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अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य पद पर विभूषित होने से स्वामी गोविंदानंद बौखलाए 

अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य पद पर विभूषित होने से स्वामी गोविंदानंद बौखलाए

टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

वाराणसी।ज्योतिषपीठ में जगतगुरु शंकराचार्य पद पर विभूषित नहीं हो पाने को लेकर स्वामी गोविंदानंद महाराज बौखलाए हुए हैं? और दक्षिण भारती स्वामी गोविंदानंद महाराज शंकराचार्य पद पाने के लिए ने अपना आपा खो दिया है । शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को लेकर इन दिनों विवाद गहराता जा रहा है। हालकि स्वामी गोविंदानंद महाराज शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के गुरुभाई हैं!

 

दरअसल में स्वामी गोविंदानंद सरस्वती स्वामी विष्णुदेवानंद के शिष्य हैं. उन्होंने साल 1987 में केरल के शिवानंद आश्रम नैय्यर डैम से अपने आश्रम जीवन की शुरुआत की थी. स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने इंटरनेशनल शिवानंद योग वेदांत केंद्र संगठन से योग्य की शिक्षा प्राप्त की है.और वे ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य पद के लिए अनायास अपनी ऊर्जा खराब कर रहे हैं?

बताते है कि स्वामी गोविंदानंद महाराज कुछ वर्ष पूर्व अपने गुर ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी सरस्वती का साथ छोडकर और उनकी बिना आज्ञा के भारत भ्रमण में निकल चुके थे?जबकि अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जाति से उपाध्याय ब्राह्मण हैं? स्वामी गोविंदानंद महाराज अपने गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ब्रह्मलीन होने के बाद वे उत्तराधिकारी शंकराचार्य पद मिलने के उद्देश्य से परमंहंशी गंगा आश्रम लौटे थे , जबकि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती अपने इष्ट गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद महाराज के सानिध्य मे सेवा में संलग्न रहे हैं।

दंडी स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद पर मनगढंत आरोप लगा रहे हैं कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ज्योतिषपीठ पर कब्जा करना चाहते हैं। वह शंकराचार्य पद के योग्य नहीं हैं। दंडी स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने कहा कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ज्योतिषपीठ पर कब्जा करना चाहते हैं!

ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को लेकर विवाद गहराता चला जा रहा है। पहले श्री काशी विद्वत परिषद के विद्वान उन्हें लेकर दो धड़े में बंट गए है। अब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के गुरु भाई और दंडी स्वामी गोविंदानंद सरस्वती ने शनिवार को वाराणसी में उन्हें अधर्म के मार्ग पर चलने वाला असुर प्रवृत्ति का रावण और दुर्योधन तक कह दिया है।

स्वामी गोविंदानंद ने कहा कि अविमुक्तेश्वरानंद के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा रखा है। स्वामी गोविंदानंद ने कहा कि मैं भी शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का शिष्य हूं। सनातन धर्म पर संकट को देख कर मैं काशी आया हूं।

इधर जगतगुरु शंकराचार्य की संस्था अखिल भारतीय आध्यात्मिक उत्थान मंडल के सभी पदाधिकारियों और सदस्यों का कहना है कि शंकराचार्य पद को लेकर संत महात्माओं ने अपवादात्मक बयानबाजी करना उचित नहीं है? बताते हैं कि गोविंदानंद महाराज, सरस्वती वासुदेवनन्द और स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज भी ज्योतिषपीठ बद्रीनाथ के शंकराचार्य पद की लालसा को लेकर बिचलित है?

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