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भगवान शिव की आराधना से सभी कष्ट-व्याधियों से मिलता है छुटकारा : टेकेस्वरानन्द महाराज के उदगार

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भगवान शिव की आराधना से सभी कष्ट-व्याधियों से मिलता है छुटकारा:श्री.टेकेस्वरानन्द महाराज के उदगार

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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कोराडी। श्री राजाराम परनामी निवास स्थल में कार्तिक मास में श्री शिव महापुराण कथा प्रारंभ हूई।

हरि भक्त पारायण भगवताचार्य श्री टेकेस्वरानन्द महाराज ने अपने प्रवचन मे श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के बारे में आगे बताया कि क बार इस मंत्र का जाप करने से एक हजार महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने का फल मिलता है। उन्होने कहा कि हमारे हिन्दू धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है की भगवान शिव अपने भक्तों प जल्दी ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसी कारण उन्हें लोग भोलेनाथ कहकर बुलाते है।

भगवताचार्य श्री टेकेस्वरानन्द महाराज ने “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं” मंत्र के बारे में आगे बताया कि शिव जी के इस मंत्र का एक बड़ा ही सिद्ध और सरल सा अर्थ है। इस मंत्र के माध्यम से जातक शिव भगवान को प्रणाम करता हैं और कहता है की हे श्री शिव मेरा यह नमस्कार स्वीकार करें। इस साधारण से मंत्र में भी महादेव को प्रसन्न करने की बड़ी सकती है। हालाँकि आपको इस मंत्र के जाप के लिए कुछ नियमावली का पालन करना चाहिए। सबसे पहले तो इस मंत्र का जाप आपको हर रोज सुबह एक निश्चित समय पर ही करना चाहिए। साथ ही इस मंत्र के जाप के लिए एक उन से बने आसन का इस्तेमाल करें, तथा हर रोज एक ही आसान का इस्तेमाल करना चाहिए, इसे बार-बार बदले नहीं। रुद्राक्ष की माला के साथ इस मंत्र का 108 बार जाप करना होता है। साथ ही अपने समक्ष एक महादेव की मूर्ति या फोटो भी रख लें ।

 

उन्होने आगे बताया कि शिव का ध्यान से सभी दुखों और कष्टों का निवारण हो सकता है। सभी दुख- सुख में परिवर्तित हो सकते है और परिवार में शांति, सुखमय माहौल का हो जायेगा। ऐसी मान्यता है की इस मंत्र के जाप से कई तरह की बीमारियाँ भी ठीक हो जाती हैं और यह भी कहा जाता है की इस मंत्र में हजार महामृत्युंजय मंत्र के बराबर की शक्ति है। इसके जाप से आपके सभी कष्ट दूर होते हैं और आपका जीवन मंगलमय हो जाता है। इसके प्रभाव से आपको धन की प्राप्ति होती है और मानसिक रूप से भी मन में एक शांति का भाव उत्पन्न होता है।

शिव महापुराण की नगर प्रभात फेरी के पश्चात मंगलाचरण श्लोक प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर भगवताचार्य टेकेस्वरानन्द महाराज ने अपने ओजस्वी वाणी से चंचुला देवी की कथा सुनाते हुए भगवान शिव महापुराण कथा की महिमा का वर्णन करते हुए भगवान शिव की कथा की मंहिमां का वर्णन करते हुए संगीतमय शिवजी भजन सुनाया जिससे श्रोतागण मंत्रमुग्ध हुए। इस कार्यक्रम में अधिक संख्या में महिला पुरुष श्रोतागण की उपस्थिति रही। व्यासपीठ में विराजमान हरिभक्त पारायण भगवताचार्य श्री टेकेस्वरानन्द महाराज का पुष्प माल्यार्पण कर सुस्वागतम एवं अभिनंदन किया गया।

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