मनुष्य बिना मुहूर्त के जन्म लेता है और बिना मुहूर्त के मर जाता है
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
मनुष्य बिना मुहूर्त के जन्म लेता है, बिना मुहूर्त के मर जाता है. मनुष्य हर समय मुहूर्त में अटका रहता है।दरअसल में मनुष्य जन्म के बबाद और मरने के बाद कार्यक्रम मुहूर्त देखकर करता है। जबकि मनुष्य का जन्म बिना मुहूर्त के होता है और बिना मुहूर्त के मर जाता है। मनुष्य को मुहूर्त के बजाय अपने सत कर्मों पर ध्यान देना चाहिए। अगर सुधर गए तो पूरा जीवन सुधर जाएगा। ये बातें अनादिकाल से चली आ रही है। शिवमहापुराण मे कहा गया है कि भगवान शिव सरल, सौम्य और आशुतोष जल्दी प्रसन्न होने वाले हैं। उन्हें सिर्फ जल और बिल्व पत्र से प्रसन्न किया जा सकता है। धरा पर देवादि देव महादेव के 12 ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं। कहा जाता है अपने संपूर्ण जीवनकाल में इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने से सात जन्मों के पाप कट जाते हैं।
शिवभक्त अपने महादेव को खुश करने व उनकी कृपा पाने को प्रत्येक जतन करते हैं। इसमें पूजा व जलाभिषेक सर्वोपरि हैं। पूजा में महादेव को चढ़ने वाली वस्तुओं में धतूरा की बड़ी महिमा बताई है। इंसान का जीवन सबसे अहम माना जाता है, क्यों कि यही वह जन्म है, जिसमें मनुष्य जो चाहे पा सकता है। जब तक महादेव की कृपा नहीं होती, तब तक जीवन में कामयाबी नहीं मिलती है। समापन अवसर पर महाआरती व महाप्रसादी का वितरण किया गया।
बगैर मुहूर्त के हमारी मृत्यु भी हो जाएगी फिर सारी उम्र शुभ मुहूर्त के पीछे क्यों भागते हैं?
आपने कहा कि हम बगैर मुहूर्त के जन्म लेते हैं। और बगैर मुहूर्त के ही मृत्यु हो जाती है। यह बिल्कुल सही है। क्योंकि यह हमारे बस में नहीं है। लेकिन अगर जो हम कार्य कर रहे हैं। वह तो हमारे बस में है। और उसको करने के लिए हम अपना पैसा और समय दोनों लगा रहे हैं।
तो क्यों ना उसको हम शुभ मुहूर्त में ही प्रारंभ करें। जिससे उसके अशुभ फल प्राप्त होने की संभावना कम हो जाए। क्योंकि ज्योतिष शास्त्र में बतलाया गया है। कि प्रत्येक समय शुभ और अशुभ योग बनते रहते हैं। अगर आपने शुभ मुहूर्त नहीं देखा और उस कार्य को आप अशुभ समय में प्रारंभ कर दिया।
तो वहां पर आपका पैसा और समय दोनों लगा है। और वह अगर बर्बाद हो जाए, तो उससे आपको क्या मिला। लेकिन अगर वही हम शुभ समय देख लेते हैं। तो वह अशुभ परिणाम देने में निर्बल हो जाता है।
क्योंकि हमारे ज्योतिष शास्त्र में बड़े-बड़े ऋषि मुनि लोग और ग्रंथकार ने जब ग्रंथ की रचना की तो, उसमें शुभ और अशुभ समय के बारे में भी बतलाया। तो इसको हम गलत साबित नहीं कर सकते हैं। क्योंकि कहीं ना कहीं इसमें सच्चाई तो है। अगर सच्चाई नहीं होती तो, इतने लोग ज्योतिष शास्त्र के पीछे क्यों भागते हैं।
शुभ मुहूर्त के अलावा अपना-अपना कर्म होता है। क्योंकि कर्म प्रधान है। अगर आप शुभ मुहूर्त में कोई कार्य प्रारंभ करते हैं। और उस कार्य में अपना सहयोग कम करते हैं। और कहते हैं, कि मैंने इस कार्य को तो शुभ मुहूर्त में प्रारंभ किया है। और यह कार्य अब हमें शुभ परिणाम देगा। हमें अब मेहनत करने की कोई आवश्यकता नहीं है। तो वह कार्य आपको कैसे सफलता दिलाएगा। क्योंकि किसी भी कार्य को सफल करने के लिए हैं। मेहनत और लगन के साथ जुनून भी होना आवश्यक है।
शुभ मुहूर्त का कार्य इतना होता है, कि आप जो कार्य कर रहे हैं।उसका सकारात्मक प्रभाव आपके कार्य में देखने को मिले।क्योंकि आपने अपने आसपास में देखा होगा। कि अनेकों लोग कोई अपना कार्य प्रारंभ करते हैं। और उस कार्य को मेहनत और लगन के साथ करते हैं। लेकिन वह कार्य किसी को सफलता दिलाता है। तो वही दूसरे व्यक्ति को असफल बना देता है। क्या असफल होने वाला व्यक्ति अपना पैसा, समय और मेहनत नहीं लगाया था।
लेकिन फिर भी वह असफल हो गया ऐसा क्यों? वह व्यक्ति कहीं ना कहीं अपना कार्य कोई अशुभ योग में प्रारंभ कर दिया है।जिससे उसको उस कार्य में अशुभ परिणाम देखने को मिले।
इसी बात को आप दूसरे उदाहरण से भी समझ सकते हैं। आपने देखा होगा या आपके ऊपर ही यह बात गुजरा होगा। कि आप अगर कोई कार्य करते हैं। तो वह कार्य किसी दिन आपको अच्छी सफलता दिलाता है। और वही किसी दिन आपको घटा भी दिला देता है।
मान लीजिए आपने किसी जगह पर नौकरी करने जाते हैं। आपने पहली बार गया तो आपने बहुत सारा पैसा कमाया। लेकिन उसी कंपनी में आपने दूसरी बार गया तो आप को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और पैसे भी कम कमाए। ऐसा क्यों? क्या आपने वह काम पहले की भांति लगन और मेहनत के साथ नहीं किया? जरूर किया। लेकिन फिर भी आपको वहां पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
ऐसा इसलिए हुआ कि जब आप पहली बार गए, तो कोई ऐसा शुभ योग चल रहा था। जिसमें आपने अपना कार्य प्रारंभ किया। जिससे उसका फल आपको शुभ मिला और वहीं दूसरी बार आपने जाने अनजाने में ही अशुभ समय में वही कार्य को दूसरी बार प्रारंभ किया। लेकिन वहां पर आपको सफलता देखने को नहीं मिला।
तो आप आप समझ गए होंगे, कि शुभ मुहूर्त का फल केवल शुभ फल प्रदान करना होता है। और अशुभ मुहूर्त का फल केवल अशुभ फल प्रदान करना होता है। इसीलिए कोई भी व्यक्ति अपना कार्य करने से पहले शुभ मुहूर्त को देखता है। जिससे उस कार्य में उस व्यक्ति को शुभ फल प्राप्त हो सके।
शुभ मुहूर्त कोई जादू या टोना नहीं है। जिससे कोई चमत्कार होगा। यह केवल एक शुभ समय होता है। जिसमें शुभ फल मिलता है। इसके अलावा केवल कर्म ही प्रधान है। जैसा कर्म करेंगे, वैसा ही फल मिलेगा।