भोजनथाली के आसपास जल का घेरा लगाने का वैज्ञानिक रहस्य
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
बनारस।पकवान शास्त्र के अनुसार भोजन पकवान से भरी थाली के चारों ओर पानी छिड़कने य घेरा लगाने के संबंध में हमारे शास्त्रों में बहुत ही सरलता के साथ वर्णन किया गया है। जब हम भोजन की थाली को लेकर बैठते हैं तो आपके आस-पास कुछ ऐसे सूक्ष्म जीव अहार की तलाश में विचरण करते हैं। इसके अलावा अदृश्य सूक्ष्म नकारात्मक और आसुरी शक्तियां भी विचरण करती हैं। जिनके दुष्प्रभाव से ह्वदय मे धडकने व व्याधि विकार उत्पन्न होने की प्रवल संभावना बनी रहती है? परंतु भोजन थाली के आस पास जल छिड़कने य घेरा लगाने से नकारात्मक प्रभाव शांत हो जाता है? जिन पर हम ध्यान नहीं दे पाते हैं। पहले के समय में लोग या घर के बड़े बुजुर्ग लोग आज भी भोजन की थाली के चारों तरफ जल छिड़कते हैं। क्योंकि ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार जब यह जल भोजन पकवान की थाली के चारों तरफ छिड़का जाता है तो साथ में एक मंत्र का उच्चरण भी किया जाता है, उस मन्त्र के उच्चारण से वह जल पवित्र हो जाता है जिससे आपके भोजन की थाली के आस पास की सारी नकारात्मक ऊर्जा दूर भाग जाती है और आपके ऊपर सका कोई गलत प्रभाव नहीं पड़ता।
इसका सादा अर्थ ये है कि, पहले के जमाने मे अधिकांश घर मिट्टी के बने होते थे तो आप जब नीचे बैठकर भोजन करते हो तो आसपास की धूल आपके थाली में न जाये। उससे आपका भोजन दूषित हो सकता है और जो दिखाई नहीं पडते ऐसे सूक्ष्म जीव जन्तू भी भोजन थाली मे चढ़कर प्रवेश कर सकते हैं।ज्यादा तर ये शादियों और अन्य समारोह में किया जाता था ताकि परोसने वाले वहाँ से जब आना जाना करेंगे तो आपके पत्तल में प्रदूषित धूल भी न आ जाये।
ईश्वर हर व्यक्ति का भोजन निश्चित रखता है आप के समक्ष आया भोजन आप यदि छोड़ते हैं तो वह आपके भोजन का अंश ही होता है। आज भी देश में अनेक आध्यात्म विज्ञानिक विशेषज्ञ विद्वान संत समाज क लोग भोजन से पहले अन्न जल का ग्रास अग्नि को अर्पण करते है। परोसा गया वह भोजन आपके पेट मे विना गए बेकार नहीं होना चाहिए। पहली बात तो यह है और दूसरी बात यह है कि जाने कितने जीव भूखे रह जाते हैं और आप भोजन को नष्ट कर रहे हैं । जितना खा सकते है उस से कम लीजिए ।जरुरत पड़ने पर और लिया जा सकता है । या आप पर भोजन अधिक है और लगता है कि खराब हो जाएगा तो किसी जरूरत मंद को देने में कोई हानि नहीं है ।वह अन्न काअपव्यय नहीं वल्कि आपके अन्न में जुड जानें की प्रक्रिया है
कोई किसी को नहीं देता ,ईश्वर सब को देता है उस की कृपा का अपमान अन्न को थाली में छोड़ कर मत करिए । अन्न का
अगर कढ़ाई की तली पतली है और इस वजह से खाना बनाते समय नीचे से जल जाती है, तो क्या इसका कोई उपाय है?
अगर कढ़ाही की तली पतली है,और इस वजह से खाना बनाते समय नीचे से पकड़(जल) जाता है तो
खाना धीमी आंच पर पकायें ।
सब्जी या अन्य जो भी व्यंजन बना रहे हों, उसे लगातार हिलाते रहें ।
कुछ भी बनाते समय कढ़ाही के नीचे तवा रखकर पकायें ।
मैं गुजराती व्यंजन हांडवा पेन में बनाती हूँ जिसका तला पतला तो नहीं है, फिर भी मैं हांडवे का घोल पेन में डालने के कुछ देर बाद पेन के नीचे तवा रख देती हूँ और मध्यम आंच पर पका लेती हूँ I इससे इसकी सिकाई अच्छी तरह हो जाती है और नीचे से जलने और ऊपर से कच्चा रहने का डर नहीं रहता है।
आमतौर पर हांडवा हांडवे के लिए विशेष रूप से बने कुकर में बनाया जाता है I जिसकी प्रक्रिया केक को बेक करने
क्या क्या हो सकता है यदि खाना पकाते समय उसमें छिपकली गिर जाए?
कुछ नही होगा, बस आप उसे चुपचाप निकालकर फ़ेक दें, किसी को गलती से भी इस बारे मे न बताऐं।
यह एक तथ्य है कि भारतीय घरेलु छिपकली जहरीली नहीं होती है। इसकी त्वचा में भी किसी प्रकार का कोई जहर नहीं होता है।
यदि छिपकली पका कर रखे हुए कम तापमान वाले खाने में गिरती है तो उसकी स्किन पर मौजूद कीटाणुओं के कारण खाना संक्रमित हो सकता है, जिसे खाने पर बीमार होने की संभावना होती है।
जिस प्रकार मक्खी हमें बीमार कर सकती है उसी प्रकार छिपकली भी कर सकती है. लेकिन यह किसी प्रकार के जहर का परिणाम नहीं है।
ऐसी सैकडों घटनाऐं हैं कि भोजन करने के कई घंटो तक लोगों की तबियत पूरी तरह ठीक थी, पर जैसे ही लोगों को भोजन मे छिपकली मिलती है
जिस थाली में लोग खाते हैं, उसी में छेद क्यों करते हैं?
ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें पूरी थाली ही खाने का हुनर मालूम नही हैं।
अजगर के शिकार निगलने की क्षमता का मुकाबला कोई छिपकली नही कर सकती हैं।
अजगर जंगल मे रहने के कारण अदृश्य हैं, छिपकली घरेलू जिंदगी में दृश्य हैं।
जो दृश्य हैं, वही दोषी हैं, जो अदृश्य हैं, वे सारे निर्दोष हैं।
यह संसार ऐसे निर्दोषों से भरा पड़ा हैं, जो पूरी थाली ही खाना जानते हैं। उसमें छेद करके अशुद्धि निकालना नहीं।
जिनकी जठराग्नि कमजोर होती हैं, वे छेद करके अशुद्धि निकालने का प्रयास करते हैं।
असली समस्या पाचन हैं। पाचन बढ़ाइए, जठराग्नि बलवती होगी।
उसके बाद थाली निगलने की काबिलियत भी हासिल होगी।
अजगरों के अभ्यारण्य में रहकर लीलने की विद्या
खाने की थाली में जूठन क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?
खाने की थाली में जूठन क्यों नहीं छोड़ना चाहिए।भोजन का महत्व सभी को मालूम है।
आप खुश किस्मत है, आपके थाली में खाना है, धन्यवाद अदा करके ग्रहण किजिए। जितना जरूरी हो उतना ही खाना अपनी थाली में लिजिए।
कुछ लोग ऐसे भी जिन्हें भोजन के लिए संघर्ष करना पड़ता है फिर थाली में भोजन आता है और कुछ लोगों को तो थाली भी नसीब नहीं होती भोजन तो दूर की बात है।
अन्न हे पूर्ण ब्रह्म है👏👏
तो भोजन को पूर्ण ब्रह्म मानिए और थाली में जूठन ना छोड़ें। अपने घर में अपनी संतान को बाल्यकाल काल से ही भोजन का महत्व समझाते हुए उन्हें भोजन के प्रति जागरूक किजिए।
मैने कुछ ग़लत कहां हो तो मुझे जरूर बता दीजियेगा
खाना खाते समय थाली की चारों तरफ पानी क्यों छिडकते हैं?
पहले जमीन पर बैठकर खाना खाते थे. शायद चिंटी वगैर हो तो तो वह थालीमें ना आ पाये इसलिये चारे तरफ पानी छिडकते होंगे.
जिस थाली में लोग खाते हैं, उसी में छेद क्यों करते हैं?
गिरगिट अपने रंग बदलने के लिए फेमस हैं लेकिन हकीकत में इंसान ही रंग बदलने वाला होता है कहीं 100 में से 3 या 4 ही ईमान धर्म को मानने वाले होते हैं
पसंद आये तो अपवोट,शेयर,कमेंट कीजिए !
कुछ लोग थाली के चारो तरफ पानी का छिड़काव कर भोजन प्रारंभ करते हैं। इसके पीछे क्या लॉजिक है?
धूल दब जाए शायद इसीलिये
खाना खाने के बाद सीने में जलन क्यों होती है?
पेट में जो एसिड होता है वो एसिड कभी कबर वापस भोजन की नली में आता है तब एसिड रिफलक्स की समस्या हो जाती है
जिसकी वजह से अपने सीने में जलन होने की समस्या होती है। और ये समस्या आम समस्या है आज कल सबको ही इस समस्या का सामना करना पड़ता है।
पाचन की समस्या हो तो भी सीने में जलन होता है।
ज्यादा मसालेदार पदार्थोंका सेवन करने से भी एसिड का प्रॉब्लम होता है।
खाना खाने के बाद शुगर फ्री चुइंगम 30 मिनट से ज्यादा चबाने से भी गॅस की समस्या होती है। इसके कारन सीने में जलन हो सकती है।
खाने की थाली में जूठन क्यों नहीं छोड़ना चाहिए?
सभी उत्तर और विशेषकर राज बहादुर सिंह सर का उत्तर बहुत अच्छा है। मैं कुछ दृष्टिकोण जोड़ना चाहती हूँ।
खाने की थाली में जूठन छोड़ने से रसोई घर का सिंक अवरोध होने की संभावना बनती है। खाना तन को पोषण न देकर ड्रेनेज पाईप अवरोध करता है।
और कचरा निपटान में भी बहुत परेशानी होती है।
अतः भोजन का अपव्यय या भोजन नष्ट करना अनुचित है।
आवश्यकतानुसार भोजन परोसें। भले ही भूख से थोड़ा कम परोस कर कुछ देर बाद थोड़ा और लें। भोजन नष्ट न करें। अधिक हो तो किसी भूखे जरूरतमंद को खाना खिला दें।
यह देखिए, भूखे बच्चे की फोटो।👇
अनुज कुमार जायसवाल जी की टिप्पणी एक दर्दनाक सच्चाई बताती है। ” दुनिया में (तकरीबन) ९० लाख लोग बिना खान
क्या क्या हो सकता है यदि खाना पकाते समय उसमें छिपकली गिर जाए?
देखिए 🦎 इस के शरीर मै त्वचा पर बहुत से विष ग्रंथि होती है जो इसको सुरक्षा प्रदान करती है अगर यह हमारे खाने मै गिर जाएगी तो इसका सारा विष हमारे खाने मै आजाएगा जो कि हमारे लिए अच्छा नहीं होगा ऎहविश हमको त्वचा रोग, फूड पोसियोइंग भी कर सकते है इसका विष तो बहुत जानलेवा होता है इसलिए रसोय घर को पूरी तर से साफ़ रखना चाहिए
क्या क्या हो सकता है यदि खाना पकाते समय उसमें छिपकली गिर जाए?
पूरा खाना जहरीला हो जाएगा ।
खाने के बाद सीने में जलन क्यों होती है?
खाने के बाद सीने में जलन पाचन क्रिया में बिगाड़ के कारण होती हैं।
पाचन क्रिया में बिगाड़ के कारण नीचे की लिंक में है उसे पढ़ ले।
अजीर्ण किन कारणों से होता है? के लिए गजानन मॅनमवार (Gajanan Manamwar) का जवाब
खाने के बाद सीने में जलन क्यों होती है?
जब भोजन मुंह में प्रवेश करता है, तब लार भोजन में उपस्थित स्टार्च को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ने लगती है। इसके बाद भोजन इसोफैगस (भोजन नली)से होता हुआ पेट में जाता है, जहां पेट की अंदरूनी परत भोजन को पचाने के लिए पाचक उत्पाद बनाती है। इसमें से एक स्टमक एसिड है। कईं लोगों में लोवर इसोफैगियल स्फिंक्टर (एलईएस) ठीक से बंद नहीं होता और अक्सर खुला रह जाता है। जिससे पेट का एसिड वापस बहकर इसोफैगस में चला जाता है। इससे छाती में दर्द और तेज जलन होती है। इसे ही जीईआरडी या एसिड रिफ्लक्स कहते हैं। कभी न कभी हर किसी को इस समस्या का सामना करना पड़ जाता है।
अधिकतर लोगों को यह समझ में नहीं आता कि हार्ट बर्न और एसि
खाने के बाद सीने में जलन क्यों होती है?
खाने के बाद सीने में जलन के कई कारण हो सकते हैं ।जब हमारा खाना अच्छी तरह से पचता नहीं है या फिर हमने अधिक मसालेदार भोजन खा लिया है ।ऐसा भी हो सकता है कि हमनेअधिक खाना खा लिया हो ।खाना ना पचने का कारण कोई बीमारी भी हो सकती हैं। इसके लिए हमें डॉक्टर से जरूर सलाह लेनी चाहिए।
खाना खाने के बाद गले में जलन क्यों होती है?
तीखा कम खाओ
कच्चा आवंला खाने के बाद पानी पीने पर पानी मीठा क्यों लगता है?
मैंने सुना है कि पानी को काटकर पीना चाहिए। पानी को काटकर कैसे किया जा सकता है, इसकी सही विधि विस्तार से बतायेंगे?
गोंद कतीरा को खाने का सही तरीका क्या है? पानी में कितनी देर भिगोना सही रहता है ?
क्यों सुपारी खाने पर सीने में भारीपन हो जाता है?
गोंद की तासीर ठंढी होती है फिर भी लोग इससे लड्डू बनाकर जाड़े में क्यों खाते हैं ?
खाना खाते समय थाली की चारों तरफ पानी क्यों छिडकते हैं?