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(भाग:295) माता रानी राजराजेश्वरी भगवती देवी कुष्माण्डा की मंहिमां अपरम्पार

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भाग:295) माता रानी राजराजेश्वरी भगवती देवी कुष्माण्डा की मंहिमां अपरम्पार

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट

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मां भगवती देवी कूष्मांडा की महिमा अद्वितीय है. इनकी उपासना शांत मन से और मधुर ध्वनि के साथ करनी चाहिए. मां कूष्मांडा की पूजा से अजेय रहने का वरदान मिलता है. कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी.

नवरात्रि में चौथे दिन आज मां कूष्मांडा की पूजा, जानें पूजन विधि और विशेष उपाय

मां कूष्मांडा की महिमा अद्वितीय है. इनकी उपासना शांत मन से और मधुर ध्वनि के साथ करनी चाहिए. मां कूष्मांडा की पूजा से अजेय रहने का वरदान मिलता है. कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी.

नवरात्रि में चौथे दिन आज मां कूष्मांडा की पूजा, जानें पूजन विधि और विशेष उपायNavratri 2022: नवरात्रि में चौथे दिन आज मां कूष्मांडा की पूजा पूजन विधि और विशेष महत्व है।

मां दुर्गा का चौथा भव्य स्वरूप मां कूष्मांडा हैं. नवरात्रि के चौथे दिन इन्हीं की पूजा का विधान है. मां कूष्मांडा की महिमा अद्वितीय है. इनकी उपासना शांत मन से और मधुर ध्वनि के साथ करनी चाहिए. मां कूष्मांडा की पूजा से अजेय रहने का वरदान मिलता है. कहते हैं जब संसार में चारों ओर अंधियारा छाया था, तब मां कूष्मांडा ने ही अपनी मधुर मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी. इसलिए इन्हें सृष्टि की आदि स्वरूपा और आदिशक्ति भी कहते हैं.

 

कौन हैं मां कूष्मांडा?

नवदुर्गा का चौथा स्वरूप है. इनकी आठ भुजाएं है. इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल पुष्प,कलश, चक्र और गदा है. आठवें हाथ में सभी सिद्धियां और निधियों को देने वाली माला है. देवी के हाथों में जो अमृत कलश है, वह अपने भक्तों को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वर देती है. मां सिंह की सवारी करती हैं, जो धर्म का प्रतीक है.

 

कैसे करें मां कूष्मांडा की पूजा?

 

नवरात्रि के चौथे दिन हरे या संतरी रंग के कपड़े पहनकर मां कूष्मांडा का पूजन करें. पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ या कुम्हड़ा अर्पित करें. मां कूष्मांडा को उतनी हरी इलाइची अर्पित करें जितनी कि आपकी उम्र है. हर इलाइची अर्पित करने के साथ “ॐ बुं बुधाय नमः” कहें. सारी इलाइची को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर रखें. इलाइची को शारदीय नवरात्रि तक अपने पास सुरक्षित रखें.

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कुंडली के बुध से संबंध रखने के कारण मां कूष्मांडा की उपासना से बुध से जुड़ी समस्याओं का अंत होता है. शेरों वाली मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए ज्योतिष में कुछ विशेष उपाय भी बताएं गए हैं. इन उपायों से मां कूष्मांडा की कृपा बहुत जल्दी मिल सकती है.

नवरात्रि के चौथे दिन मा कूष्मांडा की पूजा करें. उन्हें भोजन में दही और हलवा का भोग लगाएं. इसके बाद उन्हें फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें. इससे मां कूष्मांडा प्रसन्न होती हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं. देवी मां की सच्चे मन से की गई साधना आपको खुशियों की सौगात दे सकती है.

नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव का चौथा दिन देवी कुष्मांडा को समर्पित है। आज यानी की 18 अक्तूबर बुधवार के दिन नवरात्रि का चौथा दिन है।

नवरात्रि का चौथा दिन है

 

विस्तार

नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि उत्सव का चौथा दिन देवी कुष्मांडा को समर्पित है। आज यानी की 18 अक्तूबर बुधवार के दिन नवरात्रि का चौथा दिन है। अष्टभुजा देवी के नाम से भी जानी जाने वाली, आठ हाथों वाली देवी को हिंदू पौराणिक कथाओं में ब्रह्मांड का निर्माता माना जाता है। चौथे दिन की पूजा के लिए, नीचे दिए गए चरणों का पालन करने से आपके और आपके परिवार के सदस्यों के लिए बेहतर स्वास्थ्य और समृद्धि होगी। यह शक्ति का चौथा स्वरूप है, जिन्हें सूर्य के समान तेजस्वी माना गया है। माँ के स्वरूप की व्याख्या इस प्रकार है, देवी कुष्मांडा और उनकी आठ भुजाएँ हमें कर्मयोगी जीवन अपनाकर यश अर्जित करने की प्रेरणा देती हैं, उनकी मधुर मुस्कान हमारी जीवन शक्ति को समृद्ध करती है और हमें मुस्कुराकर सफलता प्राप्त करने के कठिन से कठिन मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

 

कौन थी देवी कुष्मांडा

 

देवी कुष्मांडा का वर्णन मार्कण्डेय पुराण में मिलता है। इस पुराण के अनुसार जब देवी कुष्मांडा ने परमपिता ब्रह्मा द्वारा प्रदत्त शक्ति का रूप धारण किया तब वे कुष्मांडा कहलाईं। इसलिए उन्हें इस नाम से जाना जाता है।

कथा के अनुसार, देवी कुष्मांडा भगवान ब्रह्मा की शक्ति से दुर्गा के रूप में प्रकट हुईं और भक्तों की रक्षा की। उन्होंने महिषासुर का वध किया, जिससे वे महिषासुरमर्दिनी भी कहलाई। इसी क्रम में उन्होंने अपने अन्य रूप भी प्रकट किये, जैसे भद्रकाली, चंडिका, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, गौरी, महागौरी और सिद्धिदात्री। इसीलिए नवरात्रि के नौ दिनों में उन्हें नवदुर्गा के नाम से भी पूजा जाता है।

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माँ कुष्मांडा पूजन विधि

 

– नवरात्रि के इस दिन हर दिन की तरह सबसे पहले कलश की पूजा करें और देवी कुष्मांडा को प्रणाम करें.

– इसके बाद साधक को पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना बेहतर होता है।

– मां कुष्मांडा को जल पुष्प इस प्रार्थना के साथ अर्पित करें कि उनकी कृपा बनी रहे।

– पूरे मन से देवी को फूल, धूप, गंध और नैवेद्य अर्पित करें।

– माँ कूष्मांडा को विविध प्रकार के फलों का भोग अपनी क्षमतानुसार लगाएँ।

– पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें।

 

माँ कुष्मांडा मंत्र

 

चतुर्थी के दिन माँ कूष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है।[1] प्रत्येक सर्वसाधारण के लिए आराधना योग्य यह श्लोक सरल और स्पष्ट है। माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में चतुर्थ दिन इसका जाप करना चाहिए।

 

या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

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