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(भाग:251) श्रीलंका पति पं दशानन रावण महाराज का अंतिम संस्कार और विभीषण को राजतिलक। रामलीला मंचन

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(भाग:251) श्रीलंका पति पं दशानन रावण महाराज का अंतिम संस्कार और विभीषण को राजतिलक। रामलीला मंचन

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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श्री लंकापति प्रकाण्ड पं दशानन रावण महाराज का अंतिम संस्कार एक राजा की तरह किया गया. शास्त्रों के अनुसार विभीषण ने अपने भाई रावण की चिता को अग्नि दी और सिर झुकाकर उनके लिए प्रार्थना किया जिसके बाद मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम, विभीषण, लक्ष्मण और उनकी सेना वापस घर लौट आए. यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है

श्री रामलीला में रावण वध के बाद विभीषण का राजतिलक हुआ: श्री धार्मिक लीला में सोमवार रात को वनवासी राम और लंका के राजा रावण के बीच युद्ध होता है। इस युद्ध में राम लंकापति रावण का वध कर देते हैं। इससे पूर्व इनेलो की पदाधिकारी जगजीत कौर ने ज्योति प्रज्वलित कर मंचन का शुभारंभ किया

ण का वध कर उसके पूरे कुल का सर्वनाश किया था. रावण शिवजी के परमं भक्त, राजनीतिज्ञ, महापराक्रमी योद्धा, अत्यन्त बलशाली, शास्त्रों का प्रखर ज्ञानी और विद्वान था. यही कारण है कि आज भी भारत के कई शहरों में रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उनकी पूजा की जाती है. यह हर कोई जानता है कि मर्यादा पुरषोत्तम भगवान राम ने रावण का वध किया था, लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि रावण के मरने के बाद उसका अंतिम संस्कार किसने और कैसे किया था?

 

रावण की मृत्यु के बाद जब यह खबर उनकी पत्नी मंदोदरी को लगी तो वह दुखी हो गईं और विलाप करने लगीं. वह यह सोच रही थीं कि रावण ज्ञानी होने के बाद भी बुरे कर्म करता रहा और अब उनका अंतिम संस्कार करने के लिए भी कोई नहीं बचा.

दशहरा मैदान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामकथा एवं श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में सोमवार को सीता हरण, लंका दहन, विभीषण का राज्याभिषेक के साथ राम के राजतिलक देख भक्तों ने फूल बरसाकर स्वागत किया। दशहरा मैदान में संत चिन्मयानंद बापू ने अंतिम दिन कथा में सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्घ, विभीषण का राज्याभिषेक किया गया ।

 

खुर्सीपरर जोन-2 दशहरा मैदान में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामकथा एवं श्रीलक्ष्मी नारायण महायज्ञ में सोमवार को सीता हरण, लंका दहन, विभीषण का राज्याभिषेक के साथ राम के राजतिलक देख भक्तों ने फूल बरसाकर स्वागत किया।

 

दशहरा मैदान में संत चिन्मयानंद बापू ने अंतिम दिन कथा में सीता हरण, लंका दहन, राम-रावण युद्घ, विभीषण का राज्याभिषेक सहित राम के राज तिलक प्रसंग का भावपूर्ण वर्णन किया। इस अवसर पर पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय एवं आयोजन समिति के सदस्यों द्वारा कथावाचक चिन्मयानंद बापू को स्मृति चि- एवं शॉल से सम्मान किया गया।

 

बापू ने कहा कि रामायण हमें जीने के तरीके सिखाती है। दूसरों की सम्पत्ति चाहे कितनी भी मूल्यवान हो उस पर हमारा कोई अधिकार नहीं है। चौदह वर्ष वनवास पूर्ण करने के बाद भगवान श्रीराम जब वापस अयोध्या पहुंचे तो अयोध्यावासी खुशियों से झूम उठे। रामायण हमें आदर, सेवा भाव, त्याग व बलिदान के साथ दूसरों की संपत्ति पर हमारा कोई अधिकार नहीं है, ऐसा सिखाती है। उन्होंने बताया कि जिस प्रकार भगवान श्रीराम ने दीन-दुखियों, वनवासियों आदिवासियों के कष्ट दूर करते हुए, उन्हें संगठित करने का कार्य किया एवं उस संगठित शक्ति के द्वारा ही समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया। हर राम भक्त का दायित्व है कि पुनीत कार्य में अपना सहयोग प्रदान करें। यह राम कार्य है। श्रीराम के राज्याभिषेक का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि बुराई और असत्य ज्यादा समय तक नहीं चलती। अन्ततः अच्छाई और सत्य की जय होती है। अधर्म पर धर्म की जीत हमेशा होती आई है। श्रीराम के राज्याभिषेक के प्रसंग के दौरान पूरे पंडाल में पुष्पों की वर्षा भक्तों ने की।

कथावाचक बापू ने श्रद्घालुओं को कहा कि श्रीराम कथा हमें जीवन जीने का सही मार्ग प्रदर्शित करती है। यह मात्र एक कथा नहीं बल्कि जीवन जीने का सूत्र है कि किस प्रकार हमें एक प्रभु के आदर्श पथ पर चलना चाहिए। हमें एक आदर्श पुत्र, आदर्श पति एवं आदर्श भाई के कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पिछले नौ दिनों में हमने यहां प्रभु के जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातों को सुना है। हमें इन सभी बातों का अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना होगा। तभी रामराज्य स्थापित किया जा सकेगा। कथा के अंतिम आज पूर्व मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, बुद्घन सिंह ठाकुर, मनीष पाण्डेय, विनोद सिंह, रविन्द्र सिंह, जयशंकर चौधरी, प्रशांत पाण्डेय, सेवकराम साहू, अनूप तिवारी, मोहन तिवारी, संजय यादव, प्रशांत तिवारी, प्रवीण, पवन यादव, प्रिंस, अतुल, सत्यम, सुनील मौर्य, मनजीत सिंह, विनोद शर्मा, लालचंद मौर्य, वेंकट, मुकेश नंदी, नागेश, रघु, राजेश, प्रदीप चौबे, शंकर खत्री, कुबेर नारायण अग्रवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्घालु उपस्थित थे।

 

श्रीराम जन्मोत्सव समिति व जीवन आनंद फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ के अंतिम दिन यज्ञ में पूर्णाहूति की गई। नौ दिनों तक देवताओं को आवाहित करने तथा नारायण भगवान को प्रसन्ना करने के लिए यज्ञ का आयोजन किया गया था, जिसके अंतिम दिन 1011 श्रीफल के द्वारा प्रयाग एवं वाराणसी से आए वैदिक ब्राह्मणों के द्वारा श्री लक्ष्मी नारायण महायज्ञ का समापन किया गया।

विभीषण का राजतिलक कर अयोध्या चले श्रीराम

रामलीला महोत्सव में श्रीराम द्वारा रावण का वध करने के बाद विभीषण का राजतिलक सीता जी का आगमन तथा अग्नि परीक्षा श्रीराम का सीता और लक्ष्मण समेत अयोध्या को प्रस्थान की लीला का मंचन किया गया। जिसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग उमड़े रहे।

 

विभीषण का राजतिलक, सीता जी का आगमन तथा अग्नि परीक्षा, श्रीराम का सीता और लक्ष्मण समेत अयोध्या को प्रस्थान की लीला का मंचन किया गया। जिसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग उमड़े रहे।

 

श्री राम लीला महोत्सव में मंचन के दौरान श्रीराम पापी रावण का वध कर देते हैं, जिससे वानर सेना में खुशी की लहर दौड़ जाती है। जिसके बाद उनके द्वारा विभीषण का राजतिलक करके उन्हें लंका का राजा बनाया जाता है। इसी दौरान सीता का भी अशोक वाटिका से आगमन हो जाता है। जिस पर श्रीराम सीता को अपनाने से पहले उनसे अग्नि परीक्षा मांगते हैं। अग्नि परीक्षा में सीता माता की पवित्रता के बाद वह अयोध्या जाने की बात विभीषण से कहते हैं। जिसके बाद वह सीता, लक्ष्मण को लेकर पुष्पक विमान से अयोध्या के लिए निकल पड़ते हैं। उधर, श्रीराम के अयोध्या आने की जानकारी होने से वहां के निवासियों में खुशी की लहर दौड़ जाती है। अयोध्या में श्रीराम के आने की तैयारियां होने लगती है। उधर, रामलीला मैदान में लगे मेले को देखने के लिए काफी संख्या में श्रद्धालु उमड़े। इस दौरान व्यवस्थाओं में चंद्रपाल साहनी, नंद किशोर शर्मा, संजय गोविल, उमाशंकर अग्रवाल, दीपक गर्ग, राजकुमार, चंद्रप्रकाश तायल आदि रहे

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