✍️टेकचंद्र शास्त्री: की रिपोर्ट
मुंबई। लोकशाही आघाडी के शासनकाल में महाराष्ट्र राज्य के मराठवाडा,पश्चिम महाराष्ट्र तथा विदर्भ के अनेक जिले के शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क,नाली,रफ्टा,पुलिया और इमारतों के निर्माण के नाम पर करोडों रुपए का फर्जीबाडा होने का सनसनीखेज मामला प्रकाश मे आया है। इस प्रकरण ने महाराष्ट्र शासन के सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग ने करोडों-अरबों रुपए के भ्रष्टाचार की कलई खोल कर रख दी है।
जानकार सूत्रों की माने तो महाराष्ट्र राज्य के अनेक जिले व तहसीलों मे सडके के निर्माण के बावजूद भी वाहन चालकों को गड्ढों से उछलते कूदते वाहनों को अपने गन्तव्य तक पंहुचाना पड रहा है। सड़कों के निर्माण के नाम पर करोड़ों की धनराशि मिलने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में ढंग से सड़कें नहीं बनी हैं। और सडक निर्माण के नाम पर बिल भुगतान करवा दिया गया? फिर यह करोडों रुपये और सडकें गयी कहां? यह भी गहन जांच-पड़ताल और कठोर कार्रवाईका विषय है?
ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला छत्रपति संभाजीनगर में सामने आया है। 73 सड़कों के लिए 10 करोड़ दिखाए गए जो कागजों में भी नहीं थे और सारा पैसा इंजीनियरों ने हड़प लिया। संभाजीनगर जिले में वर्ष 2009 से 2016 की अवधि के दौरान रोजगार गारंटी योजना के तहत सड़क निर्माण कार्य में घोटाला हुआ।
महाराष्ट्र शासन द्धारा प्रदत्त रोजगार गारंटी योजना के तहत फूलुंबरी तहसील में 42 सड़कों के निर्माण के नाम पर 5 करोड़ 50 लाख 46 हजार के फर्जी बिलPWD कार्यालय मे जमा कराये गये है.उसी प्रकार सिल्लोड तहसील की 31 सड़कों के निर्माण के नाम पर संबंधित अभियंताओं ने 4 करोड़ 56 लाख 54 हजार रुपए के फर्जी बिल जमा किए है. इसके लिए अति दुर्गम इलाकों की सड़कों का भी चयन किया गया था। इसमें दिखाया गया कि ये सड़कें वहीं बनाई गई हैं, जहां गांव में कुछ जगहों पर फुटपाथ थे। विधायक निधि से सड़कों का निर्माण के नाम पर रोजगार गारंटी योजना के तहत फर्जी बिल पेश किए गए।
*बिल बनाने मे फर्जीबाडा*
बताते हैं कि एक सुनियोजित साजिश के तहत फर्जी बिल पेश करके कोषागार से 10 करोड़ 7 लाख रुपये भुगतान कर दिया गया। उसी प्रकार बिल पी डब्ल्यू डी कार्यालय मे जमा होने किये गए थे, परंतु मामले की जांच-पड़ताल के दौरान वे बिल भी कार्यालय की फाईलों से गायब कर दिए गए।जानकार सूत्रों की माने तो सतर्कता समिति को सडक निर्माण कार्य का रिकॉर्ड अभि तक नहीं मिल पाया है। यह घोटाला लोक निर्माण विभाग के संज्ञान में आया। तो फिर जांच के बाद छह इंजीनियरों के खिलाफ धोखाधड़ी(फर्जीबाडा) का मामला दर्ज किया गया है। परंतु इस फर्जीबाडा मे लिप्त अभियंताओं को बचाने के लिए उच्चस्तरीय दबाव तथा सिफारिश की कोशिशें जारी है? मामले की सार्वजनिक लोकनिर्माण विभाग मंत्रालय स्तर के सतर्कता (दक्षता) अधिकारियों या स्टेट सीआई डी मार्फत निष्पक्ष जांच-पड़ताल हूई तो इस फर्जीबाडे मे लिप्त घोटालेबाजों के चेहरे से नकाब उतर सकता है।
*अमरावती बुलडाना वाशिम जिले मे भी घोटाला*
लोकनिर्माण विभाग कार्यालय अमरावती के तकनीशियन सूत्रों की माने तो अमरावती,बुलढाणा,और वाशिम जिले के शहर और ग्रामीण भागों में महाराष्ट्र शासन द्धारा प्रदत्त रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत निर्माणाधीन सडक रप्टा पुलों और इमारतों के निर्माण एवं रखरखाव (मरम्मत) कार्यों के नाम पर लाखों -करोडों रुपए फूक दिये गए? बताते हैं कि सडक, रफ्टा, पुलिया और इमारतें(भवन) कम्पाउन्ड निर्माण कार्यों मे निकृष्ट दर्जे का मटेरियल (सामग्रियों) का उपयोग किया गया है। नतीजतन सडकें बनते ही उखडना शुरु है? अनेक रफ्टा और पुलियों मे दरारें पड रहीं है। मार्गों के आजू बाजू निर्मित पक्की सीमेंट कांक्रीटनुमा खुली नालियों तथा भूमिगत नालियों के चैंबर्स और उनके ढक्कन टूटफूट हो चुके है। इतना ही नहीं सीमेंट कांक्रीट मार्गों पर बडी बडी दरारें पड रहीं है? अगर कुल मिलाकर उपरोक्त निर्दिष्ट सभी निर्माण कार्यों के इस्टीमेट (प्रावधानों) की जांच-पड़ताल तथा बिल भुगतान संबंधित मापजोख पुस्तिका (मेजरमेंट बुक) की निष्पक्ष और सूक्ष्म जांच-पड़ताल की गई तो इस प्रचण्ड भ्रष्टाचार मे लिप्त घोटालेबाजों के चेहरे नकाब उतर सकता है।