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लोकसभा चुनाव के बीच विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन पर बार-बार क्यों बदल रहे हैं ममता बनर्जी के सुर

लोकसभा चुनाव के बीच विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन पर बार-बार क्यों बदल रहे हैं ममता बनर्जी के सुर

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

नई दिल्ली । लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा विरोधी ‘इंडिया’ गठबंधन के सत्ता में आने पर तृणमूल कांग्रेस नई सरकार के गठन में ‘बाहर से समर्थन’ देगी.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की इस टिप्पणी के बाद बुधवार शाम से ही राजनीतिक हलकों में कयासों और अटकलों का दौर तेज़ हो गया था.

सवाल उठ रहा था कि क्या उनकी इस टिप्पणी में कोई नया संकेत छिपा है?

इस चर्चा के ज़ोर पकड़ने के बाद ममता बनर्जी ने एक बार फिर अपने बयान बदल दिया. उन्होंने बता दिया कि वो गठबंधन में शामिल हैं.

मुख्यमंत्री ने बुधवार को हुगली जिले के चूंचुड़ा में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार रचना बनर्जी के समर्थन में एक चुनावी सभा को संबोधित किया था.

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उसमें अपने भाषण के दौरान उन्होंने साफ़ कर दिया कि वो ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत के बारे में आश्वस्त हैं.

लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी जोड़ा कि भाजपा-विरोधी गठबंधन के सत्ता में आने पर तृणमूल कांग्रेस बाहर से समर्थन देकर नई सरकार के गठन में हर संभव सहायता करेगी.

ममता ने उस सभा में कहा था, “हम इंडिया का नेतृत्व करते हुए बाहर से हर संभव सहायता देकर सरकार का गठन करा देंगे ताकि बंगाल की माताओं-बहनों को कभी कोई दिक्कत नहीं हो और सौ दिनों के काम में भी कभी समस्या नहीं हो.”

 

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उसके बाद इस मुद्दे पर कयासों और अटकलों का दौर तेज हो गया कि मुख्यमंत्री आख़िर क्या संकेत देना चाहती हैं?

इसकी वजह यह थी कि उनको पहले कई बार ‘इंडिया’ गठबंधन बनाने में अपनी भूमिका का जिक्र करते हुए सुना जा चुका है.

कांग्रेस समेत कुछ घटक दलों के ख़िलाफ़ अपनी नाराज़गी नहीं छिपा पाने के बावजूद ममता इंडिया गठबंधन की जीत के प्रति आश्वस्त हैं.

दूसरी ओर, बंगाल में इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं होने की बात कहने के बावजूद वो कहती रही हैं कि केंद्र में उनकी पार्टी इसका हिस्सा है.

लेकिन बुधवार से पहले उनके मुंह से ऐसा नया सुर सुनने में नहीं आया था. देश में लोकसभा चुनाव के पहले चार चरणों का मतदान हो चुका है. अब पांचवें चरण का मतदान होना है.

इसके साथ ही राजनीतिक समीकरण भी बदले हैं. जानकार भले ही गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल उठाते रहे हों, अब तस्वीर कुछ बदली सी दिख रही है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ़्तारी और विपक्ष के नेताओं के ख़िलाफ़ केंद्रीय एजेंसियों की सक्रियता जैसे मुद्दों पर ‘इंडिया’ गठबंधन के घटक दलों में एकजुटता बढ़ी है.

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ धार्मिक ध्रुवीकरण के आरोप, संदेशखाली मामले के ताज़ा घटनाक्रम और दूसरी घटनाओं से भाजपा कुछ हद तक असहज स्थिति में ज़रूर है

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यह भी माना जा रहा है कि भाजपा की यह असहजता ‘इंडिया’ गठबंधन के हित में काम कर रही है.

मौजूदा परिस्थिति में सरकार के गठन में बाहर से सहायता देने की ममता बनर्जी की टिप्पणी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं.

ये सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या यह बयान ‘इंडिया’ गठबंधन को लेकर ममता बनर्जी के नए रुख का संकेत है या फिर चुनाव के अगले चरणों को ध्यान में रखते हुए इसके पीछे कोई राजनीतिक समीकरण काम कर रहा है?

भाजपा ने उनके इस बयान पर कटाक्ष किया. वाममोर्चा और कांग्रेस ने इसे मौकापरस्ती करार दिया है.

मुख्यमंत्री के इस बयान पर राजनीतिक माहौल गरमाने के बाद उन्होंने एक बार फिर अपना बयान बदल दिया.

पहले बयान के 24 घंटे के भीतर गुरुवार शाम को हल्दिया में अपनी एक चुनावी सभा में उन्होंने दावा किया कि वो राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल हैं.

मुख्यमंत्री का कहना था, “ऑल इंडिया लेवल (अखिल भारतीय स्तर) पर हमने विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन तैयार किया था. हम गठबंधन का हिस्सा बने रहेंगे. कई लोगों ने मेरे बयान को गलत समझा है. मैं गठबंधन में शामिल हूं. मैंने वह गठबंधन तैयार किया है और उसमें शामिल भी रहूंगी. राष्ट्रीय स्तर पर हम गठबंधन में रहेंगे. बंगाल में सीपीएम और कांग्रेस भाजपा के साथ है।

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मुख्यमंत्री ममता बनर्जी हाल की अपनी चुनावी रैलियों में भाषण के दौरान बार-बार जिन मुद्दों का जिक्र करती रही हैं उनमें भाजपा के 400 पार के लक्ष्य पर कटाक्ष करना, हाल में भाजपा पर लगे आरोप, केंद्र की ओर से राज्य को वंचित करना और राज्य सरकार की विकास परियोजनाओं समेत दूसरे कामकाज शामिल हैं.

 

इस दौरान ‘इंडिया’ गठबंधन का भी जिक्र होता रहा है. वो हर बार गर्व से कहती रही हैं कि विपक्षी गठबंधन का ‘इंडिया’ नाम उन्होंने ही दिया था.

उन्होंने कहा है कि चुनाव के बाद तस्वीर बदलेगी और भाजपा सरकार के पतन के बाद ‘इंडिया’ गठबंधन सत्ता में आएगा.

ममता कई बार कह चुकी हैं कि बंगाल में इस गठबंधन का कोई अस्तित्व नहीं है. इसकी वजह यह है कि वो वाममोर्चा और कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को तैयार नहीं हैं.

लेकिन बुधवार की चुनावी सभा में उनका सुर बदला था. उन्होंने भाजपा के ‘अबकी बार, चार सौ पार’ नारे पर कटाक्ष करते हुए कहा, “भाजपा ने घमंड के साथ नारा दिया था कि ‘अबकी बार, चार सौ पार’. लेकिन लोग कह रहे हैं कि नहीं होगा दो सौ पार. अबकी बार होगा पत्ता साफ़.”

राष्ट्रीय स्तर पर ‘इंडिया’ गठबंधन का जिक्र करते हुए तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने राज्य में वाममोर्चा और कांग्रेस पर कटाक्ष किया था.

बुधवार की सभा में उन्होंने कहा था, “बंगाल में सीपीएम और कांग्रेस हमारे साथ नहीं हैं. यह दोनों राजनीतिक दल भाजपा के साथ हैं.”

उसके बाद ही मुख्यमंत्री ने कहा था कि चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा-विरोधी सरकार के गठन में उनकी पार्टी बाहर से समर्थन और हरसंभव सहायता करेगी.

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तृणमूल कांग्रेस प्रमुख की ओर से बुधवार को की गई इस टिप्पणी के बाद विपक्षी दलों ने उन पर तीखे हमले शुरू कर दिए.

‘इंडिया’ गठबंधन के सहयोगी दल वाममोर्चा और कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं रहे थे.

ममता के बुधवार के बयान के संदर्भ में गुरुवार सुबह लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान (जो विपक्षी एनडीए का हिस्सा हैं) ने कहा, “इंडिया गठबंधन में शामिल दलों का कोई आदर्श या नैतिकता नहीं है.”

उन्होंने सवाल उठाया, “ममता बनर्जी जिनके ख़िलाफ़ चुनाव लड़ती रही हैं उनके साथ मिल कर केंद्र में सरकार का गठन कैसे करेंगी? दरअसल गठबंधन में शामिल कोई भी पार्टी देश के विकास के बारे में नहीं सोचती. इनकी निगाह सिर्फ़ इस पर है कि सत्ता कैसे हासिल की जाए.”

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी इंडिया गठबंधन पर हमला करने से नहीं चूके.

उन्होंने बुधवार को पुरुलिया की चुनावी सभा में कहा, “हम मोदी जी के नेतृत्व में मजबूत सरकार चला रहे हैं. हम चुनाव के बाद एक बार फिर मजबूत सरकार का गठन करना चाहते हैं. लेकिन ममता दीदी और इंडी गठबंधन एक असहाय सरकार बनाना चाहती हैं.”

‘इंडिया’ गठबंधन को ‘बाहर से समर्थन’ देने और राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन का हिस्सा होने के बयान सामने आने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “वो (ममता) गठबंधन से पलायन कर गई हैं. ममता अपनी विश्वसनीयता खो चुकी हैं. मैं उनकी किसी भी बात पर भरोसा नहीं करता. हवा का रुख बदलते हुए देख कर वो इधर झुक रही हैं. भाजपा का पलड़ा भारी देख कर उधर चली जाएंगी.”

इससे पहले बुधवार के ममता के बयान पर अधीर रंजन चौधरी ने कहा था कि चुनाव के नतीजों का पूर्वाभास होने के कारण ही मुख्यमंत्री ने सुर बदल लिया है.

उनका कहना था, “तृणमूल कांग्रेस अब समझ गई है कि बंगाल में उसका भविष्य अंधकारमय है. चुनाव के बाद वह पार्टी ही टूट जाएगी और कई लोग कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे. इसलिए वह तमाम विकल्प खुले रखने का प्रयास कर रही हैं.”

दूसरी ओर, सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने दावा किया कि ममता बनर्जी की टिप्पणी से एक बार फिर इस बात का संकेत मिला है कि भाजपा के साथ उनका गोपनीय समझौता है.

वह कहते हैं, “हम तो शुरू से ही कह रहे हैं कि भाजपा के ख़िलाफ़ लड़ाई में ममता बनर्जी पर भरोसा नहीं किया जा सकता. इस उतार-चढ़ाव वाली स्थिति से यह बात साफ़ हो गई है. दरअसल, उन्होंने भाजपा को यह संदेश दिया है ताकि भतीजा जेल नहीं जाए. वो दो नावों पर पांव रखना चलना चाहती हैं.”

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