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(भाग:279) भविष्य पुराण के अनुसार छल-कपट विश्वासघात बेईमानी और भ्रष्टाचार से कमाया धन अशांति पैदा करता है

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भाग:279) भविष्य पुराण के अनुसार छल-कपट विश्वासघात बेईमानी और भ्रष्टाचार से कमाया धन अशांति पैदा करता है

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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भविष्य पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अपने जीवन काल में झूठ छल,कपट,विश्वासघात बेईमानी, अन्याय और भ्रष्टाचार से धन दौलत कमाता है वह धन दौलत जीवन में अशांति और बेचैनी पैदा करती है। ऐसे धन को धर्म के काम में लगाने का औचित्य नहीं है। जो धन किसी के आंसू निकालकर और भावनाओं को ठेस पंहुचाकर कमाया हो, किसी को दुखी करके कमाया हो, वह ठीक नहीं है। आज सबसे बड़ा पापी वह है जो परिग्रह करता है। वर्तमान में धन से इज्जत मिलती है। यदि व्यक्ति के पास सबकुछ है और धन नहीं है तो उसे इज्जत नहीं मिलती है। न्याय से उपार्जित किया धन श्रावक के जीवन को आगे बढ़ाता है, इससे श्रावक को शांति मिलती है।

भविष्य पुराण के अनुसार झूठ छल-कपट विश्वासघात धोखाधडी बेईमानी, अन्याय अत्याचार और भ्रष्टाचार करने वालों को इसका खामियाजा अंतत: व्यक्ति को भुगतना ही पड़ता है

सोचना कुछ, कहना कुछ और करना कुछ, इसी को वैचारिक दृष्टि से असत्य कहा जाता है। सार्वजनिक जीवन में आदर्श की बातें करना और व्यक्तिगत जीवन में उसके विपरीत आचरण करने को ही असत्य और झूठ-फरेब कहा जाता है।

सोचना कुछ, कहना कुछ और करना कुछ, इसी को वैचारिक दृष्टि से असत्य कहा जाता है। सार्वजनिक जीवन में आदर्श की बातें करना और व्यक्तिगत जीवन में उसके विपरीत आचरण करने को ही असत्य और झूठ-फरेब कहा जाता है। झूठ-फरेब करने वाला सोचता है कि वह बहुत फायदे में है और बहुत जल्द उपलब्धियों के मुकाम पर पहुंच जाएगा, लेकिन उसे नहीं पता कि इस झूठ-फरेब की वह कितनी बड़ी कीमत चुकाता है। झूठ के चलते अक्सर परिवार में कलह, द्वंद्व, कटुता और अमर्यादा का बोलबाला हो जाता है।

शास्त्रों के अनुसार एक झूठ से असत्य बोलने वाले व्यक्ति के कई पुण्य समाप्त हो जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे टूटे बर्तन में कोई तरल पदार्थ रखा जाए तो वह धीरे-धीरे बह जाता है। लोक-जीवन में घर-घर में कुशल-मंगल के लिए लोग मनौतियां मानते हैं और परिवार के लोग उसे पूरा करने के लिए भगवान की शरण में जाते है और काफी पैसा खर्च कर आध्यात्मिक अनुष्ठान करते हैं। इन सारे अनुष्ठानों में सत्य और सदाचार के भाव होते हैं। किसी ग्रंथ में झूठ-फरेब बोलने के श्लोक, मंत्र, भजन नहीं होते। पूजा तो सदाचार की होती है, लेकिन पूजा करने वाले के मन में जब अहर्निश असत्य, छल-कपट होता है तो फिर भगवान एवमस्तु और तथास्तु कैसे कह देंगे? यह सामान्य दिमाग से सोचा जा सकता है। यदि भगवान एवमस्तु कहते भी हैं तो इसका मतलब है, हम झूठ-फरेब की जो गतिविधियां दूसरों के साथ कर रहे हैं वही हमारे साथ भी होंगी।

धर्म-ग्रंथों में कहा गया है कि झूठ का खामियाजा अंतत: व्यक्ति को भुगतना पड़ता है। रामचरितमानस में भी श्रीराम आदर्श के प्रतीक हैं। पूजा श्रीराम की करें और आचरण रावण का तो इससे बड़ा विरोधाभास दूसरा कोई नहीं हो सकता। झूठ-फरेब से बना आलीशान बंगला एक दिन हमें और हमारे परिजनों को डराने लगता हैं। इसके अलावा झूठ-फरेब के बल पर मिली उपलब्धियों और मान-सम्मान की कलई खुलने का डर भी धीरे-धीरे मन में समाने लगता है। सच तो यह है कि एक झूठ को छिपाने के लिए अनेक झूठ बोलने पड़ते हैं। बस भय-मिश्रित यह स्थिति तनाव की जननी बन जाती है और यह जननी क्रोध, चिड़चिड़ापन, उलझन, डिप्रेशन, गाली-गलौज और असहजता रूपी ढेरों कुपुत्रों की फौज खड़ा कर देती है और व्यक्ति किसी और से नहीं, बल्कि इन्हीं वैचारिक समस्याओं से परेशान हो जाता है

शास्त्रों में मन, वचन और कर्म को आधार मानकर हमारे व्यक्तित्व को परिभाषित किया गया है। रोजमर्रा के जीवन में कड़वे शब्दों के प्रयोग से ही विवादों का जन्म होता है।

दूसरों के धन को हड़पने और छल-कपट करने सहित इन 11 कामों को पाप माना गया है

कुछ लोग पूजा-पाठ और दान धर्म तो काफी करते हैं, लेकिन उनकी मनोकामनाएं अधूरी ही रह जाती हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार महाभारत, शिवपुराण और गरुड़ पुराण में बताए 10 ऐसे काम बताए गए हैं, जो पाप हैं। जो व्यक्ति ये पाप करता है, उसे किसी भी देवी-देवता की कृपा नहीं मिल पाती है और जीवन में दुख बना रहता है। जानिए ये 11 काम कौन-कौन से हैं…

पहला पाप

किसी भी स्त्री का अपमान करना पाप है। ध्यान रखें कभी भी गर्भवती या मासिक धर्म के दौरान किसी महिला को बुरा बोलना, अपमान करना महापाप है। ये पाप करने वाले व्यक्ति को कभी भी सुख नहीं मिल पाता है।

दूसरा पाप

दूसरों का धन पाने की इच्छा करना भी शास्त्रों के अनुसार पाप है।

तीसरा पाप

किसी सीधे-साधे इंसान को या जीव को कष्ट देना, नुकसान पहुंचाना, उनके लिए बाधाएं पैदा करने की योजना बनाना भी पाप है।

चौथा पाप

अच्छा-बुरा, सही-गलत जानने और समझने के बाद भी गलत काम करना पाप है।

पांचवां पाप

पराए स्त्री-पुरुष पर बुरी नजर रखना या उन्हें पाने की कोशिश करना या उनके बारे में गलत सोचना भी पाप है।

छठा पाप

दूसरों के मान-सम्मान को नुकसान पहुंचने की नीयत से झूठ बोलना, छल-कपट करना, षड़यंत्र रचना पाप है।

सातवां पाप

छोटे बच्चों, महिलाओं या किसी भी कमजोर व्यक्ति या जीव के खिलाफ हिंसा करना, असामाजिक कर्म करना भी पाप है।

आठवां पाप

किसी मंदिर की चीजें चुराना या गलत तरीके से दूसरों की संपत्ति हथियाना भी पाप है।

नवां पाप

गुरु, माता-पिता, पत्नी या पूर्वजों का अपमान करने वाले को शिवजी कभी क्षमा नहीं करते हैं।

दसवां पाप

नशा करना, दान की हुई चीजें या धन वापस लेना महापाप है। किसी भी प्रकार के अधर्म में भागीदार बनना पाप है।

ग्यारहवां पाप

अपनी चरम सुख की प्राप्ति के लिए पराई स्त्री गमन व्यभिचार और पराया पुरुष गमन व्यभिचार करने वाले महिला-पुरुष नरक गामी होते हैं?

सहर्ष सूचनार्थ नोट्स:-

उपरोक्त लेख भविष्य पुराण विशेषज्ञ संत महात्माओं के प्रवचनों और धार्मिक ग्रन्थों से संकलन किया गया है? सामान्य ज्ञान के उद्देश्य से प्रस्तुत है।

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