवन तनय बल पवन समाना। बुधि बिबेक बिग्यान निधाना”॥ ॥

 

कवन सो काज कठिन जग माहीं। जो नहिं होइ तात तुम्ह पाहिं॥

राम काज लगि तव अवतारा। सुनतहिं भयउ पर्बताकारा॥3॥

 

“अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं दनुजवनकृष्णानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।

सकलगुणनिधानं वानरनामचाघं रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि”॥

 

यह भी पढ़ें: काली बिल्ली का दिखना होता है शुभ-अशुभ, मिलते हैं कई संकेत

 

इस प्रकार वे हनुमानजी को उनकी शक्ति-सामर्थ्य का ढाँचा बनाते हैं, जो सुनते-सुनते हनुमानजी को अपनी खोई हुई शक्तियाँ याद आ गईं। उसके बाद हनुमान जी लंका जाने के लिए उद्यत हो गए। जामवंत की प्रेरणा से उन्हें अपने बल पर विश्वास हो गया और समुद्र लांघने के लिए उनके शरीर का विस्तार हुआ।

Advertisements

About विश्व भारत

Check Also

(भाग:323) भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गौओं की जननी सुरभी गायों की प्राकट्य लीला का वर्णन

(भाग:323) भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गौओं की जननी सुरभी गायों की प्राकट्य लीला का वर्णन   …

(भाग:321) हल्का फीका बादामी पीलापन रंग वाला और गाढा अमृत तुल्य होता है कपिला धेनु का दुग्ध और घी

(भाग:321) हल्का फीका बादामी पीलापन रंग वाला और गाढा अमृत तुल्य होता है कपिला धेनु …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *