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मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिला मे पचमढ़ी महादेव दर्शन यात्रा का शुभारंभ

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिला मे पचमढ़ी महादेव दर्शन यात्रा का शुभारंभ

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

पचमढी। चौरागढ़ मंदिर लगभग 4200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है, जिस वजह से यहां से आसपास के जंगलों, घाटियों और सूर्योदय का मनमोहक दृश्य भी देखा जा सकता है. इसी वजह से अक्सर पचमढ़ी की यात्रा पर आने वाले पर्यटक यहां घूमने आते हैं. इसके साथ ही महाशिवरात्रि के दौरान यहां महामेला और महाअभिषेक का आयोजन किया जाता है.

इस त्यौहार को भक्त भगवान शंकर के विवाह के रूप में मनाते है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भोलेनाथ ने माता पार्वती के साथ विवाह रचाया था. इसलिए महाशिवरात्रि का पर्व शिव भक्तों के लिए विशेष दिन है. शिव के भक्त महाशिवरात्रि की तैयारी एक सप्ताह पहले ही शुरू कर देते हैं. ऐसे में प्रसिद्ध एवं प्राचीन मंदियों में एक सप्ताह पहले से ही पूजन और मेले का आयोजन शुरू हो जाता है, इसी कड़ी में आगामी 1 मार्च को महाशिवरात्रि के पर्व को देखते हुए आज से सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी में महादेव मेले का पर्व शुरू हो गया है. जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. 8 दिन तक लगने वाले इस मेले में करीब 4 लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है. कोरोना के चलते लगे प्रतिबंध भी इस बार हट गए हैं. ऐसे में मेले में भक्तों की अच्छी भीड़ जुट रही है. क्योंकि इस मंदिरा का धार्मिक महत्व भी बहुत पुराना है.

 

8 दिन तक लगता है मेला

पचमढ़ी मध्य प्रदेश का एकमात्र हिलस्टेशन है, जहां आगामी 8 दिनों तक शिव भक्तों का ताता लगा रहेगा. कोरोना महामारी के कारण पिछले दो साल से चौरागढ़ महादेव मेले का आयोजन नहीं हो पा रहा था. आज से सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी के चौरागढ़ में महादेव मेले का पर्व शुरू हो गया है. महाराष्ट्र के श्रद्धालु छिंदवाड़ा जिले से होते हुए यहां पहुंचते हैं. इसलिए नर्मदापुरम और छिंदवाड़ा प्रशासन ने मेले के आयोजन को सम्पन्न कराने के लिए संयुक्त रूप से तैयारी की है.

 

भगवान शंकर ने छोड़ दिया था त्रिशूल

पौराणिक मान्यता है कि सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी के चौरागढ़ में चोरा बाबा ने भगवान शिव की तपस्या की थी. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गये थे. जिसके बाद यहां मंदिर की स्थापना हुई. यह मंदिर मध्य प्रदेश की सबसे ऊंची चोटियों में से एक पर बना हुआ है।

अगर आप भी देवाधिदेव महादेव के दर्शन करना चाहते हैं तो कुछ इस तरह से सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में आसानी से पहुंचा जा सकता है।

 

दो दिन बाद लगने वाला है महादेव मेला, ऐसे पहुंचे पचमढ़ी की सुरम्य वादियों में,दो दिन बाद लगने वाला है महादेव मेला, ऐसे पहुंचे पचमढ़ी की सुरम्य वादियों में

 

नर्मदापुरम. दो दिन बाद यानी 22 फरवरी से प्रदेश व नर्मदांचल के हिल स्टेशन एवं शिवनगरी पचमढ़ी में महादेव मेला लगने वाला है। कोरोना संक्रमण के करीब दो से सवा दो साल बाद यह भव्य मेला शुरू होगा। अगर आप भी देवाधिदेव महादेव के दर्शन करना चाहते हैं तो कुछ इस तरह से सतपुड़ा की सुरम्य वादियों में आसानी से पहुंचा जा सकता है। मप्र के नर्मदापुरम(होशंगाबाद) जिले में बरामदा घाटी और अविरल जंगलों के बीच चौरागढ़ के शिखर पर स्थित चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी के सबसे प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। यह प्रसिद्ध मंदिर भूतभावन भगवान शिव को समर्पित है जिसे महादेव मंदिर के नाम से भी जाना है। यह मंदिर लगभग 4200 फिट की ऊंचाई पर स्थित है। इस वजह से यहां से आसपास के जंगलों की घाटियों और सूर्योदय का मनमोहक दृश्य भी बेहद सुंदर दिखाई देता है। इसी वजह से अक्सर पचमढ़ी की यात्रा पर आने वाले पर्यटक और भूरा भगत यहां घूमने हर साल आते हैं। साथ ही महाशिवरात्रि के दौरान यहां एक मेले और महाअभिषेक के आयोजन में लाखों भक्तों की भीड़ जुटती है। इस बार भी यहां 2 से 3 लाख से अधिक भक्तों के पहुंचने की संभावनाएं हैं।

 

13 सौ सीढिय़ां चढ़कर चढ़ाते हैं त्रिशूल

भगवान शिव के त्रिशूल का अलग ही महत्व है। चौरागढ़ मंदिर पर त्रिशूल अर्पित किए जाते हैं। यहां हमेशा हजारों त्रिशूलों दिखाई देते हैं। मान्यता है कि मंदिर तक पहुंचने के लिए शिव भक्तों को लगभग 1300 सीढिय़ां पार करनी पड़ती है। पर्यटक और श्रद्धालु हर-हर महादेव, बम भोला, जय शिव शंभू का जयघोष करते हुए आसानी से कठिन सीढिय़ों को चढ़ जाते हैं समय का पता ही नहीं चलता। भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए त्रिशूल चढाते हैं। यहां चोरा बाबा ने तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने उन्हें दर्शन दिए और अपना त्रिशूल इसी स्थान पर छोड़ कर चले गये थे। उसी समय के बाद से चौरागढ़ मंदिर में त्रिशूल चढ़ाने की परम्परा शुरू हुई थी।

 

इन साधनों से पहुंचा जा सकता है शिवधाम

जो भी भक्त और सैलानी चौरागढ़ मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं वे किसी भी साधन से पचमढ़ी महादेव धाम पहुंच सकते हैं। यहां रूकने की भी अच्छी व्यवस्था है। क्योंकि चौरागढ़ मंदिर पचमढ़ी के काफी नजदीक है।

 

हवाई यात्रा से भी आ सकते हैं…

पचमढ़ी हिल स्टेशन की यात्रा के लिए राजधानी भोपाल और मेट्रो जबलपुर हवाई अड्डा पचमढ़ी के सबसे नजदीकी एयरपोर्ट है। पर्यटक दिल्ली और इंदौर से इन शहरों के लिए सीधे उड़ानें भर सकते हैं। इसके अलावा रायपुर, हैदराबाद और अमहाबाद सहित अन्य शहरों से भी भोपाल या जबलपुर के लिए फ्लाइट पकड़ी जा सकती है।

 

सड़क मार्ग से बेहद आसान हैं पहुंचाना

भोपाल, जबलपुर, नागपुर, इंदौर और कान्हा नेशनल पार्क और पेंच नेशनल पार्क से पचमढ़ी जाने के लिए बसों की बहुत सारी सुविधाएं हैं। एक छावनी शहर होने के कारण यहां सड़कें भी चकाचक है। पचमढ़ी की यात्रा सड़क से ही पूरी की जाती है।

 

टे्रन से पिपरिया उतरकर पचमढ़ी आना होता है

चोरागढ़ मंदिर पचमढ़ी की यात्रा के लिए ट्रेन से भी आसानी से आया जा सकता है। इसके लिए पिपरिया रेलवे स्टेशन पर उतरना पड़ेगा। यह पचमढ़ी के नजदीक ही है। कई ट्रेनें पिपरिया को कोलकाता, जबलपुर, आगरा, ग्वालियर, दिल्ली, अहमदाबाद, वाराणसी, नागपुर इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ती हैं। अगर पिपरिया तक सीधी ट्रेन नहीं मिलती है, तो आप इटारसी रेलवे स्टेशन के लिए ट्रेन ले सकते हैं।

क्या है पचमढ़ी में खास, लौटने का दिल नहीं करता

पचमढ़ी मध्यप्रदेश की खूबसूरत पर्यटन नगरी है।चौरागढ़ मंदिर के साथ साथ यहां जटा शंकर गुफाएं, बी वाटरफॉल, सतपुड़ा नेशनल पार्क, पांडव गुफा, धूपगढ़, हांडी खोह महादेव पहाड़ी,डचस, झरना और प्रियदर्शनी प्वाइंट भी देखे जा सकते हैं

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