गुरुदेव के सानिध्य से भटके स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज में जागी शंकराचार्य बनने की लालसा
टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री: सह-संपादक रिपोर्ट
सिवनी। मध्यप्रदेश के सिवनी मे आयोजित गुरुपूर्णिमां समारोह मे दण्डी सरस्वती स्वामी प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा है कि उन्हें शंकराचार्य पद की लालसा नहीं है, धर्म की रक्षा के लिये दण्डी सरस्वती का पद स्वीकारा है।
सिवनी में शंकराचार्य विवाद पर गुरु पूर्णिमा के दिन कथा के बाद स्वामी प्रज्ञानानंद पत्रकारवार्ता में बोल रहे थे!
दरअसल में स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती के सगे गुरुभाई माने जाते हैं? परंतु 20 वर्ष पूर्व प्रज्ञानानंद महाराज अपने को परिपक्व महात्मा होने के अहंकार के आवेश मे वे गुरुमहाराज का सानिध्य त्याग करके तथा बिना गुरु की आज्ञा के राजस्थान मे धर्म प्रचार प्रसार मे लग गए थे? उनके प्रवचन को सुनने अपार जनसमूह को देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने उन्हे विशिष्ट पुलिस सुरक्षा मुहैया करवा दी थी? नतीजतन वह कम समय में ही राष्ट्रीय संत कहलाने लगे थे? उनके प्रभाव को देखते हुए धर्म सम्राट जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने प्रशन्न होकर उनसे फोन पर प्रज्ञानानंद से उनका हालचाल पूछा तब प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा था कि जी गुरुदेव आपके आशीर्वाद से सनातन धर्म प्रचार मे तल्लीन हूं! उन्होने आगे बतलाया था कि जल्द ही आपके चरण स्पर्श के लिए आ रहा हूं! परंतु प्रज्ञानानंद तब आये जब उनके गुरु महाराज शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद महाराज ब्रह्मलीन हो चुके थे?
उनके ब्रह्मलीन होने के बाद असली और नकली शंकराचार्य के वर्चस्व की लड़ाई चल रही है? सिवनी शहर के राशि-बाहुबली लॉन में विगत रविवार गुरु पूर्णिमा के मौके पर स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने धार्मिक सभा का आयोजन किया करते हुए व प्रेस कॉन्फ्रेंस कर एक बार फिर से छेड़ दी है। जहां प्रज्ञानानंद महाराज ने कहा, कि जब अविमुक्तेश्वरानंद शंकराचार्य को सुप्रीम कोर्ट शंकराचार्य मानने से इनकार कर चुके है, तो वह अपने आप को शंकराचार्य कैसे कहते हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर कहा कि अंबानी परिवार के यहां बुलाने से या प्रधानमंत्री को आशीर्वाद देने से कोई शंकराचार्य नहीं हो जाता है।
उन्होंने आगे कहा कि शंकराचार्य के पद पर बने रहना मेरी लालसा नहीं है, यह पद मैने धर्म की रक्षा के लिये स्वीकार किया है जिस दिन कोई योग्य संन्यासी मिल जायेगा। यह पद मै उसे सौंप दूंगा। वर्तमान में जो संन्यासी वसीयत के आधार पर शंकराचार्य पद पर आरूढ़ है वह केवल गुमराह करने वाला असत्य है। ब्रह्मलीन शंकराचार्य जगद्गुरू स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज जो कि मेरे भी गुरू है। उन्होंने कोई वसीयत नहीं लिखी है। परंतु वसीयत के आधार पर शंकराचार्य प्रचारित हो रहे संन्यासी पूरी तरह झूठ प्रचारित कर शंकराचार्य की सुविधाएँ प्राप्त कर रहे है। पूज्य जगद्गुरू स्वामी स्वरूपानंद जी ने स्वयं यह बात कही है कि शंकराचार्य योग्यता के आधार पर बनते है वसीयत के आधार पर नहीं और उन्होंने स्वयं 2020 में प्रेस नोट निकालकर स्पष्ट किया था कि उनके द्वारा ज्योतिषपीठ एवं द्वारका शारदा पीठ में पर किसी को अधिकृत रूप से उत्तराधिकारी एवं शंकराचार्य घोषित नहीं किया गया मै उत्तराधिकारी नहीं – इस आशय के तर्क काशी विद्वत परिषद द्वारा अभिषेकित किये गये स्वामी प्रज्ञानानंद जी महाराज ने सिवनी नगर के राशि लॉन में आयोजित पत्रकारवार्ता में दिये और उन्होंने पत्रकारों को इससे संबंधित कुछ दस्तावेज भी उपलब्ध कराये। स्वामी प्रज्ञानानंद जी ने स्पष्ट किया कि द्वारका शारदा पीठ एवं ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य जिस वसीयत के आधार पर शंकराचार्य पद प्राप्त किये हुये है वह वसीयत 2017 की प्रचारित की जा रही है जबकि इस प्रकार की वसीयत के बारे ब्रह्मलीन शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज स्वयं 22 नवंबर 2020 को प्रेस नोट जारी का स्पष्ट कर चुके है कि उन्होंने दोनों पीठों पर अपना कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है।
मुझे गलत साबित करें, मैं शंकराचार्य लिखना बंद कर दूंगा या फिर वो कर दें – स्वामी प्रज्ञानानंद जी महाराज ने पत्रकारों के सामने यह भी दावा किया कि शंकराचार्य पद प्राप्त करने के लिये कुछ लोगों ने षडयंत्र किया है। उन्होंने बताया कि ब्रह्मलीन शंकराचार्य जी महाराज से कुछ वर्षों तक किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा था इसी बीच षडयंत्र हुआ है। स्वामी प्रज्ञानानंद जी ने दोनों पीठों के शंकराचार्यों के साथ तर्क संगत और योग्यता संबंधी बातों पर बैठकर चर्चा के लिये चुनौती देते हुये कहा है कि वे दोनों इस संबंध में चर्चा कर ले इस मामले में जो गलत हो वह शंकराचार्य लिखना बंद कर दें। यदि वे मुझे गलत साबित कर दें तो मैं शंकराचार्य लिखना बंद कर दूंगा।