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2024 में BJP को हरा नहीं कर पाएगा विपक्ष INDIA? जानिए जमीनी हकीकत

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BJP को हरा नहीं कर पाएगा विपक्ष INDIA? जानिए जमीनी हकीकत

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टेकचंद्र सनोडिया शास्त्री:सह-संपादक की रिपोर्ट

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नई दिल्ली। केंद्र की सत्ता में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हैटट्रिक को रोकने के लिए विपक्षी दल भले ही एकजुट हुए हैं। I.N.D.I.A. नाम से राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन का ऐलान हो चुका है। लेकिन क्या विपक्ष एकजुट होकर 2024 में बीजेपी को हरा पाएगा? मुमकिन ही नहीं नामुमकिन प्रतीत हो रहा है? पिछले 2019 के लोकसभा चुनाव के आंकड़े इसे समझने में मदद और इजाफा कर सकते हैं।

2024 में अब बीजेपी की अगुआई वाले एनडीए और विपक्ष के I.N.D.I.A. में कडा मुकाबला होने वाला है।
पिछले लोकसभा चुनाव में 200 से ज्यादा सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी? जिसमें भाजपा दल को 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे।
16 राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों में बीजेपी का वोटशेयर 50 प्रतिशत के करीब या उससे ज्यादा था

लोकसभा चुनाव में अब बमुश्किल 9-10 महीने का वक्त है। सभी पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुट गई हैं। सियासी बिसात बिछने लगी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई में बीजेपी और उसके गठबंधन एनडीए की नजर केंद्र की सत्ता में हैटट्रिक लगाने पर है। दूसरी तरफ, ज्यादातर विपक्षी दल आपसी मतभेद, विपरीत विचारधारा और विरोधाभासों को भुलाकर एकजुट हो चुके हैं। इंडियन नैशनल डिवेलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस (I.N.D.I.A.) नाम से नया गठबंधन भी बना लिया है। रणनीति ये है कि विपक्ष के वोटों का बंटवारा रोकने के लिए बीजेपी के खिलाफ साझा उम्मीदवार खड़ा किया जाए। लोकसभा की कुल 543 सीटों में से कम से कम 450 सीटों पर I.N.D.I.A. की तरफ से एक उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश है। इसे जमीन पर उतारने और अंतिम रूप देने के लिए 11 सदस्यों की एक कमिटी बनाई जाएगी। तो क्या विपक्ष का I.N.D.I.A. 2024 में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को हरा पाएगा? आइए आंकड़ों से समझते हैं।

NDA बनाम विपक्ष गठबंधन I.N.D.I.A.

वैसे तो विपक्षी एकजुटता की काट के लिए बीजेपी भी एनडीए का कुनबा बढ़ा रही है। मंगलवार को बेंगलुरु में विपक्ष के 26 दलों की जुटान हुई तो दिल्ली में एनडीए के बैनर तले 39 दलों की। लेकिन एनडीए और विपक्ष के I.N.D.I.A. में एक बड़ा फर्क है। एनडीए में ज्यादातर छोटे-छोटे दल हैं। दिल्ली में उसकी मीटिंग में जो 39 पार्टियां शामिल हुईं, उनमें से 25 तो ऐसी हैं जिनका लोकसभा में एक भी सांसद नहीं है। दूसरी ओर विपक्ष के I.N.D.I.A. में ज्यादातर बड़े क्षेत्रीय दल शामिल हैं। उन दलों के नेताओं में कुछ मुख्यमंत्री हैं तो कुछ पूर्व मुख्यमंत्री भी। हालांकि, बेंगलुरु में जुटे 26 विपक्षी दलों में से 10 ऐसे हैं जिनका लोकसभा में कोई सांसद नहीं है। विपक्ष के राष्ट्रीय महागठबंधन पर नजर डालने पर 2024 के लिए बीजेपी की राह बहुत मुश्किल दिखती है। कांग्रेस के साथ-साथ ममता बनर्जी, नीतीश, लालू, केजरीवाल, अखिलेश यादव, शरद पवार, उद्धव ठाकरे जैसे दिग्गज एकजुट हैं। हर सीट पर एक उम्मीदवार की रणनीति है तब तो 2024 मुट्ठी में होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है। कागजों में भले ही विपक्ष का गठबंधन काफी मजबूत दिख रहा है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है। तो समझते हैं कि 2024 में एकजुट विपक्ष की राह क्यों नहीं है आसान।

मंगलवार को एनडीए के नेताओं को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 50 प्रतिशत प्लस वोटशेयर का लक्ष्य रखा। बीजेपी के तरकश में विपक्षी एकजुटता के खिलाफ सबसे बड़ा अस्त्र यही है- 50 प्रतिशत से ज्यादा वोट हासिल करना। दक्षिण में बीजेपी अभी भी पांव जमाने की कोशिश में है। उसका इकलौता दक्षिणी किला कर्नाटक भी ध्वस्त हो चुका है। ऐसे में राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी या एनडीए का 50 प्रतिशत वोटशेयर हासिल करने का लक्ष्य हकीकत से परे दिखता है। लेकिन 2019 के नतीजे बीजेपी के हौसलों को नई उड़ान दे रहे हैं। लोकसभा में बीजेपी के 224 ऐसे सांसद हैं जिन्होंने पिछले चुनाव में 50 प्रतिशत या फिर उससे ज्यादा वोट हासिल करके जीत दर्ज की थी। इसका मतलब ये कि इन बीजेपी सांसदों को अपनी-अपनी सीटों पर नोटा समेत बाकी सभी उम्मीदवारों को मिले कुल वोट से भी ज्यादा वोट हासिल हुए। खास बात ये है कि बीजेपी जितनी सीटों पर चुनाव लड़ी, उनमें से आधी से ज्यादा सीटों पर उसने 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा वोट हासिल किए। 2019 में बीजेपी सिर्फ 436 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।

8 सीटों पर तो बीजेपी को 70% से ज्यादा वोट मिले
2019 में जिन 224 लोकसभा सीटों पर बीजेपी को करीब 50 प्रतिशत या उससे अधिक वोट मिले, उनमें गुजरात की सभी 26 सीटें, दिल्ली की सभी 7, मध्य प्रदेश की 25, राजस्थान की 23, यूपी की 40, कर्नाटक की 20, बिहार की 14 और हरियाणा की 9 सीटें, छत्तीसगढ़ की 6, उत्तराखंड की 5, हिमाचल की 6 सीटें शामिल थीं। 8 सीटें तो ऐसी थीं जहां बीजेपी उम्मीदवारों ने 70 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट हासिल करके जीत दर्ज की थी। ये सीटें हैं- मुंबई नॉर्थ, भीलवाड़ा, नवसारी, सूरत, फरीदाबाद, वडोदरा, कांगड़ा और करनाल सामिल है

पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने जिन सीटों पर 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की, उनमें से 120 सीटें ऐसी थीं जहां उसका कांग्रेस से उसका सीधा मुकाबला था। ये सीटें गुजरात, एमपी, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों की थीं।

पिछले लोकसभा चुनाव में 16 राज्य/केंद्रशासित प्रदेश ऐसे थे जहां बीजेपी का वोटशेयर 50 प्रतिशत के करीब या उससे ज्यादा था। इनमें गुजरात में 62 प्रतिशत, राजस्थान और एमपी में 58-58%, दिल्ली में 56 प्रतिशत, हिमाचल में 69, उत्तराखंड में 62, छत्तीसगढ़ में 50, हरियाणा और अरुणाचल में 58-58 प्रतिशत, कर्नाटक और झारखंड 52-52 प्रतिशत और त्रिपुरा में 49 प्रतिशत वोट मिला। 2019 में यूपी में अकेल बीजेपी का वोटशेयर 49.9 प्रतिशत था लेकिन एनडीए का वोटशेयर 51 प्रतिशत के ऊपर था।

सियासी लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे यूपी में बीजेपी को हराने के लिए विपक्ष का गठबंधन दांव पिछले 3 चुनावों में बुरी तरह नाकाम रहा है। 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन के तहत अखिलेश-राहुल का ‘यूपी के लड़के’ कैंपेन बुरी तरह नाकाम हुआ। 2019 लोकसभा चुनाव में यूपी में मायावती-अखिलेश का बहुप्रचारित ‘बुआ-भतीजा’ प्रयोग भी फेल हो गया। 2022 यूपी असेंबली इलेक्शन में अखिलेश-जयंत चौधरी का ‘युवा जोश’ भी बीजेपी के सामने कहीं टिक नहीं पाया। विपक्ष के I.N.D.I.A. की ताकत मजबूत क्षत्रप हैं तो कमजोरी भी वहीं हैं। ऐसा इसलिए कि इन क्षत्रपों का प्रभाव क्षेत्र राज्यविशेष तक सीमित है। दूसरे राज्यों में उनका कोई खास असर नहीं है। आखिर ममता बनर्जी यूपी में क्या असर डाल पाएंगी या अखिलेश यादव पश्चिम बंगाल या गुजरात में क्या असर डाल पाएंगे?

वैसे बीजेपी ने 2019 में जिन 200 से ज्यादा सीटों पर जीत हासिल की थी, उनमें से कुछ सीटें बिहार और महाराष्ट्र से थीं। 2024 में इन दोनों राज्यों में बीजेपी के लिए राह उतनी आसान नहीं है। तब बिहार में नीतीश उसके साथ थे। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे साथ थे। लेकिन अब दोनों बीजेपी को पटखनी देने के लिए बेचैन हैं। हालांकि, बीजेपी महाराष्ट्र के संभावित नुकसान की भरपाई की तैयारी कर चुकी है। उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी से हाथ धो चुके हैं। शिवसेना की कमान अब एकनाथ शिंदे के हाथ में है जो अब बीजेपी के साथ हैं और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं। एनसीपी भी दो फाड़ हो चुकी है और अजीत पवार की अगुआई वाला गुट अब बीजेपी के साथ है।

कम से कम इन आंकड़ों को देखते हुए 2024 में विपक्ष के I.N.D.I.A. की राह उतनी आसान नहीं दिख रही, जितना कागजों में दिखती है। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि विपक्ष के इस महागठबंधन में मायावती, के. चन्द्रशेखर राव, नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी जैसे दिग्गजों की पार्टियां शामिल नहीं हैं। चंद्रबाबू नायडू और एचडी देवगौड़ा की पार्टी भी शामिल नहीं है।

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