भाग:214) पुरुषोत्तम श्रीराम पर संदेह करने से इंद्र के पुत्र जयंत को अपनी आंख गंवाना पडा था।
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
यह कथन सत्य है कि प्राकृतिक परमात्मा की छांव मे नैसर्गिक नियमों के खिलाफ झूठ छल कपट और विश्वासघात करने की सजा भुगतना पड़ा ही है।
देखिए महाराज इंद्रदेव के पुत्र जयंत को भगवान राम के मर्यादा पुरुषोत्तम होने पर संदेह हुआ। प्रभु की परीक्षा लेने के लिए उसने कौवे का रूप धारण कर माता सीता के चरण में चोंच मारी और भाग गया। इससे सीता माता के पैरों से खून निकलने लगा। यह देख भगवान राम ने उस पर बाण मारा।
भगवान् राम ने कौए की आंख क्यों फोड़ी थी?
अरण्य काण्ड के समय देवराज इन्द्र के पुत्र “जयंत” ने भगवान राम की शक्ति को जांचना चाहा जिसके हेतु वह उस स्थान पर गया जहां श्री राम और माता सीता बैठे हुए थे।
उसने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मार दी जिससे उनके पैर से खून बहने लगा। यह देखकर प्रभु राम ने धनुष पर सींक के बाण से ब्रह्मास्त्र का संधान किया। जयंत जहां कहीं भी गया वह ब्रह्मास्त्र उसके पीछे काल की तरह लग गया।
जयंत कौए के रूप में ही भागा और अपने पिता इन्द्र के पास जाकर शरण मांगी किंतु श्री राम का द्रोही जानकर इन्द्र देव ने उसे शरण नहीं दी। इस प्रकार वह ब्रह्म देव एवं महादेव के पास शरण मांगने गया किंतु श्री राम का द्रोही जान
क्यों फोडी थी भगवान राम ने इंद्र के पुत्र की आंख?
आपको जानकारी के लिये बता दूं यहां प्रस्तुत उत्तर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरित मानस से लिया गया है और इसमें कोई भी परिवर्तन नहीं किया है।
इन्द्र का मूर्ख पुत्र जयन्त कौए का रूप धरकर श्री रघुनाथजी का बल देखना चाहता था, जैसे महान मंदबुद्धि चींटी समुद्र का थाह पाना चाहती हो। वह मूढ़, मंदबुद्धि कारण से (भगवान के बल की परीक्षा करने के लिए) बना हुआ कौआ सीताजी के चरणों में चोंच मारकर भागा। जब रक्त बह चला, तब श्री रघुनाथजी ने जाना और धनुष पर सींक (सरकंडे) का बाण संधान किया।
श्री रघुनाथजी, जो अत्यन्त ही कृपालु हैं और जिनका दीनों पर सदा प्रेम रहता है, उनसे भी उस अवगुणों के घर मूर्ख जयन्त न
तुलसीतुलसीदास कृत रामचरित मानस में चौपाई ही-मूढ़ मन्द मति कारन कागा ।सीता चरमूर्ख मंदबुद्धि कौए(जायंट) न चोंच हति भागा।। अर्थात् मूर्ख मंदबुद्धि कौए(जयंत)ने सीता जी के कोमल चरन(पैर)मे चोंच मार दी जिससे सीता जी के पैर से रक्त निकलने लगा जिससेरं रजो क्रोधित हो गये और उन्होंने कौए का वध करने का निश्चय कर ल लिया कौआ चारों लोकों में भटका किन्ती कहीं शरण नही मिली बाद में कुए मे उतरा परंतु बाण ने पीछा नहीं छोडा।
क्यों फोडी थी भगवान राम ने इंद्र के पुत्र की आंख?
क्यों किया था भगवान राम ने शूद्र ऋषि शम्बूक का वध?
क्या भगवान श्री राम की कोई बड़ी बहन भी थी?
क्योंकि भगवान राम की परीक्षा लेने के चक्कर में उसने माता सीता को कष्ट पहुंचाया था
जिससे भगवान ने उसके ऊपर ब्रम्हास्त्र चला दिया जिससे कौवे जयंत ने तीनों लोकों के चक्कर लगाए पर किसी ने मदद नही की तब वह भगवान राम के पास पहुंचा छमा याचना की तब भगवान ने उसकी एक आंख फोड उसे छोड़ दिया था
भगवान राम ने अपनी आँखें देवी दुर्गा को क्यों अर्पित कीं थी?
कथाओं के अनुसार, प्रभु श्रीराम के लिए रावण को हराना मुश्किल अत्यंत ही मुश्किल था क्योंकि रावण को भवगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त था। रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था और उसे अमरत्व का वरदान प्राप्त था। कुछ कथाओं में कहा गया है कि मां सीता का हरण होने के बाद जब भगवान राम ने रावण के खिलाफ युद्ध छेड़ा तो खुद मां अंबिका जो मां पार्वती का दूसरा स्वरूप हैं रावण की सारथी की भूमिका में थीं।
उधर भगवान राम की ओर से रावण का भाई विभीषण युद्ध लड़ रहा था लेकिन रावण की ओर आदि शक्ति मां पार्वती थीं इसलिए युद्ध में रावण को हराना मुश्किल हो रहा था। रावण के भाई विभीषण ने इस बात की जानकारी भगवान राम को दी। विभीषण ने प्रभु राम को सलाह दी कि वह आदि शक्ति मां पार्वती की उपासना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। अगर देवी मां उनके पक्ष में हो जाती हैं तो रावण को आसानी से हराया जा सकता है।
श्रीरामचरित मानस में तुलसीदास जी लिखते हैं कि एक बार की बात है कि जब देवराज इंद्र का मूढ़ पुत्र जयंत प्रभु श्रीराम के शक्ति की थाह वैसे ही लगाना चाह रहा था जिस प्रकार मंदबुद्धि चींटी समुद्र की थाह लगाना चाहती है ठीक उसी तरह मंदबुद्धि जयंत ने प्रभु श्रीराम के शक्ति की थाह लगाने के लिए पहले उसने एक कौए का रूप धारण किया. इसके बाद मूढ़ जयंत ने-
सीता चरण चोंच हतिभागा | मूढ़ मंद मति कारन कागा ||
चला रूधिर रघुनायक जाना | सीक धनुष सायक संधाना ||
अर्थात वह मूढ़ मंदबुद्धि जयंत कौए के रूप में माता सीता के पैरों में चोंच मारकर भाग गया. चोंच लगने के बाद जब माता सीता के पैरों से रुधिर बहने लगा तो तो प्रभु श्रीराम ने अपने कोदंड नामक धनुष पर एक सरकंडे को चढ़ाकर संधान किया. अब जयंत अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगा. सबसे पहले जयंत अपने असली रूप को धारण कर अपने पिता इंद्र के पास गया, लेकिन जब उसके पिता ने यह जाना कि जयंत ने प्रभु श्रीराम का विरोध किया है तो उन्होंने जयंत को शरण देने से मना कर दिया. पिता के शरण न देने पर जयंत भयभीत होकर ब्रह्मलोक, शिवलोक सहित सभी लोकों में व्याकुल होकर भागता रहा लेकिन उसे किसी ने भी अपने यहां इसलिए रुकने नहीं दिया क्योंकि प्रभु श्रीराम के दोषी को कौन हाथ लगा सकता था.
नारद जी ने बताया था जयंत को उपाय: तब नारद जी ने जयंत को भयभीत और व्याकुल देखकर बताया कि अब तुम्हें केवल प्रभु श्रीराम ही बचा सकते हैं. इसलिए अब तुम उन्हीं की शरण में जाओ. नारद जी बातों को मानकर तब जयंत ने ‘हे शरणागत के हितकारी प्रभु श्रीराम, मेरी रक्षा कीजिए’, कहते हुए प्रभु श्रीराम के चरणों गिरकर क्षमा मांगने लगा. इस पर दयालु प्रभु श्रीराम ने उसको क्षमा कर दिया लेकिन फिर भी जयंत रुपी कौए की एक आंख फूट गई. क्योंकि प्रभु श्रीराम के द्वारा छोड़ा गया बाण कभी निष्फल नहीं जाता
भगवान् राम ने कौए की आंख क्यों फोड़ी थी?
अरण्य काण्ड के समय देवराज इन्द्र के पुत्र “जयंत” ने भगवान राम की शक्ति को जांचना चाहा जिसके हेतु वह उस स्थान पर गया जहां श्री राम और माता सीता बैठे हुए थे।
उसने कौए का रूप धारण कर माता सीता के पैर में चोंच मार दी जिससे उनके पैर से खून बहने लगा। यह देखकर प्रभु राम ने धनुष पर सींक के बाण से ब्रह्मास्त्र का संधान किया। जयंत जहां कहीं भी गया वह ब्रह्मास्त्र उसके पीछे काल की तरह लग गया।
जयंत कौए के रूप में ही भागा और अपने पिता इन्द्र के पास जाकर शरण मांगी किंतु श्री राम का द्रोही जानकर इन्द्र देव ने उसे शरण नहीं दी। इस प्रकार वह ब्रह्म देव एवं महादेव के पास शरण मांगने गया किंतु श्री राम का द्रोही जान
क्यों फोडी थी भगवान राम ने इंद्र के पुत्र की आंख?
आपको जानकारी के लिये बता दूं यहां प्रस्तुत उत्तर गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रामचरित मानस से लिया गया है और इसमें कोई भी परिवर्तन नहीं किया है।
इन्द्र का मूर्ख पुत्र जयन्त कौए का रूप धरकर श्री रघुनाथजी का बल देखना चाहता था, जैसे महान मंदबुद्धि चींटी समुद्र का थाह पाना चाहती हो। वह मूढ़, मंदबुद्धि कारण से (भगवान के बल की परीक्षा करने के लिए) बना हुआ कौआ सीताजी के चरणों में चोंच मारकर भागा। जब रक्त बह चला, तब श्री रघुनाथजी ने जाना और धनुष पर सींक (सरकंडे) का बाण संधान किया।
श्री रघुनाथजी, जो अत्यन्त ही कृपालु हैं और जिनका दीनों पर सदा प्रेम रहता है, उनसे भी उस अवगुणों के घर मूर्ख जयन्त न
तुलसीतुलसीदास कृत रामचरित मानस में चौपाई ही-मूढ़ मन्द मति कारन कागा ।सीता चरमूर्ख मंदबुद्धि कौए(जायंट) न चोंच हति भागा।। अर्थात् मूर्ख मंदबुद्धि कौए(जयंत)ने सीता जी के कोमल चरन(पैर)मे चोंच मार दी जिससे सीता जी के पैर से रक्त निकलने लगा जिससेरं रजो क्रोधित हो गये और उन्होंने कौए का वध करने का निश्चय कर ल लिया कौआ चारों लोकों में भटका किन्ती कहीं शरण नही मिली बाद में कुए म
क्यों फोडी थी भगवान राम ने इंद्र के पुत्र की आंख?
क्यों किया था भगवान राम ने शूद्र ऋषि शम्बूक का वध?
क्या भगवान श्री राम की कोई बड़ी बहन भी थी?
क्योंकि भगवान राम की परीक्षा लेने के चक्कर में उसने माता सीता को कष्ट पहुंचाया था
जिससे भगवान ने उसके ऊपर ब्रम्हास्त्र चला दिया जिससे कौवे जयंत ने तीनों लोकों के चक्कर लगाए पर किसी ने मदद नही की तब वह भगवान राम के पास पहुंचा छमा याचना की तब भगवान ने उसकी एक आंख फोड उसे छोड़ दिया था
भगवान राम ने अपनी आँखें देवी दुर्गा को क्यों अर्पित कीं थी?
कथाओं के अनुसार, प्रभु श्रीराम के लिए रावण को हराना मुश्किल अत्यंत ही मुश्किल था क्योंकि रावण को भवगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त था। रावण भगवान शिव का अनन्य भक्त था और उसे अमरत्व का वरदान प्राप्त था। कुछ कथाओं में कहा गया है कि मां सीता का हरण होने के बाद जब भगवान राम ने रावण के खिलाफ युद्ध छेड़ा तो खुद मां अंबिका जो मां पार्वती का दूसरा स्वरूप हैं रावण की सारथी की भूमिका में थीं।
उधर भगवान राम की ओर से रावण का भाई विभीषण युद्ध लड़ रहा था लेकिन रावण की ओर आदि शक्ति मां पार्वती थीं इसलिए युद्ध में रावण को हराना मुश्किल हो रहा था। रावण के भाई विभीषण ने इस बात की जानकारी भगवान राम को दी। विभीषण ने प्रभु राम को सलाह दी कि वह आदि शक्ति मां पार्वती की उपासना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। अगर देवी मां उनके पक्ष में हो जाती हैं तो रावण को आसानी से हराया जा सकता है।