महायुति में ‘लाड़ली बहन योजना’ का श्रेय लेने मची होड़
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मुंबई। महायुति में ‘लाड़ली बहन योजना’ का श्रेय लेने की मची होड़, शिंदे गुट के इस बयान से अजीत पवार को टेंशन बढ सकती है।
महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री लाड़ली बहन योजना से महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये मिलेंगे. ऐसे में महायुति में इस योजना का श्रेय लेने की होड़ मच गई है।
मुख्यमंत्री लाड़ली बहन योजना को राज्यभर से जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. अब तक 1.5 करोड़ से अधिक महिलाओं ने इसका लाभ उठाया है. सितंबर महीने के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है. हालांकि, इस योजना को लेकर अब महायुति (NDA) के भीतर श्रेय लेने की होड़ मच गई है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार ‘जनसंमान यात्रा’ के जरिए विभिन्न जिलों में महिलाओं को समर्थन देने पहुंचे हैं, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी अपने हर भाषण में इस योजना का उल्लेख कर महिलाओं को इस ओर आकर्षित कर रहे हैं.
दोनों नेताओं के बीच इस योजना को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है. शिवसेना नेता और पूर्व विधायक अर्जुन खोतकर का कहना है कि मुख्यमंत्री शिंदे का इस योजना में अहम योगदान है. इससे महागठबंधन में एक बार फिर मतभेद उभरने की संभावना है.
यह श्रेय की लड़ाई मंत्रालय तक पहुंच चुकी है. कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री शिंदे और मंत्री शंभुराज देसाई ने एनसीपी नेता धनंजय मुंडे पर निशाना साधा था, क्योंकि एनसीपी द्वारा जारी विज्ञापनों में मुख्यमंत्री का उल्लेख नहीं किया गया था. इससे शिवसेना के नेताओं में असंतोष देखा जा रहा है. अर्जुन खोतकर ने इस मुद्दे को उठाते हुए स्पष्ट रूप से कहा है कि इस योजना में मुख्यमंत्री का बड़ा योगदान है.
इस बीच, महागठबंधन में शामिल तीनों दल आगामी विधानसभा चुनावों के लिए तैयारी कर रहे हैं. खोतकर ने यह भी कहा कि सभी जगहों पर तीनों दलों का साथ रहना संभव नहीं होगा, और जहां टकराव होगा वहां हिंसा के बजाय मैत्रीपूर्ण मुकाबला होना चाहिए. उनका मानना है कि कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे के हितों के खिलाफ जाने से रोकने के लिए सुलहपूर्ण तरीके से चुनाव लड़ना जरूरी है.
महागठबंधन में सभी को समान स्थान मिलना चाहिए और सीटों का बंटवारा सही तरीके से होना चाहिए. खोतकर ने यह भी कहा कि अब अकेले के दम पर सरकार बनाना असंभव है, और तीनों दलों को साथ मिलकर आगे बढ़ना होगा अगर वे सत्ता में वापसी चाहते है।