दीनदयाल रसोई योजना की भोजन थाली में करोडों का ‌घोटाला

दीनदयाल रसोई योजना की भोजन थाली में करोडों का ‌ घोटाला

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

भोपाल। मध्यप्रदेश मे गरीब बेसहारा लोगों को10 मे भरपेट थाली भोजन के लिए सरकार ने दीनदयाल अन्त्योदय रसोई योजना कार्यान्वित की है परंतु स्थानीय जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की सांठ-गांठ से करोडों का भ्रष्टाचार हो रहा है।

भोपाल में 3 महीने में 35 हजार मोबाइल नंबर ऐसे, जिनका इस्तेमाल बार-बार फर्जी तरीके से हुआ

सतर्क रहें! किसी रसोई में एक बार खाना खाया तो महीनों तक आपके नाम से कटता रहेगा बिल

मध्य प्रदेश में गरीब, बेसहारा और जरूरतमंद लोगों की 5 रुपए की थाली भी ‘चोरी’ हो रही है। दीनदयाल रसोई योजना के तहत एक मोबाइल नंबर का 3 महीने में 150-160 बार तक ​रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। इससे सरकारी अनुदान का गलत लाभ उठाने की कोशिश की जा रही है।

दैनिक भास्कर ने भोपाल में इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी भी रसोई में एक बार भी खाना खाया तो उसके मोबाइल नंबर को 150 बार तक इस्तेमाल किया जा रहा है। ताकि सरकार से 10 रु./थाली की दर से अनुदान ले सकें। जिनके नंबर का उपयोग किया जा रहा है, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं। अकेले भोपाल में 3 महीने में ऐसे 35 हजार से ज्यादा मोबाइल नंबर मिले, जिन्हें फर्जी तरीके से बार-बार इन केंद्रों पर रजिस्टर किया गया।

59 लाख थालियों का गणित समझें

भोपाल में 8 रसोई केंद्र हैं। एक केंद्र पर रोज 800 से 900 लोगों का रजिस्ट्रेशन है। हकीकत में अधिकतम संख्या 600 से 700 होती है। यानी एक स्टॉल पर औसतन 100 थालियों का फर्जीवाड़ा होता है। यही सभी 8 केंद्रों का हाल है। यानी हर दिन 800 थालियां अतिरिक्ति दिखाई जाती हैं। प्रदेश में ऐसे 191 केंद्र हैं। भोपाल की स्थिति सभी जगह मानें तो रोज 19,100 थालियां फर्जी दिखाई जाती हैं। ये केंद्र सालभर में 310 दिन संचालित होते हैं। रोज प्रत्येक केंद्र पर 100 थालियों का फर्जीवाड़ा मानें तो सालभर में यह संख्या 59.21 लाख पहुंचती है। हर थाली पर इन केंद्रों को 10 रु. अनुदान मिलता है। इस हिसाब से देखें तो सालभर में 5.92 करोड़ रु. का घपला हो रहा है।

रसोई बनाने, संचालन के लिए अनुदान मिलता है

भोपाल में 8 रसोई केंद्रों का संचालन निजी हाथों में है। प्रदेश में 191 केंद्र हैं। इनके लिए सालाना बजट करीब 15 करोड़ रुपए है। इसमें 11 करोड़ रुपए अनुदान के रूप में रसोई केंद्रों का संचालन करने वाली संस्थाओं को दिए जाते हैं, जबकि 4 करोड़ राशन की खरीदी सरकार अपने ही विभाग नागरिक आपूर्ति निगम से करती है।

रसोई केंद्र बनाने के लिए 25 लाख रुपए तक अनुदान भी।

सोमवार से शनिवार तक भोजन उपलब्ध कराया जाता है। इसमें एक सब्जी, 5 रोटी, दाल और चावल दिया जाता है।

जिन्होंने कभी खाया नहीं, वे भी दर्ज… 15 किमी दूर की रसोई में 73 बार रजिस्ट्रेशन

ममता नगर निवासी अमरनाथ राय ने सिर्फ एक दिन रत्नागिरी रसोई में खाना खाया था। अब उनका नंबर 157 बार अलग-अलग रसोई के रिकॉर्ड में दर्ज है। 15 किमी दूर कोलार रसोई में उन्हें 73 बार खाना खाते हुए बताया गया है।

संजय नगर निवासी लखन के मोबाइल पर रसोई में खाना खाने के मैसेज पहुंच रहे हैं। उन्हाेंने बताया कि कभी इनमें भोजन नहीं किया। उनका नंबर कोलार, यहां की चलित रसोई व शाहजहांनी पार्क की रसोई में 144 बार दर्ज है।

कोलार के डीके हनी इलाके में विजय पुरोहित एक साल से रहे हैं। पार्ट टाइम कोलार रसोई में खाना परोसने काम करते हैं। उनके मोबाइल नंबर की पिछले 3 महीने में यहां पर 149 बार खाना खाने की एंट्री है। शेष पेज 10 पर

केस-4 शाहजहांनी पार्क रसोई में काम करने वाले पंकज राही का भी मोबाइल नंबर शहर की 5 रसोई में खाना खाने के नाम पर दर्ज है। वो भी करीब 129 बार। भास्कर ने जब उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि मैं तो शाहजहांनी पार्क रसोई का काम देखता हूं। दूसरी किसी रसोई में भोजन करने के लिए भी नहीं किया गया। मेरा मोबाइल नंबर कहां से दर्ज हो गया है। इसकी जानकारी मेरे पास नहीं है। सरकारी रिकॉर्ड में उनका मोबाइल नंबर शाहजहांनी पार्क में 55, कोलार में 28, रत्नागिरी में 5,कोलार की चलित रसोई में 14 और रत्नागिरी चलित रसोई में 27 बार भोजन करना दर्ज है।

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